बिना सफाई कैसे पहुंचेगा टेल क्षेत्र तक पानी, हर साल मरम्मत व सफाई के नाम पर खानापूर्ति, दायीं नहर में 1050 क्यूसेक छोड़ा पानी
किसानों को नहरी पानी के लिए करना पड़ता है इंतजार
लाखों रुपए खर्च कर जो पक्का कार्य करवाया गया, वह अभी से उखड़ने लग गया।
कोटा। मौसम साफ होने के बाद रबी फसलों की बुवाई का कार्य शुरू हो गया है। हाड़ौती के किसान खेती के काम में जुट गए हैं। इसके चलते सीएडी प्रशासन ने मंगलवार को कोटा बैराज की दायीं नहर में जलप्रवाह शुरू कर दिया है। वहीं बायीं नहर में फिलहाल पानी नहीं छोड़ा गया है। दायीं और बायीं नहर से जुड़ी वितरिकाएं कई जगह पर कचरे से अटी पड़ी हैं वही कुछ स्थानों से क्षतिग्रस्त भी हो रही है। पूर्व में इनकी साफ-सफाई और मरम्मत का कार्य किया गया था, लेकिन यह खानापूर्ति तक सीमित होने से टेल क्षेत्र में नहरी पानी पहुंचने में विलम्ब हो सकता है। हर साल जर्जर नहरी तंत्र के कारण टेल क्षेत्र के किसानों को नहरी पानी के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ता है। इस साल भी क्षतिग्रस्त वितरिकाओं के कारण किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
पाटन ब्रांच की जर्जर हो रही स्थिति
बायीं नहर से जुड़े केशवरायपाटन के सिंचित क्षेत्र के किसानों को उम्मीद थी कि नहरें पक्की होने के बाद सुविधाएं मिलेगी, लेकिन नहरों की ब्रांचों, वितरिकाओं व माइनरों सही ढंग से नहीं हो पाई है। किसान रोशनलाल और राजेन्द्र का कहना है कि पूर्व में नहरों के सुदृढ़ीकरण के दौरान सीएडी विभाग ने अलग-अलग हिस्सों में काम करवाया गया। संवेदक नहरों के पक्का करने के नाम पर लीपापोती कर चले गए। पाटन ब्रांच में नहरों के नालों के पास कच्ची जगह छोड़ दी गई। इस ब्रांच में अण्दपुरा नाले के पास कच्चा छोड़ दिया, जो कार्य किया वह निर्धारित मापदंड के अनुसार नहीं किया। लाखों रुपए खर्च कर जो पक्का कार्य करवाया गया, वह अभी से उखड़ने लग गया।
खरपतवार रोक सकती है अमृत की राह
अब तक टेल क्षेत्र में वितरिकाओं की साफ - सफाई का कार्य अधूरा पड़ा है, जिससे जल प्रवाह शुरू करने के बाद टेल क्षेत्र तक पानी पहुंचना मुश्किल लग रहा है। टेल के रामपुरा, जखाना, मंडित्या, छावनियां, बीचडी, हणुतीया आदि वितरिकाओं की हालत खराब है। सभी खरपतवार से भरी पड़ी है। हालांकि बरसात रुकने के बाद सीएडी विभाग ने समय रहते बूंदी ब्रांच सहित वितरिकाओं में मनरेगा के तहत श्रमिक लगाकर साफ-सफाई और जंगल कटिंग का कार्य शुरू कर दिया है, जिससे लोगों को समय पर टेल में पानी पहुंचने की उम्मीद दिखाई दी है, लेकिन अब मांग बढ़ने की संभावना बनी हुई है। सीएडी विभाग किसानों की मांग पर जल प्रवाह शुरू करता है तो टेल में पानी पहुंचना मुश्किल लग रहा है।
हाड़ौती का नहरी तंत्र
- 2.14 लाख हैक्टेयर जमीन सिंचित होती है हाड़ौती की
- 2.29 लाख हैक्टेयर जमीन सिंचित होती है मध्यप्रदेश की
- 29 हजार हैक्टेयर में लिफ्ट परियोजनाओं से होती है सिंचाई
- 6656 क्यूसेक दायीं मुख्य नहर की जल प्रवाह क्षमता
- 1500 क्यूसेक बायीं मुख्य नहर की जल प्रवाह क्षमता
- 03 लाख कोटा, बूंदी व बारां के किसान लाभान्वित
दायीं नहर में छोड़ा पानी, बायीं में अभी इंतजार
रबी सीजन के तहत अब खेतों में गेहूं की बुवाई का कार्य शुरू हो गया है। इस कारण सीएडी प्रशासन ने मंगलवार को दायीं नहर में जलप्रवाह शुरू कर दिया है। अभी नहर में 1050 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है। अभी मध्यप्रदेश से नहरी पानी की डिमांड नहीं आई है। इसलिए यह पानी हाड़ौती के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। मध्यप्रदेश से डिमांड आने के बाद दायीं नहर में जलप्रवाह की मात्रा बढ़ाई जाएगी। वहीं अभी बायीं नहर में जलप्रवाह शुरू नहीं किया गया। इस समय बूंदी जिले में वितरिकाओं की मरम्मत और साफ-सफाई का कार्य चल रहा है। यदि समय रहते कार्य पूरा नहीं हुआ तो टेल क्षेत्र के किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
दायीं और बायीं नहर से जुड़ी वितरिकाएं कई जगह पर कचरे से अटी पड़ी हैं वही कुछ स्थानों से क्षतिग्रस्त भी हो रही है। हर साल जर्जर नहरी तंत्र के कारण टेल क्षेत्र के किसानों को नहरी पानी के लिए इंतजार करना पड़ता है।
- जगदीश कुमार, किसान नेता
फिलहाल टेल में पानी की मांग नहीं है। नहर में जल प्रवाह शुरू करने से पूर्व वितरिकाओं और मुख्य केनाल में मनरेगा के श्रमिकों से साफ -सफाई और जंगल कटिंग कार्य करवाया जा रहा है।
- नाथूलाल, सहायक अभियंता, सीएडी

Comment List