सोशल मीडिया बैन नहीं, कंट्रोल होना चाहिए

इसके दुरुपयोग से भावी पीढ़ी पर पड़ रहा दुष्प्रभाव

सोशल मीडिया बैन नहीं, कंट्रोल होना चाहिए

मोबाइल यूज के लिए अभिभावक ही दोषी नहीं, समाज और व्यवस्था भी जिम्मेदार है।

कोटा। दैनिक नवज्योति की ओर से जारी मासिक परिचर्चा की श्रृंखला के तहत गुरुवार को शुड सोशल मीडिया बी बैन फॉर चिल्ड्रन्स (किशोरवय के बच्चों के लिए हानिकारक साबित हो रहे सोशल मीडिया को क्या प्रतिबंधित किया जाना चाहिए) विषय पर आयोजित की गई। इस परिचर्चा में समाज शास्त्री, मनोचिकित्सक, बाल विज्ञानी, पीडियाट्रिशन एंड डवलपमेंट स्पेशलिस्ट, स्कूल प्रिंसीपल, सीनियर स्पीच फिजीयोलॉजिस्ट,पुलिस अधिकारी, स्कूल आॅनर,सहित किशोरवय के बच्चों ने हिस्सा लिया। दो घंटे चले परिचर्चा के  सत्र में  लोगों ने मुख्य रूप से कहा कि सोशल मीडिया को बैन किया जाना आज के हालात में संभव नहीं है। लेकिन जिस प्रकार से इसका दुरूपयोग हो रहा है उससे हमारी आने वाली पीढ़ी पर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। ऐसे में पैरेन्टस के साथ स्कूल की यह जिम्मेदारी है कि वह सोशल मीडिया के दुषप्रभाव से बच्चे को बचाएं। इसके लिए पैरेन्ट्स को घर से शुरूआत करनी होगी। टीनेजर्स पैरेन्टस की बात नहीं मानते ऐसी स्थिति में स्कूल की जिम्मेदारी बनती है कि वह इसके दूरुपयोग को रोकने का काम करें। इसे बैन तो नहीं किया जा सकता लेकिन इसका कंट्रोल किया जाना अति आवश्यक है। 

- सोशल मीडिया विकासमुखी भी है और विनाशक  भी,संभल कर उपयोग करें।
- बच्चे को स्पोर्ट्स एक्टिविटी में बिजी करें। स्कूल कॉलेज में गैम्स कंपलसरी हो।
- सोशल मीडिया पर  एकाउंट बनाते समय उम्र वेरिफाई के लिए  आधार कार्ड जरूरी हो
- माता-पिता के साथ स्कूल टीचर भी बच्चे द्वारा उपयोग किए जा रहे गेजेट पर ध्यान दें।

आॅनलाइन गेमिंग में अधिकतर बच्चे शामिल
मोबाइल व सोशल मीडिया का उपयोग बच्चे पढ़ाई व ज्ञान प्राप्त करने के साथ ही  अधिकतर आॅनलाइन गेमिंग में कर रहे है। आॅनलाइन गेमिंग  सबसे अधिक बच्चे खेल रहे है। उसमें बच्चों के परिजनों के बैंक खाते से रकम जा रही है। जिसके बाते में परिजनों को पता ही नहीं है। बाद में जब धोखाधड़ी होती है तब परिजनों की आंखें खुलती है। ऐसे में परिजनों को अपनी नजर में बच्चों को रखते हुए मोबाइल का सीमित उपयोग करने देना चाहिए। तब तो  बच्चे उसका सही उपयोग करेंगे। 
- सतीश चंद चौधरी, सर्किल इंस्पैक्टर साइबर थाना कोटा

