फिंगर प्रिंट घिसने से नहीं मिल रहा राशन का अनाज
समस्याओं का नहीं हो पा रहा निराकरण
पोस मशीन में फिंगर प्रिंट नही आने के कारण उनकों सरकार की सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इनमें से अधिकांश उपभोक्ता मजदूर वर्ग से जुड़े हुए हैं। काफी समय से मजदूरी के कार्य से जुड़े होने के कारण उनके हाथों के फ्रिंगर प्रिंट खराब हो गए हैं।
कोटा। केस -1 छावनी स्थित दुर्गा बस्ती निवासी प्रेमचंद फैक्ट्री में मजदूरी करता है। उसके हाथों की उंगलियों के प्रिंट घिस गए हैं। जैसे ही वह राशन लेने के लिए जाता है तो पोस मशीन नहीं पकड़ती, जिससे अनाज नहीं मिल पाता है। कई बार ऐसा हो गया। मजदूरी छोड़कर तीन से चार बार महंगाई राहत शिविर में भी गया, लेकिन वहां पर भी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। घर में चार सदस्य हैं। ऐसे में मजदूरी के पैसे से केवल राशन आदि ही आ पाता है।
केस 2
सूरसागर कच्ची बस्ती निवासी इमरती का कहना है कि वह मकान निर्माण कार्य में मजदूरी करती है। पहले तो राशन कार्ड से परिवार के मुखिया का नाम कट गया था। बाद में उसने अपने नाम से राशनकार्ड चालू करवा लिया। पहले तो लगातार राशन मिल रहा था। बाद में पोस मशीन में फिंगर प्रिंट घिसने के कारण राशन बंद हो गया। राशन डीलर उसे जानता है, लेकिन मशीन के बिना अनाज मिलना मुश्किल हो रहा है।
यह केस तो बानगी भर है। जिले में ऐसे सैंकड़ों उपभोक्ता हैं जो राशन के गेहूं के लिए भटक रहे हैं। पोस मशीन में फिंगर प्रिंट नही आने के कारण उनकों सरकार की सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इनमें से अधिकांश उपभोक्ता मजदूर वर्ग से जुड़े हुए हैं। काफी समय से मजदूरी के कार्य से जुड़े होने के कारण उनके हाथों के फ्रिंगर प्रिंट खराब हो गए हैं। अब राशन के गेहूं का वितरण आॅनलाइन होने के कारण पोस मशीन से ही सारा कार्य होता है। ऐसे में फिंगर प्रिंट खराब होने के कारण कई लोग सरकारी राशन से वंचित हो रहे हैं।
शिविरों में पहुंचकर बता रहे पीड़ा
वर्तमान में राज्य सरकार की ओर से पूरे प्रदेश में महंगाई राहत शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। सरकारी राशन से वंचित कई लोग अपनी समस्या को लेकर जिले में आयोजित किए जा रहे महंगाई राहत शिविरों में पहुंच रहे हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि शिविरों में राशन नहीं मिलने की समस्या बताई जा रही है, लेकिन कोई भी इस सम्बंध में उचित जवाब नहीं दे रहा है। शिविरों में मौजूद अधिकारी आधार कार्ड को अपडेट करवाने की सलाह दे रहे हैं। वहीं अधिकांश लोगों को रसद विभाग में जाने को कह रहे हैं। ऐसे में रोजाना काफी संख्या में लोग अपनी पीड़ा को लेकर शिविरों में पहुंच रहे हैं। राहत शिविरों में ऐसी तमाम शिकायतें पहुंच रही हैं पर निदान नहीं हो पा रहा है।
वर्तमान में मिल रहा पांच किलो गेहूं
उपभोक्ताओं को पूर्व में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और खाद्य सुरक्षा योजना के नियमित गेहूं वितरित किए जाते थे। दोनों योजनाओं में पांच-पांच किलो प्रति व्यक्ति के हिसाब से होते थे, लेकिन अब प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को बंद कर दिए जाने से खाद्य सुरक्षा योजना के तहत नियमित नि:शुल्क गेहूं ही राशन उपभोक्ताओं को बांटा जा रहा है। इस समय राशन उपभोक्ताओं को परिवार में एक जने के हिसाब से पांच किलो गेहूं बांटा जा रहा है।
फूड पैकेट की घोषणा के बाद जागे उपभोक्ता
बजट में राज्य सरकार ने प्रति माह मुख्यमंत्री नि:शुल्क अन्नपूर्णा योजना के तहत फूड पैकेट देने की घोषणा की है। इसमें एक-एक किलो दाल, चीनी व नमक, एक लीटर खाद्य तेल तथा मसाले उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पर लगभग तीन हजार करोड़ रुपए के खर्च का आंकलन किया गया है। इस कारण अब राशन से वंचित लोग भी फूड पैकेट की आस में दौड़ लगा रहे हैं। नई योजना के तहत अब लोगों को गेहूं के साथ अन्य सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी।
जिले के सभी उपभोक्ताओं को पोस मशीनों के माध्यम से गेहूं का वितरण किया जाता है। कुछ लोग मशीन में फिंगर प्रिंट नहीं आने की शिकायत कर रहे हैं। इसके लिए अब ऐसे उपभोक्ताओं को अपना आधार कार्ड अपडेट करवाना पड़ेगा। इसके बाद उनकों राशन सामग्री मिलना शुरू हो जाएगी।
-हितेष कुमार, प्रवर्तन निरीक्षक, रसद विभाग
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