गोविन्ददेवजी में फागोत्सव : वृंदावन, मथुरा और बरसाने की होली साकार हो उठी
पुष्प फाग में कोलकाता, शेखावाटी और जयपुर के कलाकारों ने दी प्रस्तुति
तथ्य है कि बाल व्यास श्रीकांत शर्मा 24 साल से पुष्प फाग में हर साल नवीन राजस्थानी भजनों की ही प्रस्तुतियां देते हैं।
जयपुर। शहर के आराध्य देव गोविन्द देवजी के मंदिर में मनाए जा रहे फागोत्सव में सोमवार को वृंदावन, मथुरा और बरसाने की होली साकार हो उठी। दो दिवसीय 24 वें पुष्प फाग में कोलकाता, शेखावाटी और जयपुर के करीब चालीस कलाकारों की एक से बढकर एक प्रस्तुतियां देखकर सभी आनन्द से सराबोर हो गए। पुष्प फाग के लिए मंदिर के सत्संग भवन को फूलों और सतरंगी चुनरी से सजाया गया। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी, मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने ठाकुरजी के चित्रपट के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर कोलकाता से आए शेखावाटी मूल के प्रख्यात बाल व्यास श्रीकांत शर्मा का तिलक, साफा, दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया। भजनों की स्वर लहरियों पर नृत्य की जुगलबंदी ने लोगों को एकटक निहारने पर मजबूर कर दिया। श्रीकांत शर्मा ने गणेश वंदना होली खेले गोविंद के दासा गोविंद दूर नहीं तेरे पासा रणत भंवर से आया गणपति से मंगला चरण किया। इसके बाद सत्संग की मैं ओढ़ चूनरी सत्संग की...सुनाकर कानों में मिठास घोली। तथ्य है कि बाल व्यास श्रीकांत शर्मा 24 साल से पुष्प फाग में हर साल नवीन राजस्थानी भजनों की ही प्रस्तुतियां देते हैं। दो दिन में करीब पचास-साठ भजनों की प्रस्तुतियां दी जाती हैं। इस प्रकार वे 24 साल में वे करीब 1500 भजनों की प्रस्तुतियां दे चुके हैं। उनके ज्यादातर भजन राजस्थानी भाषा में होते हैं। पुष्प फागोत्सव में राधा-कृष्ण के तीन-तीन स्वरूपों की आपस में होली खेलने की प्रस्तुति विशेष रही। कई विदेशी पावणों ने भी बच्चों सहित फागोत्सव का आनंद लूटा।
भगवान के भजनों से मिलता है आनंद: श्रीकांत शर्मा
सरस गीतों की स्वर लहरियों के बिखरने के दौरान व्यासपीठ बाल व्यास श्रीकांत शर्मा ने कहा कि जगत से साधनों से हमें सुख मिलता हैं लेकिन भगवान के भजनों से आनंद मिलता है। भगवान जगत के पिता है, लेकिन वे हमारे लिए कृष्ण बनकर कभी रास रचाते हैं तो कभी होली खेलते हैं। जयपुर में गोविंद देवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामीजी के सान्निध्य में हर साल यह आनंद बरसता है। उन्होंने कहा कि जहां भी राधा-कृष्ण के स्वरूप अपनी कला दिखा रहे हों, उन्हें कलाकार की दृष्टि से नहीं भगवान मान कर ही देखें।
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