बच्चा गर्भ में ही मोबाइल सीख रहा
बच्चे संसार में आने के बाद तो मोबाइल का उपयोग कर ही रहे है। हालत यह है कि अब तो बच्चे मांग के पेट में गर्भावस्था के दौरान ही मोबाइल सीख रहे है। मोबाइल व सोशल मीडिया का प्रभाव इतना अधिक हो गया है कि बच्चे सब कुछ इसी से सीख रहे है। परिजनों को चाहिए कि बच्चों के लिए मोबाइल का जितना उपयोग  हो उतना ही उन्हें करने दे। मोबाइल का अधिक उपयोग बच्चों के लिए नुकसान दायक है। बच्चे मोबाइल पर क्या कर रहे हैं इस बारे में अधिकतर परिजनों को तो पता ही नहीं रहता।  बच्चों को मोबाइल का उपयोग परिजनों की निगरानी में ही करने देना चाहिए। 
- प्रियदर्शनी जैन, प्रिंसीपल जैन दिवाकर कमला कॉलेज

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 हमे रील से रियलिटी की ओर जाना होगा
मोबाइल यूज के लिए अभिभावक ही दोषी नहीं है। समाज और व्यवस्था भी जिम्मेदार है। आज सिंगल मदर जो जॉब में तो वो अपने बच्चे की देखभाल कैसे करेंगी बच्चे को मोबाइल देगी जिससे बच्चा व्यस्त रहे।  कोटा में बच्चों की देखभाल करने लिए पालनाघर ही नहीं जहां बच्चे को छोडा जा सके । पति पत्नी दोनों सर्विस में है ऐसे बच्चा अपने एकाकीपन को दूर करने के लिए मोबाइल और सोशल साइट पर जाएगा ही।  रोकने के लिए पहले माता पिता को वर्कप्लेस पर सुविधा दें। वर्तमान में सामाजिक ताना बाना पूरा बिगड़ गया है। आज पड़ोसी पड़ोसी से बात नहीं करता है। बच्चे आउटडोर गेम नहीं खेलते हैं। मोबाइल को अपना दोस्त मानते है।  हमें रील से निकलकर रियलिटी की ओर जाना होगा।
- डॉ. मेघा माहेश्वरी, शिशु रोग विशेषज्ञ

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बच्चों को किताबों पर फोकस करवाना होगा
मोबाइल के उपयोग कैसे करना है। इसके लिए स्कूलों में क्लॉस वाइज बच्चों और अभिभावकों की काउंसलिंग की जा रही है। बच्चों को होम वर्क डायरी में दिया जा रहा है। जिससे बच्चे मोबाइल कम से कम उपयोग करें। बच्चों को किताबों की ओर फोकस कराया जा रहा है। स्कूलों में साइबर क्राइम की सेमिनार होना चाहिए। सोशल मीडिया छोटे बच्चों के लिए ठीक नहीं इसके लिए अभिभावकों ही जागरूक होना होगा। इस पर बैन तो नहीं लगा सकते हैं। लेकिन इसके लिए सावचेत करते रहना अत्यंत जरूरी है।
- संजय शर्मा, सचिव प्राइवेट स्कूल वेलफेयर सोसाइटी

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बच्चों के लिए मोबाइल का हो सीमित उपयोग
जिस तरह से देश तकनीकी युग की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। उसमें मोबाइल व इंटरनेट का उपयोग किए बिना रहना संभव नहीं है। बच्चों को भी इससे दूर नहीं किया जा सकता। लेकिन यह परिजनों को समझना होगा कि बच्चों के लिए मोबाइल व सोशल मीडिया का उपयोग सीमित किया जाए। बच्चों को मोबाइल की लत डालने वाले भी परिजन ही होते है। ऐसे में परिजनों को चाहिए कि वह छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल नहीं दे। एक निर्धारित उम्र के बाद ही बच्चों को आवश्यकतानुसार  मोबाइल का उपयोग करने देंगे तो उससे अधिक नुकसान नहीं होगा। 
- डॉ. अजय धर, सीनियर स्पीच थैरेपिस्ट एंड आॅटिज्म

