बूंदी में तीसरी बार फिर से वनभूमि पर बनी सड़क
बूंदी वन मंडल अधिकारियों की लापरवाही से मजाक बना एफसीए कानून
14 माह में बूंदी वनमंडल की 3 रेंजों में बन चुकी सड़कें
कोटा। बूंदी जिले में लगातार वन संरक्षण अधिनियम 1980 कानून की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। वन अफसरों की मौन स्वीकृति से वन क्षेत्रों में धड़ाधड़ सड़कें बनवाई जा रही हैं। मामले का खुलासा होने के बावजूद वन विभाग का टॉप मैनेजमेंट कार्रवाई की बजाए मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रहा है। इसी का नतीजा है कि 14 माह में ही बूंदी वनमंडल की तीन अलग-अलग रेंजों में तीन सड़कें बन गई, लेकिन कार्रवाई एक में भी नहीं हुई। नतीजा है कि सवा साल में ही तीसरी बार फिर से भारत सरकार के एफसीए कानून का उल्लंघन कर सरकारी एजेंसी पीडब्ल्यूडी ने रक्षित वनक्षेत्र में दिनदहाड़े डामर सड़क बना दी। दरअसल, नैनवां रैंज का जजावर-बी वनखंड में पीडब्ल्यूडी ने 100 मीटर लंबी डामर सड़क बना दी। नवज्योति मौके पर पहुंची तो मामले का चौंकाने वाला खुलासा हुआ और वन अधिकारियों और पीडब्ल्यूडी की मिलीभगत के गठजोड़ का भांडा फूटा।
सड़क के दोनों ओर880 वर्गमीटर वनभूमि की नष्ट
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रोड निर्माण के लिए पीडब्ल्यूडी ने सड़क के दोनों ओर करीब 880 वर्गमीटर वनभूमि खुर्द-बुर्द कर दी गई है। सड़क की एक तरफ 2 मीटर तथा दूसरी तरफ 3 मीटर चौड़ाई में वनभूमि खोदी गई। जिससे पेड़-पौधे, झाड़ियां नष्ट होने से छोटे वन्यजीवों का प्राकृतिक रहवास बर्बाद हो गया। असल में, पीडब्ल्यूडी ने कागजों में सड़क की 3.75 मीटर चौड़ाई एप्रोच की हुई है लेकिन मौके पर 3.80 मीटर में डामरीकरण किया हुआ है।
100 मीटर लंबी, 3.80मीटर चौड़ी बनी डामर सड़क
बूंदी वन मंडल की नैनवां रेंज के जजावर वनखंड-बी में पीडब्ल्यूडी ने मार्च के प्रथम सप्ताह में 100 मीटर लंबी और 3.80 मीटर चौड़ी डामर सड़क बना दी। इसके बावजूद वन अफसर खामौश रहे। 3 मार्च को दैनिक नवज्योति के पास नवनिर्मित सड़क की जीपीएस कोर्डिनेट के साथ फोटो आने पर मामले की पड़ताल की तो वन अफसरों की पीडब्ल्यूडी के साथ मिलीभगत का गठजोड़ खुला। असल में, जजावर-बी वनखंड नैनवां रेंज में आती है, यहां रेंजर से वनरक्षक तक स्टाफ तैनात रहता है। फिर भी फोरेस्ट लैंड में सड़क बनना वन अफसरों की पीडब्ल्यूडी के साथ मिलीभगत प्रतित होती है। पीडब्ल्यूडी द्वारा जजावर से कोढ़ी गांव तक 3 किमी डामर सड़क बनाई जानी थी। जिसमें से 700 मीटर रास्ता फोरेस्ट लैंड है।
पीडब्ल्यूडी वनभूमि पर डामर सड़क बना दे और वन अधिकारियों व कर्मचारियों को पता न चले, यह संभव नहीं है। जजावर वनखंड नैनवां रेंज में आता है, ऐसे में यहां एक दर्जन से ज्यादा वनकर्मियों की तैनाती रहती है। यह सड़क वन अफसरों के इशारे पर बनी है। इससे पहले भी बूंदी वनमंडल के जंगलों मे दो बार सड़कें बन चुकी हैं। वन विभाग के उच्चाधिकारी मामले की जांच करवाकर दोषी अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
-तपेश्वर सिंह भाटी, पर्यावरणविद् एवं एडवोकेट
यह बोले-पीडब्ल्यूडी अधिकारी
हमने जजावर वनखंड-बी (वनभूमि) पर कोई सड़क नहीं बनाई है। नेशनल हाइवे 148-डी से 200 मीटर लंबी डामर सड़क बनाई है, जो रेवन्यू लैंड में है।
-मुकेश कुमार, एक्सईएन पीडब्ल्यूडी नैनवां
जजावर वनभूमि पर डामर सड़क बनाए जाने का मामला मेरी जानकारी में नहीं है। इस संबंध में एक्सईएन से बात की जा सकती है। हम एफसीए का उल्लंघन नहीं करते हैं, जहां की परमिशन मिलती है, वहीं सड़क बनाते हैं।
-इंद्रजीत सिंह मीणा, एसई पीडब्ल्यूडी बूंदी
यह बोले वन अधिकारी
जजावर वनखंड-बी (वनभूमि) पर कोई सड़क नहीं बनी है। रेवन्यू लैंड में बनी है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को नोटिस देकर पाबंद किया है। पटवारी व हमारे सर्वेयर द्वारा सर्वे कर पंचनामा बनवाया है। फोरेस्ट लैंड में सड़क नहीं बनी है।
-भंवर सिंह, जजावर वनखंड नाका प्रभारी
जजावर वनखंड-बी की वनभूमि पर 100 मीटर सड़क बनी है, जो मेरे पदस्थापन से 3 माह पहले बनी थी। मैंने 20 फरवरी को ज्वाइन किया था। दूसरी सड़क की एनओसी के लिए जब सर्वे किया तब यहां सड़क बन जाने का मामला संज्ञान में आया था। डीएफओ द्वारा पीडब्ल्यूडी को कार्रवाई के लिए लिखा है।
-कविता जाट, रेंजर नैनवां रेंज बूंदी वनमंडल
फोरेस्ट लैंड में 100 मीटर सड़क बनी है। कार्यकारी एजेंसी को नोटिस दे दिया है। वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन तो हुआ है। आगे की कार्रवाई की जा रही है। वहीं, शेष वनभूमि पर सड़क बनाने से एजेंसी को रोक दिया गया है।
-देवेंद्र सिंह भाटी,डीएफओ बूंदी वनमंडल
मामला संज्ञान में आया है। वनभूमि पर 100 मीटर सड़क बनी है। बूंदी डीएफओ से तत्थात्मक रिपोर्ट मांगी है, जिसके आने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, इस मामले में संबंधित वन कर्मचारी को डीएफओ द्वारा कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
-सोनल जोरिहार, संभागीय मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक कोटा
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