बिना कंट्रोल चल रही लिफ्ट, आए दिन हो रहे हादसे

आमजन से जुड़े सरकारी विभागों तक में हाल बेहाल : समय पर मेंटेनेंस हो रही ना सरकारी एजेंसियों की मॉनिटरिंग

बिना कंट्रोल चल रही लिफ्ट, आए दिन हो रहे हादसे

बहुमंजिला इमारतों में बिल्डर व सोसायटी संचालक वसूल रहे शुल्क

कोटा। शहर के विकास व विस्तार के साथ ही यहां बहुमंजिला इमारतों की बाढ़ सी आ गई है। इन आवासीय व व्यवसायिक इमारतों में आवागमन  की सुविधा के लिए लिफ्ट तो लगाई जा रही है लेकिन उनमें किसी भी प्रावधान का उपयोग नहीं किया जा रहा। यहां तक कि आमजन से जुड़े सरकारी विभागों तक में आए दिन लिफ्ट बंद व खराब होने की समस्या बनी हुई है। साथ ही कई बार हादसे भी हो चुके है। बहुमंजिला इमारत चाहे आवासीय सोसायटी हो या होटल, हॉस्टल हो या मॉल। यहां तक कि बड़े शिक्षण संस्थानों तक में सीढ़ियों के साथ लिफ्ट लगने लगी है। हर बिल्डर व सोसायटी के अलावा संबंधित व्यवसायिक इमारतों में मालिकों द्वारा ही अपने स्तर पर लिफ्ट लगवाई जा रही है। जिनकी न तो समय पर मेंटेनेंस हो रही है और न ही उनकी नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। जिससे आए दिन उन लिफ्ट के कभी खराब होने तो कभी लोगों के उनमें फंसने के मामले सामने आ रहे है। इतना ही नहीं सोसायटी में रहने वाले फ्लैट मालिकों से बिल्डर व सोसायटी संचालक मेंटेनेंस के नाम पर हर महीने हजारों रुपए शुल्क भी वसूल रहे है। लेकिन लिफ्ट की मेंटेनेंस नियमित नहीं हो रही है। शहर में 10 से 18 मंजिला तक की इमारतें हैं जिनमें बिना लिफ्ट के ऊपरी मंजिल तक पहुंचना भी मुुश्किल है। 

निगम की दोनों लिफ्ट बंद
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की दोनों लिफ्ट पिछले कई दिन से बंद है। जिनकी सप्लाई ही बंद की हुई है। उत्तर की लिफ्ट मेंटेनेंस के लिए तो दक्षिण की बदहाल होने से बंद की हुई है। जिससे तीसरी मंजिल पर जाने के लिए लोगों को सीढ़ियों का उपयोग करना पड़ रहा है।  निगम कार्यालय में लिफ्ट प्रशासनिक भवन के साथ ही वर्ष 2012 में लगी थी। कोटा विकास प्राधिकरण में नव विस्तारित भवन में लिफ्ट लगी हुई है। इसे लगे हुए अभी 4 साल ही हुए हैं। जुलाई 2021 में इस भवन का उद्घाटन हुआ था। उसी समय यहां लिफ्ट लगाई गई थी। जिससे वह सही हालत में है। 

पहले हो चुके कई हादसे
गत वर्ष जुलाई में आर.के. पुरम् क्षेत्र स्थित बहुमंजिला इमारत में लिफ्ट के अचानक बंद होने से एक महिला फंस गई थी। जिसे निकालने के दौरान वह तीसरी मंजिल से नीचे गिर गई थी। जिससे ुसकी मौत हो गई थी। उसी तरह से शहर में कई अन्य घटनाएं हो चुकी है। एक -दो जगह तो ल्फिट खराब होने से लोगों के फंसने तक के मामले हो चुके है।  हालांकि पूर्व में हो चुके हादसों को देखते हुए अब अधिकतर जगह पर पारदर्शी लिफ्ट लगने लगी है। जिससे उसके बंद या खराब होने पर बाहर से ही लोगों के उसमें फ़ंसे होने का पता चल सके। जानकारों के अनुसार सरकारी विभागों में लिफ्ट खराब होने का प्रमुख कारण वहां गार्ड नहीं होना है। जिससे दिनभर लोग अपनी मर्जी से बटन  दबाकर उसका उपयोग करते है। साथ ही पब्लिक लिफ्ट का भी सर्विस लिफ्ट की तरह भारी सामान ले जाने में करते हैं। 

प्रावधान व मेंटेनेंस जरूरी
शॉपिंग सेंटर निवासी रोहित सिंह राजावत ने बताया कि जिस तरह से मल्टी स्टोरी में फायर सिस्टम का प्रावधान किया हुआ है। उसी तरह से लिफ्ट लगाने के लिए भी नियम व प्रावधान होने चाहिए।  जिससे  वहां जिम्मेदारी तय हो सके और उस मल्टी में रहने वालों के जीवन से खिलवाड़ नहीं हो सके। झालावाड़ रोड स्थित एक मल्टी स्टोरी में रहने वाले अशोक नुवाल का कहना है कि मल्टी में जिस कम्पनी की लिफ्ट है उसी कम्पनी को इसके मेंटेनेंस का ठेका दिया हुआ है। कम्पनी द्वारा समय-समय पर इसकी मेंटेनेंस की जा रही है। जिससे यह पिछले कई सालों से सही काम कर रही है। 

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सरकारी एजेंसी की नहीं मॉनिटरिंग
केडीए के वुरष्ठ नगर नियोजक का कहना हैकि मल्टी स्टोरी में लिफ्ट लगाने के संबंध में नेशनल बिल्डिंग कोड(एनबीसी) में प्रावधान किया हुआ है। उसमें उसकी गुणवत्ता का भी उल्लेख है। लेकिन बिल्डिंग में लिफ्ट लगने के बाद सरकारी एजेनसी द्वारा उसकी मॉनिटरिंग का कोई प्रावधान नहीं है। संबंधित सोसायटी व बिल्डर और सरकारी कार्यालयों में संबंधित विभागों की ही जिम्मेदारी है। कि वह समय-समय पर उसकी मेंटेनेंस करवाएं। 

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इनका कहना है
 नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की लिफ्ट को मेंटेनेंस के लिए बंद किया हुआ है। निगम की लिफ्ट की शुरुआत में तो कम्पनी द्वारा ही मेंटेनेंस की जाती थी। बाद में उसका पैनल चैंज कर अब निजी कम्पनी व संवेदक को उसका ठेका दिया  हुआ है। कम्पनी इंजीनियर व निगम इंजीनियर हर सप्ताह उसकी जांच करते है। लिफ्ट पुरानी होने से उसकी मेंटेनेंस के लिए सप्लाई बंद की हुई है। उत्तर की लिफ्ट तो जल्दी ठीक हो जाएगी। जबकि दक्षिण निगम में नई व आधुनिक तकनीक वाली लिफ्ट लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। 
- सचिन यादव, अधिशाषी अभियंता(विद्युत) नगर निगम कोटा उत्तर/दक्षिण

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