नगर निगम उत्तर के वार्ड 48 की परेशानियों से वार्डवासी ही नहीं पार्षद भी त्रस्त

पार्षद बोले नहीं हुआ वार्ड में कोई विकास कार्य

 नगर निगम उत्तर के वार्ड 48 की परेशानियों से वार्डवासी ही नहीं पार्षद भी त्रस्त

वार्ड के कुछ लोगों का यह भी कहना है कि वार्ड में छोटे-छोटे काम जरुर हुए है लेकिन कोई बड़ा विकास कार्य नहीं हुआ है। सड़कों पर दिनरात आवारा मवेशी और सूअर घूमते रहते हैं। नालियों की समय पर सफाई नहीं होती है।

कोटा । उस वार्ड में विकास कार्यों की परिभाषा ही क्या होगी, जिस वार्ड के पार्षद खुद ये कह रहे हो कि मुझे तो ये भी नहीं पता कि वार्ड में कौनसे विकास कार्य हुए हैं। मेरे हिसाब से तो वार्ड में कोई विकास कार्य हुए ही नहीं हंै। अलबत्ता कई बार मुझे तो ये तक लगता है कि मैं पार्षद हूं भी या नहीं। दरअसल नगर निगम उत्तर के वार्ड 48 का प्रतिनिधित्व भाजपा का पार्षद करते है और शायद यहीं इस वार्ड के वासियों की सबसे बड़ी पीड़ा है। यहीं कारण है कि वार्ड में चहुंओर अव्यवस्थाएं बनी हुई है। वार्ड के कुछ लोग कहते हंै कि पार्षद बीजेपी के हो या कांग्रेस के लेकिन वार्डवासियों को मूलभूत सुविधाएं तो मिलनी ही चाहिए। नगर निगम उत्तर के वार्ड नम्बर 48 में साबरमति कॉलोनी, बालाजी टाउन, विधात कॉलोनी, श्मशान, घूमचक्कर, गणेश चौक, कुम्हारों का मौहल्ला तथा सरकारी स्कूल आदि इलाकें आते हैं। यहां के लोग बताते हैं कि चाहे सफाई व्यवस्था हो या कुछ और वार्ड की हालात इतनी खराब है कि ये समझ ही नहीं आता कि यहां के जनप्रतिनिधि किस मुंह से खुद को स्मार्ट सिटी का बताते हैं। नालियां लगभग हरदम भरी रहती है। गंदा पानी सड़कों पर फैलता है। बड़ी बात तो ये है कि दूसरे वार्डों के विकास कार्य के लिए करोड़ या उससे अधिक की राशि दी गई है जो भी उनको कम पड़ रही है तो यहां के पार्षद को मिला ही आधा बजट है। उसमें क्या-क्या काम करवाएंगे? 

वहीं वार्ड के कुछ लोगों का यह भी कहना है कि वार्ड में छोटे-छोटे काम जरुर हुए है लेकिन कोई बड़ा विकास कार्य नहीं हुआ है। हम समस्याएं लेकर पार्षद के पास जाते हैं तो वो कहते है कि मेरे हाथ में कुछ भी नहीं है। अब हम किसके पास जाएं। वार्ड में खूब तो श्वान हैं, रातभर परेशान करते रहते हैं। निगम वाले इनको पकड़कर ही नहीं ले जाते हैं। बच्चों और बुजुर्गों का सड़क पर चलना तक मुिश्कल होता है। सड़कों पर दिनरात आवारा मवेशी और सूअर घूमते रहते हैं। नालियों की समय पर सफाई नहीं होती है। केवल वहां काम हो रहे है जहां सिर्फ कुछ लोग चाह रहे हैं और जिनकी निगम में चलती भी खूब है। वार्ड की कई गलियों में रात को अंधेरा पसरा रहता है। 

वार्डवासी बताते हैं कि हमारे वार्ड के साथ पूरी तरह से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। शहर के कई वार्डों में अच्छे-अच्छे काम हुए हैं लेकिन हमारे यहां तो पानी, बिजली की भी समस्याएं बनी हुई है। काम के नाम पर कुछ जगह सड़कें बनी हैं लेकिन उनमें भी जो सामग्री काम में ली गई हैं वो किसी काम की नहीं है। सड़कें बनी लेकिन कुछ समय बाद ही गिट्टी सड़क पर बिखरी नजर आने लगी। नालियां कई स्थानों पर ढकी हुई नहीं है। सफाईकर्मी टाइम नहीं आते हैं। कुछ काम की कहो तो उल्टा हमे ही कुछ कह देते हैं। कई सड़कों पर गड्ढेंÞ बने हुए है। वाहन चलाने में बहुत परेशानी होती है। निगम में जाकर भी बोला लेकिन कोई फायदा नहीं।  वार्ड पार्षद बताते है कि मेरे वार्ड के साथ पूरा सौतेला व्यवहार किया गया है। लगता ही नहीं कोई काम हुए भी हैं। ठेकेदार अपनी मर्जी से नालियां, सड़कें बना गए। अब खराब हो गई तो लोग मेरे पास आते हैं। अब मैं क्या करू जब मुझे कुछ पता ही नहीं। मेरे वार्ड में कार्यों के लिए 50 लाख रूपए स्वीकृत हुए थे जबकि दूसरे वार्डाें में जहां कांग्रेस के पार्षद है वहां कही दो करोड़ तो ढाई करोड़ के कार्य स्वीकृत हुए है। एक करोड़ से कम के काम किसी कांग्रेसी पार्षद के वार्ड के लिए स्वीकृत नहीं हुए हैं। 

इनका कहना हैं
निगम के चुनावों के बाद मंत्री ने ये कहा था कि सभी पार्षदों को बराबर मान दिया जाएगा। वार्ड के कार्यों के लिए समान राशि दी जाएगी लेकिन वो वादा धरातल पर सही नहीं उतरा। जब बजट ही स्वीकृत नहीं किया जा रहा तो कार्य कैसे होंगे। बड़ी बात तो ये है कि मैने तो खुद काम में हुए कार्यों की गुणवत्ता की जांच के लिए बोल रखा है। 
-रामगोपाल लोधा, वार्ड पार्षद।
 
वार्ड में बहुत सारी समस्याएं हैं। क्या क्या बताएं? एक दो जगहों को छोड़कर कही भी रोड नहीं बने हैं। जहां सड़कें बनी वहां नालियां नहीं बनी तो पानी घरों में घुसता है। मेरे घर पीछे एक नाला है। उसकी मरम्मत हुए ही बरसों हो गए है। ना सफाई समय पर होती है। 
-गिरीश लोधा, वार्डवासी। 

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