ट्रैफिक लाइट सिग्नल फ्री बनाने के प्रयास में यूआईटी ने शहर को जबरन जाम में झौंका
ट्रैफिक जाम से बढ़ी लोगों की परेशानी : जगह-जगह बना दिए बड़े-बड़े सर्किल
हर चौराहे पर 25 से 50 करोड़ रुपए तक खर्च किए गए। जिसका मकसद शहर में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार कर उसे आसान बनाना था। लेकिन हालत यह है कि यह दावा तो पूरा नहीं हो सका। उसकी जगह परेशानी अधिक बढ़ गई है। अब हर चौराहे पर और छोटी-छोटी जगह पर जाम लगने लगा है।
कोटा । नगर विकास न्यास का शहर को ट्रैफिक लाइट सिग्नल फ्री बनाने का दावा अभी तक तो पूरा नहीं हुआ। जबकि जगह-जगह पर बड़े-बड़े सर्किल बनाकर लोगों को जबरन जाम में झौंक दिया है। न्यास द्वारा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर को ट्रैफिक लाइट सिग्नल फ्री बनाने के लिए फलाई ओवर व अंडरपास पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए। शहर में झलावाड़ रोड पर अनंतपुरा से रेलवे स्टेशन तक को सिग्नल फ्री बनाने का दावा किया जा रहा है। इसके लिए अनंतपुरा में फ्लाई ओवर, गोबरिया बावड़ी में अंडरपास, सिटी मॉल के सामने एलिवेटेड रोड, एरोड्राम चौराहे पर अंडरपास, कोटड़ी चौराहे पर ग्रेड सेपरेटर और अंटाघर चौराहे पर अंडरपास का निर्माण कराया गया है। हर चौराहे पर 25 से 50 करोड़ रुपए तक खर्च किए गए। जिसका मकसद शहर में ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार कर उसे आसान बनाना था। लेकिन हालत यह है कि यह दावा तो पूरा नहीं हो सका। उसकी जगह परेशानी अधिक बढ़ गई है। शहर में अघोषित रूप से जगह-जगह पर कई चौराहे बना दिए। जहां से ट्रैफिक सुविधा जनक व आसानी से निकलने की जगह परेशानी का कारण बन गया है। पहले जहां कुछ ही चौराहों पर जाम लगता था। वहीं अब हर चौराहे पर और छोटी-छोटी जगह पर जाम लगने लगा है। वह भी पहले जहां सुबह-शाम परेशानी होती थी। अब पूरे दिन परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
यहां बढ़ी अधिक परेशानी
जिस झालावाड़ रोड पर ट्रैफिक को स्मूथ चलाने का दावा किया जा रहा है। वहां की हालत यह है कि गोबरिया बावड़ी में अंडरपास की दोनों सड़क खोदने से वहां से ट्रैफिक का आवागमन बंद किया हुआ है। जिससे पहली परेशानी वहीं से शुरू हो रही है। उसके बाद हवाई अड्डे के सामने से लायंस क्लब होते हुए डीसीएम जाने वाले मार्ग पर अघोषित चौराहा बना दिया है। वहां चारों तरफ से ट्रैफिक आने से वाहनों का सुविधा जनक निकलने से जाम व दुर्घटनाओं का खतरा अधिक हो गया है। दिनभर वाहन आपस में टकराते रहते हैं। कोटड़ी चौराहे पर ग्रेड सेपरेटर का सिर्फ ऊपरी हिस्सा चालू हुआ है। अभी तक न तो अंडरपास तैयार हुआ और न ही एप्रोच रोड। ऐसे में वहां से वाहन आसानी से नहीं निकल पा रहे हैं। यहां भी दोनों तरफ के वाहन एक साथ निकलने में परेशानी हो रही है। बड़ तिराहा हो या जेडीबी कॉलेज के सामने का चौराहा। यहां भी चारों तरफ से वाहनों का आवागमन हो रहा है। जिससे बिना किसी व्यवधान के वाहन आसानी से नहीं निकल पा रहे हैं। यहां हर समय हादसे का खतरा और जाम की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह से घोड़े वाले बाबा चौराहा हो या वल्लभ नगर चौराहा। ज्वाला तोप चौराहा हो या इंदिरा गांधी तिराहा। किसी भी जगह पर वाहन बिना परेशानी के नहीं निकल पा रहे हैं। सबसे अधिक परेशानी डीसीएम रोड पर नई धानमंडी के सामने जबरन बना दी गई है। यहां धानमंडी के सामने का रास्ता बंद कर दिया। उसके सामने चौराहे के नाम पर काफी बड़ी रोटरी बना दी। ऐसे में डीसीएम से धानमंडी जाना, धानमंडी से एरोड्राम जाना, झालावाड़ रोड से आकर धानमंडी जाना परेशानी का कारण बन गया है। साथ ही अधिकतर वाहनों को जबरन रोंग साइड से निकलने के लिए मजबूर किया गया है। जिससे यहां दिन में कई बार हादसे हो रहे हैं और जाम लग रहा है।
यह है लोगों की पीड़ा
डीसीएम रोड पर पहले आसानी से ट्रैफिक निकल रहा था लेकिन धानमंडी के सामने सर्किल बनाकर व्यवस्था सुधारने की जगह बिगाड़ दी। उसी तरह की हालत एरोड्राम अंडरपास बनाकर कर दी। चौराहे को छोटा करने की जगह चक्कर घिन्नी कर दिया है।
-सलीम खान, कंसुआ
शहर में विकास होना अच्छा है। लेकिन शहर को ट्रैफिक लाइट सिग्नल फ्री बनाने के नाम पर जिस तरह से हर चौराहे पर ट्रैफिक जाम में जबरन झौंक दिया है उससे परेशानी कम होने की जगह बढ़ी है। न्यास द्वारा बिना किसी प्लानिग के जो काम करवाए जा रहे हैं। वह जनता के लिए दु:खदायी हो गए।
-संजय सिंह, दादाबाड़ी
शहर में अंडरपास व फ्लाई ओवरों की बाढ़ सी आ गई है। लेकिन उनका लाभ आमजन को नहीं मिल रहा है। जिस तरह से काम करवाए जा रहे हैं। उससे न्यास अधिकारी, ठेकेदार व इंजीनियरों को अधिक लाभ हो रहा है। हालत यह है कि पहले आसानी से शहर में जा रहे थे। लेकिन अब घर से निकलने से पहले सोचना पड़ रहा है कि किधर से जाएं। हर चौराहे पर यही समस्या हो गई है।
-श्वेता गर्ग, बल्लभबाड़ी
नहीं दिया जवाब
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए ट्रैफिक लाइट सिग्नल फ्री शहर की जगह लोगों को हो रहे परेशानी के बारे में न्यास सचिव राजेश जोशी से बात करनी चाही। लेकिन वे जवाब देने से बचते रहे।

Comment List