अब बारिश दे रही साइड इफैक्ट, इन्फ्लूएंजा बढ़ा

बारिश का दौर शुरू होते ही फ्लू की चपेट में आ रहे बच्चों से लेकर बुजुर्ग

अब बारिश दे रही साइड इफैक्ट, इन्फ्लूएंजा बढ़ा

इस मौसम में चार अलग-अलग प्रकार के वायरस होते हैं जो इन्फ्लूएंजा का कारण बन सकते हैं जिसे आम बोलचाल में फ्लू कहा जाता है।

कोटा। अभी डेंगू और स्क्रब टायफस से लोगों को परेशान हो रहे अब मौसम में आए परिवर्तन और फिर से मानसून सक्रिय होने के साथ इन्फ्लूएंजा के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। अस्पताल में सर्दी खांसी, जुकाम, बुखार के मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है। शहर के सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में इन दिनों मौसमी बीमारियों के मरीजों की भरमार हो रही है। अस्पताल में फ्लू के मरीजों की संख्या में इजाफा होने लगा है। शहर के सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में सर्दी, खांसी जुकाम के साथ डेंगू, मलेरिया और स्क्रब टाइफस के मरीज भी बढ़ने लगे है। फ्लू के मरीज को ठीक होने में 5 से 7 दिन तक समय लग रहा है।  एमबीएस की ओपीडी इन दिनों सामान्य से दुगनी चल रही है। ओपीडी में 200 से 2200 मरीज रोज आ रहे है। वहीं रामपुरा अस्पताल में मौसमी बीमारियों चलते अस्पताल फूल चल रहा है। 

पेट दर्द, जोड़ो के दर्द के मरीज बढ़े
डॉ. ओपी मीणा ने बताया कि इन दिनों कभी बारिश कभी गर्मी तो कभी नमी के चलते जोड़ो के दर्द के मरीजों के साथ पेट जनित बीमारियों के मरीज आ रहे है। ओपीडी में पेट दर्द, दस्त भूख नहीं लगने की शिकायत वाले मरीज करीब 50से 60 आ रहे है। जोडों में दर्द और फ्लू के मरीजों की संख्या 100 से 125 है। 

चार अलग-अलग वायरस कर रहे अटैक
मेडिसन विभाग के आचार्य व सीनियर फिजिशियन डॉ. मनोज सलूजा ने  बताया कि बारिश मौसम में फ्लू के मामले तेजी से बढ़ते हैं। इस मौसम में चार अलग-अलग प्रकार के वायरस होते हैं जो इन्फ्लूएंजा का कारण बन सकते हैं जिसे आम बोलचाल में फ्लू कहा जाता है। वैसे तो ये वायरस पूरे साल संक्रमण फैलाते हैं, लेकिन मानसून और सर्दी के मौसम में तापमान में ज्यादा उतार-चढ़ाव के कारण इनका प्रसार तेज हो जाता है। बच्चे इनमें से किसी भी वायरस के कारण फ्लू की चपेट में आ सकते हैं।

बैक्टीरियल न्यूमोनिया का बढ़ रहा खतरा
डॉ. एम पी गुप्ता ने बताया कि फ्लू वायरस नाक और गले के साथ-साथ कभी-कभी फेफड़ों को भी प्रभावित कर रहे है। यह पांच साल से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्गों के अस्पताल में भर्ती होने और उनकी असमय मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से है। बैक्टीरियल न्यूमोनिया, कान एवं साइनस इंफेक्शन होना शामिल है। वैक्सीनेशन से बचाव संभव: वैक्सीनेशन प्रभारी डॉ. देवेंद्र झालानी ने बताया कि फ्लू के चार में किसी भी वायरस के संक्रमण की चपेट में आने के खतरे को कम करने में फोर इन वन फ्लू वैक्सीनेशन सबसे प्रभावी तरीकों में से है। इंडियन एकेडमी आॅफ  पीडियाट्रिक्स और विश्व स्वास्थ्य संगठन 6 महीने से 5 साल की उम्र के बच्चों और 50 साल या इससे अधिक उम्र के लोगों को हर साल फ्लू का टीका लगवाने का सुझाव देते हैं, जिससे उन्हें इस तरह की जटिलताओं से बचाया जा सके। बताया कि हर साल फोर इन वन फ्लू वैक्सीनेशन ऐसे फ्लू की चपेट में आने और इस तरह की जटिलताओं से बच्चों को बचाने में कारगर हो सकता है। 

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ये लक्षण दिखाई दें तो सतर्क हो जाएं
शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. अलका मित्तल बताया कि  फ्लू के कुछ सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, ठंड लगना, गले में खराश, थकान, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द शामिल हैं। संक्रमित बच्चे या वयस्क के बात करते समय, खांसते या छींकते समय उनकी सांसों से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स के माध्यम से फैलते हैं। ये ड्रॉपलेट दरवाजे, स्कूल की डेस्क, किताब या खिलौनों पर भी गिर सकते हैं और जब कोई दूसरा बच्चा उन सतहों को छूता है, तो वह भी संक्रमण की चपेट में आ जाता है। टीकाकरण के साथ-साथ घर एवं स्कूल में सफाई रखें। बच्चों को समय-समय पर पानी और साबुन से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। 

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अभी तक मच्छर जनित बीमारियों के मरीज ओपीडी में आ रहे थे अब इन्फ्लूएंजा के मरीज भी आने लगे है। इस बार लगातार कूलर, एसी चलने और नमी का वातावरण रहने से इन्फ्लूएंजा के मरीज बढ़ रहे है। 
- डॉ. मनोज सलूजा, आचार्य मेडिसन विभाग मेडिकल कॉलेज कोटा

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