प्रतिबंध समाधान नहीं, लेकिन लत खराब
बच्चों के लिए मोबाइल  व सोशल मीडिया को प्रतिबंधित करना कोई समाधान नहीं है। लेकिन मोबाइल की लत बच्चों के लिए खराब है। कोरोना के बाद स्कूल से लेकर घर तक बच्चों को मोबाइल पर ही आॅनलाइन पढ़ाया जा रहा है। स्कूलों में तो बच्चों के  लिए मोबाइल बंद होना चाहिए। परिजनों को चाहिए कि वह छोटे बच्चों को मोबाइल की लत नहीं डालकर उन्हें परिवार के साथ बैठना व किस्से कहानियां सुनाने की आदत डालनी होगी। 
- सावित्री गुप्ता, निदेशक शिव ज्योति सी.सै. स्कूल वल्लभ नगर गुमानपुरा

पहली गुरु मां है उसको जागरूक होना होगा
बच्चों की पहली गुरु मां ही है उसको जागरूक होना होगा। बच्चा डिप्रेशन में आ रहा है। यह सिखाने वाली भी मां ही होती है। पहले इसकी शुरुआत घर से ही करनी होगी। आज 12 साल के बच्चे का फेसबुक पर एकाउंट, स्ट्राग्राम में एकाउंट है।  जबकि 18 साल से कम उम्र के बच्चों का एकाउंट नहीं बन सकता है। लेकिन बच्चे अपनी उम्र ज्यादा डालकर एकाउंट बना लेते हैं और फेसबुक, स्ट्राग्राम का उपयोग कर रहे हैं।  सोशल एकाउंट बनाने के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करना चाहिए। दूसरा बच्चों को मोबाइल में क्या देखना क्या नहीं यह अभिभावकों को तय करना होगा। बच्चा कहां से गलत सीख रहा इस पर निगाह होनी चाहिए।  
- हरलीन चड्ढा, शिक्षाविद व अभिभावक

पैरेंट्स, स्कूल व स्टेट तीनों को मिलकर करना होगा काम
सोशल मीडिया बैन करना समाधान नहीं है।नई शिक्षा नीति में तो सारा कार्य ही डिजिटलाइज  है। ऐसे में एजुकेशन, पेरेंट्स और स्टेट तीनों को मिलकर इसका समाधान निकालना होगा। सरकारी स्कूल व कॉलेज में आउटडोर खेलकूद की सुविधाओं बढ़ानी होगी। बच्चों को सोशल मीडिया के उपयोग व उसके दुष्परिणाम से अवगत कराना होगा। अभिभावक, शिक्षक और एजुकेशन पॉलिस बनाने वालों मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। लोगों को जागरूक करना होगा। स्कूल कॉलेज में इसके उपयोग को लेकर सेमिनार आयोजित कराने होंगे। बच्चों के साथ अभिभावकों संवाद करना होगा।  अभी मोबाइल स्मार्ट हो रहा है। स्मार्ट मैन की जरुरत है, र्स्माट मशीन की नहीं । 
- ज्योति सिडाना,  एसोसिएट प्रोफेसर गवर्नमेंट आर्टस गर्ल्स कॉलेज कोटा

गर्भ संस्कार जरूरी
आज बच्चा अभिमन्यु की तरह मां की कोख से ही मोबाइल चलाना सीखकर आता है। कारण की हमारे समाज में गर्भसंस्कार देना खत्म हो गया है। गर्भवती महिलाएं घंटो टीवी और मोबाइल पर समय बिताती है। जो वो देखती और करती वो गर्भ में पल रहा भी सीख जाता है। इसलिए एक माह के बच्चे को मोबाइल देते वो स्क्रीन स्क्रॉल कर देता है। गर्भ में पल रहा बच्चा गर्भवस्था में ही आवाज, रोशनी और भावनाओं को महसूस करने में सक्षम होता है। गर्भ संस्कार के दौरान बच्चे के शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक विकास के लिए आध्यात्मिकता जोड़ने के लिए  गर्भ संस्कार जरूरी है। 
- मोनिका सोनी, जैन दिवाकर कमला कॉलेज

