एक को पलकों पर बिठाया, दूसरी के स्वागत तक को कोई नहीं आया
एशिया लेवल पर राज्य का नाम गौरवान्वित कर शोभा माथुर पहुंची कोटा
ऑटो में बैठकर घर पहुंची स्वर्ण पदक विजेतां, बात यहां किसी से तुलना की नहीं है लेकिन जब एक बेटी को पलकों पर बिठाया जा रहा है तो दूसरी का स्वागत तक करने वाला कोई नहीं था।
कोटा। बेटियों को आगे बढ़ाओं, बेटियों को बचाओं, बेटियों को सुरक्षा दो और बेटियां हमारी शान है कुछ इस तरह के संदेश अौर नारों की जमीनी हकीकत सोमवार की सुबह कोटा के नयापुरा बस स्टेन्ड पर नजर आ गई जब एशियन पॉवर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण तथा स्ट्रांग वूमन इन एशिया की रनर अप के खिताब अपने नाम कर शहर का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखवाकर वापस कोटा पहुंची शोभा माथुर की अगवानी या स्वागत अभिनन्दन करने वाला ना तो कोई जनप्रतिनिधि नजर आया और ना ही किसी खेल संगठन से जुड़ा कोई पदाधिकारी या सदस्य।
प्रतियोगिता में शामिल थे भारत सहित 11 देश
केरल में आयोजित इस एशियन पॉवर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में भारत, हॉंगकांग, इंडोनेशिया, ईरान, कजाकिस्तान, फिलिफिंस, उजबेक्सितान, ओमान तथा मंगोलिया सहित 11 देशों के लगभग 250 खिलाड़ियों ने भाग लिया था। वाकई ये आश्चर्य की बात है कि जिन कोटावासियों ने हाल ही में फैमिना मिस इंडिया का खिताब अपने नाम कर कोटा लौटने पर नंदिनी गुप्ता के स्वागत, सम्मान में पलक पावड़े बिछा दिए। हर कोई उनके साथ सेल्फी लेने को आतुर नजर आया, शहर के कई संगठनों और संस्थाओं ने उनके सम्मान में कार्यक्रम रख उनको आंखों पर बिठाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
ऑटो में बैठकर घर पहुंची स्वर्ण पदक विजेता
गोल्ड मेडल हांसिल कर सोमवार को सुबह लगभग 8.30 बजे जयपुर से वाया बस नयापुरा बस स्टेन्ड पर पहुंची शोभा माथुर के सम्मान के लिए कोई नहीं पहुंचा। उनको पहचाने वाला तक नहीं था। वह नयापुरा से ऑटो में सवार होकर अपने निवास स्थान पर पहुंची। बात यहां किसी से तुलना की नहीं है लेकिन जब एक बेटी को पलकों पर बिठाया जा रहा है तो दूसरी का स्वागत तक करने वाला कोई नहीं था।
बेटी ने करवाया था जिम ज्वॉइन
कोई और इंसान होता तो संभवत: वो टूट चुका होता लेकिन इसी विपरितता में उनके ससुरालजनों और उनकी संतानों ने उनको संभाला और महज तीन महीने के बाद ही उनकी पुत्री ने उनको जिम ज्वॉइन करवाकर उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। या कहा जा सकता है कि यहीं से उनके जीवन ने यू टर्न लिया और वे एक टॉप स्पोटर्स पर्सन बनने में सफल हुई।
तमाम कठिनाइयों के बाद भी किया मुकाम हांसिल
गौरतलब है कि शोभा माथुर वो महिला खिलाड़ी हैं जिसने तमाम विपरितताओं को धत्ता बताते हुए, अपनी सभी सामाजिक, पारिवारिक और आर्थिक जिम्मेदारियों को निभाते हुए महज 3 से 4 साल में पॉवर लिफ्टिंग में वो मुकाम हांसिल किया है जिसे हांसिल करने में कईयों को बरसों लग जाते है या कुछ तो इस मुकाम के नजदीक तक पहुंच भी नहीं पाते हैं। अन्य महिलाओं की भांति माथुर का जीवन भी साल 2018 तक सामान्य या यू कहें हंसते खेलते चल रहा था लेकिन इसी साल उनके पति की असामायिक मृत्यु ने उनको मानसिक अवसाद की ओर धकेल दिया।
नेशनल लेवल पर भी मिले है गोल्ड और सिल्वर मैडल
माथुर बताती है कि बस उनके जिम ज्वॉइन करने के बाद कुछ ही दिनों में खुद को फिट और दिमागी तौर पर मजबूत महसूस करने लगी और उन्होंने स्पोटर्स के रूप में जो उनके स्कूली जमाने का शौक था उसके अपनाया और कोच, परिवारवालों और अन्य मार्गदर्शकों के सानिध्य में पॉवर लिफ्टिंग में दो बार नेशनल खेली और एक बार गोल्ड तथा एक बार सिल्वर मैडल हांसिल किया। पेशे से सरकारी शिक्षिका माथुर ने बताया कि वे रोजाना लगभग 2 घंटे पॉवर लिफ्टिंग का अभ्यास करती है। इससे वे खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत महसूस करती है। वो बताती है कि कुछ सालों पहले तक इस खेल को पहले लड़कों का खेल माना जाता था लेकिन अब इसमें लड़कियां काफी आगे बढ़ चुकी हैं। हाड़ौती में भी कई लड़कियां ऐसी है जिन्हे उचित कोचिंग और पर्याप्त संसाधनों के साथ प्रोत्साहन मिले तो वे पॉवर लिफ्ंिटग में शहर और देश का नाम रोशन कर सकती हैं।
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