हर शनिवार मस्ती की पाठशाला, खेल खेल में बीत रहा दिन
सरकार की योजना से शिक्षक और बच्चे दोनों खुश
नो बैग डे का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास अंतनिर्हित क्षमताओं का पहचानकर अध्ययन, अध्यापन के पांरपरिक तरीकों से सहगामी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायी बनाना है।
कोटा। वर्तमान समय की शिक्षा को लेकर कई लोगों का मानना है कि आज की पढ़ाई उनके नन्हे बच्चों के सिर पर एक बोझ बनकर रह गई हैं, अभिभावकों और बच्चों की इस पीड़ा को दूर करने के उद्ेश्य से राज्य सरकार की ओर से हाल ही में एक योजना प्रारम्भ की गई थी नो बैग डे। यह योजना राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में लागू की गई। जिसे स्कूल के शिक्षकों और बच्चों के साथ बच्चों के अभिभावकों ने भी सराहा है। आरपीएससी की ओर से आयोजित एक परीक्षा के प्रश्नपत्र के कारण हालांकि 24 दिसम्बर को शहर के कई स्कूलों में नो बैग डे नहीं मनाया गया लेकिन कई जहां परीक्षा केन्द्र नहीं था उन स्कूलों में इस दिन को खूब एन्जॉय किया गया। विभाग की ओर से एक दिन पूर्व जारी सूची के अनुसार शनिवार को इन स्कूलों की कक्षा 1 से 2 तक के बच्चों से आओं जाने ज्ञानेन्द्रियों को, कक्षा 3 से 5 तक के बच्चों से हमारे पशु-पक्षी जलचर, थलचर, एवं नभचर, की पहचान कर पाना, कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के लिए कम्पोस्ट खाद बनाना, कक्षा 9 एवं 10 के लिए हमारी समस्या, हमारा शोध तथा कक्षा 11 व 12 के विद्यार्थियों के कलए अंकुरण विधि गतिविधि करवाना तय किया गया था।
सीएम गहलोत की कोटा के कुछ सरकारी स्कूल के शिक्षकों और विभागीय उच्चााधिकारियों का इस योजना को लेकर कहना है कि वाकई ये योजना बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक अच्छी योजना है, इस योजना के लागू होने के बाद बच्चों के सिर से पढ़ाई का बोझ कुछ हद तक कम होगा और वे सप्ताह का एक दिन खुद को बस्तों के बोझ से मुक्त महसूस करेंगे। कारण उसका ये है कि हर सप्ताह में शनिवार को बच्चे पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों को करेंगे, देखेंगे और सीखेंगे। दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य विधानसभा बजट घोषणा के दौरान शिक्षा विभाग से संबंधित घोषणा के तहत सरकारी विद्यालय मे शनिवार के दिन नो बैग डे रखे जाने और उस दिन कोई अध्ययन कार्य नहीं किए जाने बाबत निर्णय की घोषणा की गई थी। सत्र 2022 में प्रत्येक सप्ताह में शनिवार को बस्ता मुक्त दिवस मनाया जाएगा। यानि इस दिन बच्चों को बस्ता लेकर आने की जरूरत नहीं होगी। शनिवार को विद्यालय समय में विद्यार्थियों को विभिन्न सह-शैक्षिक गतिविधियों में व्यस्त रखकर सर्वांगीण विकास करने का दायित्व होगा।
यह है उद्ेश्य इस दिन का
नो बैग डे का उद्ेश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास अंतनिर्हित क्षमताओं का पहचानकर अध्ययन, अध्यापन के पांरपरिक तरीकों से सहगामी क्रियाओं के माध्यम से सीखने-सिखाने की प्रक्रिया को आनंददायाी बनाना है। इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक शनिवार को विद्यार्थी स्कूल बैग के विना विद्यालय आएंगे। इस दिन पूरे विद्यालय को विभिन्न सदन में बैठकर सदनवार प्रतियोगिता करवाना, देश भक्ति गीत संगीत प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, नृत्य गायन इत्यादि कार्य करवाना तथा खूलकूद को बढ़ावा देने के लिए खो-खो, बैडमिंटन अािद भी प्रतियोगिता करवाई जा सकती है।
प्रत्येक शनिवार को इस प्रकार रहती है नो बैग डे की थीम
- प्रथम शनिवार राजस्थान को पहचानो।
- दूसरा शनिवार भाषा कौशल विकास।
- तीसरा शनिवार खेलेगा राजस्थान-बढेÞगा राजस्थान।
- चौथा शनिवार मैं वैज्ञानिक बनूंगा।
- पांचवा शनिवार बालसभा मेरे अपनों के साथ।
बच्चों के दिमागी विकास के लक्ष्य के साथ सरकार की ओर से चलाई गई इस योजना से शिक्षक और बच्चें खुश हैं। वाकई ये योजना बहुत अच्छी है। इससे बच्चे सप्ताह में एक दिन खुद को बस्ते के बोझ से मुक्त समझ पाते हैं। इस बच्चे शैक्षणिक गतिविधियों अलावा अन्य गतिविधियों में शामिल होते हैं।
- यतीश विजयवर्गीय, अतिरिक्त शिक्षा अधिकारी, प्रारम्भिक।
नो बैग डे से संबंधित एक डायरी मेंटेन की जाती है। शुक्रवार या शनिवार को प्राप्त सूची के आधार पर बच्चों को गतिविधियां करवाई जाती है। इस बच्चे खेलकूद में मस्त रहते हैं। स्कूल के शिक्षक भी बच्चों के साथ इन गतिविधियों का आनन्द लेते हैं। स्कूल में करीब 450 बच्चे हैं और करीब सभी शनिवार को होने वाली गतिविधियों में भाग लते हैं।
- अमिता राघव,अध्यापिका, रा.उ.मा.विद्यालय, बसन्त विहार।
बच्चे इस दिन खुद को काफी फ्री महसूस करते हैं। तय समय तक बच्चे खेलते रहते हैं। बस्ता नहीं लाना पड़ता। सरकार की ये योजना बच्चों के लिए अच्छी साबित होगी।
- दीवान सिंह, प्रधानाध्यापक, रा.उ.मा.वि. बृजराजपुरा प्रथम।

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