न खेलने को मैदान, न सिखाने को शिक्षक, कैसे मिले मैडल

कोच मिला न प्रशिक्षण, भगवान भरोसे खेल प्रतिभाएं

न खेलने को मैदान, न सिखाने को शिक्षक, कैसे मिले मैडल

कॉलेजों में चल रहा इंटर कॉलेज स्पोर्ट्स कॉम्पिटीशन।

कोटा। कोटा विश्वविद्यालय की ओर से  इंटर कॉलेज स्पोर्ट्स कॉम्पिटीशन का आयोजन किया जा रहा है। विवि से एफीलेटेड सभी कॉलेजों के बीच 4 सितम्बर से खेल प्रतियोगिताएं हो रही हैं। लेकिन कुछ कॉलेज ऐसे भी हैं, जिनके विद्यार्थी बिना प्रशिक्षण व गाइड के खेल रहे हैं। ऐसे में इनका गेम्स में पदक हासिल करना तो दूर जीतना तक मुश्किल हो रहा है।   संभाग के सबसे बड़े कला महाविद्यालय कोटा के छात्र    भी ऐसे ही हालातों से गुजर रहे हैं। हालात यह है, 12 दिन बाद भी छात्रों को गेम्स के तौर-तरीके सीखने के लिए स्पोर्ट्स टीचर तक नहीं लगाए गए। ऐसे में छात्र प्रतियोगिताओं में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे। महाविद्यालय प्रशासन की अनदेखी से छात्रों में नाराजगी है। 

बिना मैदान कैसे करें प्रैक्टिस
राजकीय कला महाविद्यालय कोटा के नए भवन में स्पोट्स ग्राउंड नहीं है। चारों ओर झाड़-झंकाड़ का जंगल उगा हुआ है। विद्यार्थियों के खेलने की जगह नहीं होने से उन्हें स्टेडियम या फिर गवर्नमेंट साइंस कॉलेज में जाना पड़ता है। लेकिन वहां भी फुटबॉल कोर्ट, कबड्डी, खो-खो व हॉकी जैसे आउटडोर गेम्स की तैयारी के लिए मैदान नहीं है। ऐसे में विद्यार्थी पहले मैच में ही बाहर हो जाते हैं। 
सीखे बिना खेल रहे गेम्स
छात्रनेता रिद्वम शर्मा ने बताया कि अंतर महाविद्यालय स्पोर्ट्स प्रतियोगिता के तहत गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज  के विद्यार्थी बिना ट्रैनिंग के ही शतरंग, टेबल टेनिस, क्रॉसकंट्री से गैम्स खेल चुके हैं। उन्हें न तो खेल के नियमों की जानकारी और न ही बारीकियां सीखने वाला है। नतीजन, इनमें से कई गेम में मुंह की खानी पड़ी। स्पोर्ट्स में रुचि रखने वाले विद्यार्थी स्वयं के स्तर पर ही स्कूल मैदान व स्टेडियम में प्रेक्टिस कर रहे हैं। 

3 दिन बाद हॉकी,जूडो व रेसलिंग कॉम्पिटीशन
खेल कैलेंडर के अनुसार 19 व 20 सितम्बर से हॉकी, रेसलिंग, जूडो गेम्स शुरू होंगे। लेकिन, महाविद्यालय प्रशासन द्वारा अभी तक स्पोट्स टीचर नहीं लगाया गया। ऐसे में प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विद्यार्थी असमंजस्य में हैं कि उन्हें इन गेम्स के नियम-कायदे  व बारीकियां कौन सिखाएगा। जबकि, इंटर कॉलेज में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद प्रतिभागियों को स्टेट व नेशनल लेवल पर इंटर विश्वविद्यालय स्पोर्ट्स कॅम्पिटीशन में भाग लेने का मौका मिलता है। लेकिन, पीटीआई के अभाव में प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिल पा रहा।

1992 के बाद नहीं हुई भर्ती
सरकारी कॉलेजों में वर्ष 1992 के बाद से ही पीटीआई की भर्ती नहीं हुई। हर साल भर्ती की आस में बड़ी संख्या में युवा बीपीएड की डिग्री ले रहे हैं।  लेकिन, भर्ती के अभाव में उनके सपने चकनाचूर हो रहे हैं। अधिकतर कॉलेजों में पीटीआई का चार्ज भी प्रोफेसरों को सौंप रखा है। जिसकी वजह से वे न तो अपने मूल कार्य कर पाते और न ही छात्रों को स्पोर्ट्स सिखा पाते। हालात यह हैं, सरकारी कॉलेजों में स्पोर्ट्स के नाम पर महज औपचारिकता निभाई जा रही है। 

