एस्ट्रोटर्फ मैदान और प्रोत्साहन मिले तो फिर जीत जाए हॉकी

खल रहा सुविधाओं का अभाव, कभी सिरमौर थी कोटा में हॉकी

एस्ट्रोटर्फ मैदान और प्रोत्साहन मिले तो फिर जीत जाए हॉकी

हॉकी खेल का गढ़ रहा कोटा वर्तमान में सुविधाओं का अभाव झेल रहा है। कोटा में ओलंपियन और राष्टÑीय स्तर के खिलाड़ी तो तैयार हुए, लेकिन जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी उसके लिए अभी भी जद्दोजहद जारी है।

कोटा। हॉकी खेल का गढ़ रहा कोटा वर्तमान में सुविधाओं का अभाव झेल रहा है। कोटा में ओलंपियन और राष्टÑीय स्तर के खिलाड़ी तो तैयार हुए, लेकिन जो सुविधाएं मिलनी चाहिए थी उसके लिए अभी भी जद्दोजहद जारी है। यदि प्रोत्साहन और एस्ट्रोटर्फ (कृत्रिम घास का) मैदान मिल जाए तो कोटा फिर से हॉकी का सिरमौर बन सकता है। हॉकी के लिए उपजाऊ रही हाड़ौती की जमीन को प्रोत्साहन की दरकार है। यहां एक जमाने में गली-गली में हॉकी का बोलबाला था। कोटा के रेलवे कॉलोनी, नयापुरा में फ्रेंडस क्लब व कुन्हाड़ी में विजयवीर क्लब सहित कई क्लब ऐसे थे, जिनकी हॉकी की दो-दो टीमें बन जाया करती थी। रेलवे कॉलोनी क्षेत्र में तो गली-गली में हॉकी खेली जाती थी। कई साल तक 8 टूर्नामेंट कोटा के अलग-अलग मैदानों में होते थे। सबसे बड़ा टूर्नामेंट आॅल इंडिया श्रीराम हॉकी टूर्नामेंट होता था, जिसमें भारत की नामी गिरामी टीमें भाग लेती थी। यहां के बच्चों में भी हॉकी के प्रति लगाव थे।

समय बदला व्यवस्थाएं नहीं
कोटा शहर में हॉकी के माध्यम से कई खिलाड़ी ओलंपिक और राष्टÑीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पहुंचे है। इसके बावजदू यहां पर सुविधाएं विकसित करने पर ध्यान नहीं दिया गया है। इसमें सबसे ज्यादा समस्या खेल मैदान की नजर आई। हॉकी का खेल एस्ट्रोटर्फ (कृत्रिम घास का) मैदान पर खेला जाता है, लेकिन कोटा में इसका अभाव है। यहां पर समुचित सुविधायुक्त एक भी मैदान नहीं है। ऐसे में हॉकी के खिलाड़ी सामान्य मैदान के भरोसे अपनी प्रतिभा निखार रहे हैं।

अभी यहां तैयार हो रही प्रतिभाएं
कोटा शहर में हॉकी के लिए सुविधायुक्त खेल मैदान नहीं है। वर्तमान में रेलवे वर्कशॉप मैदान में हॉकी के खिलाड़ियों को तैयार किया जा रहा है। इस समय यहां पर करीब से 80 युवक हॉकी की प्रेक्टिस कर रहे हैं। एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं होने से परेशानी तो होती है, लेकिन अच्छे खिलाड़ी तैयार करने की कोशिश जारी है।

यह रोशन कर चुके कोटा का नाम
सुविधाओं का अभाव होने के बावजूद हॉकी के खिलाड़ी ओलंपिक व राष्टÑीय स्तर की प्रतियोगिताओं में कोटा का नाम रोशन कर चुके हैं। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ओलंपिक में खेल चुके हैं। कोटा में खेलते हुए उन्हें रेलवे में नौकरी मिली थी। बाद में वह टीम इंडिया में भी पहुंच गए थे। इनके अलावा हेमंत चतुर्वेदी, रितिक कश्यप, अमन खान, मसरूर, दीपक निनामा, प्रेमप्रकाश, कार्तिक, राहुल मीणा, मोहिन, अंकित शर्मा, श्याम सिंह, सुधीर सिंह, हर्षित कुमार राष्टÑीय स्तर पर कोटा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं अभी हाल ही में कुणाल कोण्डल व प्रांशुल कुमार का राज्य स्तरीय अकेडमी में चयन हुआ है।

इनमें हम काफी पीछे 
प्रदेश में राज्य सरकार हर तरह के खेल को प्रोत्साहित करने की बात कहती है, लेकिन कोटा में हॉकी प्रोत्साहन से कोसों दूर हैं। राजस्थान में जयपुर, अजमेर और उदयपुर में एस्ट्रोटर्फ मैदान हैं और यहां पर खिलाड़ियों को समूचित सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं कोटा हॉकी का सिरमौर होने के बावजूद एस्ट्रोटर्फ मैदान को तरस रहा है। ऐसे में राष्टÑीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने की गति काफी धीमी हो गई है।

अधरझूल में खेल मैदान का प्रस्ताव
हॉकी कोच हर्षवर्धन चूंडावत ने बताया कि एक साल पहले जिला क्रीड़ा परिषद ने कोटा के रेलवे विभाग को खेल मैदान उपलब्ध कराने के सम्बंध में पत्र भेजा था। इस सम्बंध में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भी बात की गई थी। उन्होंने खेल मैदान उपलब्ध होने के बाद एस्ट्रोटर्फ की सुविधा तैयार करवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक रेलवे ने इस मामले में कोई गम्भीरता नहीं दिखाई। ऐसे में मामला अधरझूल में है।

इनका कहना है......
उचित खेल मैदान और सुविधाओं के अभाव में हॉकी खेल को प्रोत्साहित करने में परेशानी आती है। यहां पर हॉकी का क्रेज है, फिर भी एस्ट्रोटर्फ मैदान नहीं है। सरकार के स्तर पर जमीन उपलब्ध हो जाए तो हॉकी का बेहतर मैदान तैयार हो सकता है। राष्टÑीय व अन्तरराष्टÑीय स्तर पर खिलाड़ी तभी पहुंच पाएगा जब यहां पर उसी के अनुरूप सुविधा मिलेगी। यह सभी के प्रयास के संभव हो पाएगा।
-हर्षवर्धन चूंडावत, हॉकी कोच

कोटा में हॉकी खेल का विकास जरूरी है। कई नामी गिरामी खिलाड़ी होने के बावजूद यहां पर पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाई। वर्तमान में हॉकी कोटा से राजपूत हॉकी क्लब, विजयवीर क्लब, रेलवे स्पोर्टस क्लब सोसायटी, यंग ब्वाइज क्लब और यंग स्टार क्लब जुड़े हुए हैं। पूर्व में काफी क्लब हुआ करते थे, लेकिन अब समय के साथ क्लब भी बदल गए हैं।
-सुमेर सिंह, सचिव, हॉकी कोटा

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