नवीन आयुर्वेद चिकित्सालय निर्माण की 32 करोड़ की योजना फाइलों में उलझी

100 बेड के अस्पताल और हॉस्टल के लिए मांगी संजीवनी

नवीन आयुर्वेद चिकित्सालय निर्माण की 32 करोड़ की योजना फाइलों में उलझी

एनसीआइएसएम की तलवार लटकी तो जागा प्रशासन।

कोटा। प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने के सरकारी दावों के बीच कोटा का राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय अपने अस्तित्व और विस्तार की लड़ाई लड़ रहा है। स्थिति यह है कि 'नवीन आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा एकीकृत महाविद्यालय' के निर्माण के लिए स्वीकृत 40 करोड़ की राशि में से 22 करोड़ खर्च कर कॉलेज की इमारत बनाई गई, जिसका उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 6 नवंबर को किया था। दूसरी ओर करीब 32 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित नए चिकित्सालय भवन निर्माण का नक्शा दिल्ली से अनुमोदित होने के बावजूद एक बार फिर कागजी कार्यवाही में अटक गई है। हाल ही में आयुर्वेद चिकित्सालय भवन का पीडब्ल्यूडी द्वारा भौतिक परीक्षण किया गया, लेकिन अभी रिपोर्ट अटकी हुई है। वहीं दूसरी और प्राचार्य डॉ. नित्यानंद शर्मा की ओर से अजमेर स्थित निदेशालय से लगातार पत्राचार करने के बावजूद भी रूचि नहीं दिखा रहा है। 

अब, नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम आॅफ मेडिसिन (एनसीआइएसएम) के कड़े मानकों की तलवार लटकी तो महाविद्यालय प्रशासन हरकत में आया है। प्राचार्य डॉ. नित्यानंद शर्मा ने आयुर्वेद विभाग के निदेशक (अजमेर) को लगातार पत्र लिखकर तलवंडी स्थित जर्जर चिकित्सालय की दशा सुधारने और नवीन निर्माण के लिए बजट जारी करने की गुहार लगाई है। साथ ही, सत्र 2025-26 और 2026-27 के लिए बजट फाइनलाइजेशन कमेटी (बीएफसी) को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजकर 32 करोड़ रुपए के बजट की मांग की है ताकि संस्थान की सूरत बदली जा सके। बता दें कि आयुर्वेद चिकित्सालय का भवन करीब 1998 में यह बिल्डिंग बनी हुई है जो अब जर्जर अवस्था में है।

ये है प्राथमिकता
-प्रस्ताव में 100 बेड की क्षमता वाले नवीन चिकित्सालय भवन निर्माण के लिए पूर्व में स्वीकृत, लेकिन अब तक अटकी हुई 32 करोड़ रुपए की राशि को स्वीकृत करने का प्रस्ताव प्रमुखता से रखा गया है।
- बाहर से आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए नवीन महाविद्यालय परिसर में ही 15 करोड़ रुपए की लागत से हॉस्टल निर्माण की मांग की गई है, जिससे छात्रों को सुरक्षित और सुगम आवास मिल सके।
-कॉलेज में 10.5 करोड़ रुपए की लागत से एक आधुनिक फामेर्सी के निर्माण का प्रस्ताव है, जहां आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण और वितरण सुचारू रूप से हो सकेगा।
-5 करोड़ रुपए की लागत से अत्याधुनिक पैथोलॉजी लैब स्थापित करने की योजना है, जिससे मरीजों को जांच के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।
-इसके अतिरिक्त, छात्रों और स्टाफ के लिए 1.5 करोड़ रुपए से कैंटीन निर्माण की योजना भी शामिल है।

हर्बल गार्डन और म्यूजियम पर रहेगा फोकस
एनसीआइएसएम के मानकों के अनुसार, छात्रों को जड़ी-बूटियों का व्यावहारिक ज्ञान होना अनिवार्य है। इसके लिए रसशास्त्र और द्रव्यगुण विभाग में 50 लाख रुपए की लागत से एक म्यूजियम तैयार किया जाएगा, जहां दुर्लभ औषधियों और खनिजों के नमूने रखे जाएंगे। वहीं परिसर में 20 लाख रुपए की लागत से हर्बल गार्डन विकसित करने की मांग की गई है, ताकि छात्र औषधीय पौधों को करीब से जान सकें।

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नवीन विस्तार योजना को सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेंगे
नवीन आयुर्वेद कॉलेज का भवन पूर्ण रूप से तैयार हो चुका है। निर्माण मद में प्राप्त 21 करोड़ रुपए में से लगभग 1.5 करोड़ रुपए शेष बचे हैं, जिनका उपयोग कॉलेज में सड़क निर्माण में किया जाएगा। कॉलेज व हॉस्पिटल पहले से आपस में अटैच हैं, जिससे छात्रों और मरीजों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। आयुर्वेद चिकित्सालय के विस्तार से संबंधित कोई नई योजना बनेगी तो उसे प्राथमिकता से सरकार के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
-डॉ. आनंद शर्मा, निदेशक, आयुर्वेद, अजमेर

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रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी
हमने तलवंडी स्थित आयुर्वेद चिकित्सालय का निरीक्षण किया है। जहां भवन की भौतिक स्थिति से लेकर विभिन्न पहलुओं का बारीकी से आकलन किया है। निरीक्षण में सामने आए महत्वपूर्ण बिंदुओं को संकलित कर विस्तृत रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है। अब आगे की कार्रवाई और आवश्यक टेस्ट संबंधी निर्णय वही लेंगे।
-प्रज्ञा शर्मा, एईन, पीडब्ल्यूडी, कोटा
 
पत्र व्यवहार के बावजूद जांच अटकी
तलवंडी स्थित आयुर्वेद अस्पताल के नए भवन निर्माण की प्रक्रिया एक बार फिर कागजी कार्यवाही में अटक गई है। करीब 32 करोड़ रुपए की लागत से प्रस्तावित नए भवन का नक्शा दिल्ली से अनुमोदित कराकर लाया गया था। इसके आधार परआरएसआरडीसी ने तकमीना तैयार किया और नया प्लान बनाकर विभाग को सौंप दिया। इसके बाद संपूर्ण प्रकरण डीएफसी को भेजा गया, लेकिन वहीं से यह आपत्ति आई कि पहले से बना अस्पताल भवन नए निर्माण के योग्य है या नहीं, इसकी पीडब्ल्यूडी विभाग की रिपोर्ट संलग्न करना जरूरी है। इस पर 18 नवंबर को विभाग ने पीडब्ल्यूडी को पत्र भेजकर भवन की तकनीकी जांच कराने का अनुरोध किया, उसी को लेकर दो दिन पूर्व एईएन प्रज्ञा शर्मा स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट लेकर लौट चुकी हैं। वहीं अधीक्षण अभियंता जेपी गुप्ता से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि अंतिम रिपोर्ट पर एक्सईएन लाखनसिंह के हस्ताक्षर होने हैं, लेकिन लाखनसिंह से संपर्क करने के प्रयासों के बावजूद कोई जवाब नहीं मिल पाया।
-डॉ. नित्यानंद शर्मा, प्राचार्य,राज. आयु. योग एवं प्राकृ.चिकि. एकीकृत महाविद्यालय एवं संबंद्ध चिकित्सालय, कोटा

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