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सरकारी कॉलेजों में स्पोर्ट्स के हाल-बेहाल
कोटा संभाग में 44 राजकीय महाविद्यालय हैं। जिनमें से गवर्नमेंट कॉलेज बारां में ही एकमात्र पीटीआई हैं। शेष 43 कॉलेजों में शारीरिक शिक्षक नहीं है। कोटा विवि द्वारा जब अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जाता है तो महाविद्यालय द्वारा 3 से 4 माह के लिए संविदा पर शिक्षक रख लिया जाता है, जिसे प्रतियोगिता के बाद हटा दिया जाता है। इसके बाद पूरे साल स्पोर्ट्स सीखाने वाला नहीं होता। विद्यार्थी खेलों की बारीकियां व नियम कायदे नहीं सीख पाते। नतीजन, इंटर स्टेट लेवल की प्रतियोगिताओं से बाहर हो जाते हैं। 

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कॉलेज विकास समिति के माध्यम से स्पोट्स टीचर की नियुक्ति कर ली गई है। 18 सितम्बर से पीटीआई विद्यार्थियों को कैम्पस में स्पोर्ट्स का प्रशिक्षण देंगे, ताकि खेल प्रतिभाएं स्पोर्ट्स में बेहतर प्रदर्शन कर कॉलेज का नाम रोशन कर सके। खिलाड़ियों के लिए साधन-संसाधनों की कमी आड़े आने नहीं दी जाएगी। 
-प्रो. रोशन भारती, प्राचार्य, गवर्नमेंट कॉलेज कोटा

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क्या कहते हैं विद्यार्थी
मैं पिछले कई सालों से वॉलीबॉल खेल रहा हूं। इस साल इंटर कॉलेज टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट करुंगा, लेकिन बिना कोच व मैदान के बारीकियां नहीं सीख पा रहे। वहीं इस गेम में टेक्निक की आवश्यकता होती है, जो सीखने के लिए पीटीआई ही नहीं है। ऐसे में हम स्टेट लेवल के गेम्स में कैसे शामिल हो पाएंगे।  
- शाकिब पठान, छात्र द्वितीय वर्ष गवर्नमेंट कॉलेज

देश स्पोर्ट्स को प्रोत्साहन दे रहा है लेकिन कॉलेज स्तर पर अनदेखी की जा रही है। सरकारी कॉलेजों में बुरे हाल है। विद्यार्थियों को मजबूरी में निजी स्पोर्ट्स अकेडमी में कोचिंग करनी पड़ती है। महाविद्यालय प्रशासन को छात्रहित में पीटीआई की व्यवस्था करें। दिसम्बर तक टूर्नामेंट चलेंगे। 
- रोहित मालव, छात्रनेता, राजकीय महाविद्यालय

यूनिवर्सिटी के खेल कैलेंडर के अनुसार अब तक स्विमिंग, टेबल टेनिस, शतरंज क्रॉस कंट्री जैसे खेल निकल चुके हैं, लेकिन अभी तक कॉलेज प्रशासन ने स्पोर्ट्स टीचर नहीं लगाए। यह सभी गेम्स छात्रों ने बिना   तैयारी व प्रशिक्षण के खेले हैं। जबकि, आगामी हॉकी, जूडो, रेसलिंग सहित अन्य कई खेल आने वाले हैं, जिनकी प्रैक्टिस करने के लिए न तो खेल मैदान हैं और न ही संसाधन। महाविद्यालय की अनदेखी का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। यदि, दो दिन में स्पोर्ट्स टीचर नहीं लगाए गए तो भूख हड़ताल करेंगे। 
- रिद्धम शर्मा, छात्रनेता गवर्नमेंट कॉलेज कोटा

मैं फुटबॉल खिलाड़ी हूं, अगले महीने हमारा इंटर कॉलेज का मैच है, अभी तक हमें सीखाने व प्रेक्टिस करवाने के लिए कॉलेज प्रशासन ने पीटीआई तक नहीं लगाए। न ही कॉलेज में खेल मैदान है। मजबूरन हमें स्कूल या स्टेडियम जाना पड़ता है। 
- सिद्धम शर्मा, छात्र, प्रथम वर्ष गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज 

महाविद्यालय में एडमिशन के दौरान विभिन्न मदों में फीस वसूली जाती है, जिसमें स्पोर्ट्स फीस भी शामिल है। इसके बावजूद हमें सुविधाएं नहीं मिल रही। कॉलेज प्रशासन की अनदेखी से खेल प्रतिभाएं दम तोड़ रही है। जबकि, स्पोर्ट्स में रोजगार के कई अवसर मिलते हैं।
- वैभव मिश्रा, छात्रनेता, गवर्नमेंट कॉलेज

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