परिजन बच्चे के लिए समय निकालें
छोटी उम्र  में बच्चों द्वारा मोबाइल का अधिक उपयोग करना उनके लिए हानिकारक है। शुरुआत में मां या परिजन बच्चों के साथ अधिक समय नहीं बिता पाने के कारण उन्हें मोबाइल पकड़ा देते है। बच्चे बिना मोबाइल देखे खाना तक नहीं खाते।  एक उम्र के बाद यदि मोबाइल का उपयोग किया जाए तो उससे इतना अधिक नुकसान नहीं होगा। लेकिन मोबाइल व सोशल मीडिया को बच्चों केलिए पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए मोबाइल के उपयोग के साथ ही परिजनों का उनके साथ  अधिक समय बिताना आवश्यक है। 
-इशान जौहरी,  शिक्षक सेंट्रल एकेडमी  सी.सै. (शिक्षांतर) स्कूल

मोबाइल यूज की समय सीमा तय होनी चाहिए
वर्तमान में सारी पढ़ाई आॅनलाइन हो रही है। ऐसे में बच्चे मोबाइल से दूर नहीं रह सकते है। लेकिन उनको मोबाइल में क्या देखना है। कितना समय देखना यह सब माता पिता को तय करना चाहिए। अभी सारा होमवर्क से लेकर सारी सूचना व्हाट्सअप पर दी जाती है। बच्चे को मोबाइल यूज करना ही पड़ेगा लेकिन माता पिता को बच्चे मोबाइल देते समय उस पर निगरानी भी रखनी होगी वो पढ़ाई के अलावा गेम तो नहीं खेल, रहा बैन साइट पर नहीं जा रहा। आॅन लाइन गेम तो नहीं खेल रहा इसकी निगरानी माता पिता को ही रखनी होगी।
- प्रियांशी, स्टूडेंट (किशोरी)

अभिभावक को कठोर होना होगा
मोबाइल के उपयोग को लेकर पैरेंट्स को ही कठोर होना होगा। मेरे दोनों बच्चों को मैने मोबाइल नहीं दे रखा है। उनकी पढ़ाई के लिए मैं अपना मोबाइल देता हूं और पूरी निगरानी रखता हूं ।बच्चा पढ़ाई के अलावा अन्य साइट पर नहीं जाए।  सोशल मीडिया पर बैन लगाना समस्या का समाधान नहीं अभिभावकों ही जागरूक होना होगा।  बच्चे को  आवश्यकता होने पर कीपैड मोबाइल दें। इंटरनेट का सोशल मीडिया का उपयोग कैसे करें ।  अभिभावकों को ही बच्चों के लिए नियम तय करने होंगे। 
- सुनील सूंडा, अभिभावक

बच्चों के लिए खेल व अन्य गतिविधि हो 
पहले जब मोबाइल व सोशल मीडिया नहीं थे उस समय बच्चोंको परिवार में किस्से कहानियां सुनाई जाती थी। खेल व अन्य गतिविधियों  में बच्चों को व्यस्त रखा जाता था। परिवार में सभी लोग आपस में बातचीत करते थे। लेकिन वर्तमान में छोटे-छोटे बच्चों के हाथ में मोबाइल होने से उनका समाज से जुड़ाव कम हो गया है। परिजनों को चाहिए कि बच्चों को खेल  व अन्य गतिविधियां इतनी अधिक करवाई जाएं। 
 -आदित्य भारती, स्टूडेंट (किशोर)

मुख्य बिंदु
- सोशल मीडिया यूजर्स  की गाइड लाइन बने और उम्र तय हो।
- फेसबुक, इस्ट्रग्राम एकाउंट बनाने के लिए उम्र के लिए आधार कार्ड अनिवार्य हो।
- सोशल मीडिया का मिस यूज रोकने के लिए माता- पिता दोनों को सावचेत होना होगा।
- बच्चों का लर्निंग के लिए अलग एप होना चाहिए।
- सोशल मीडिया यूज की उम्र तय होनी चाहिए।
- मोबाइल स्मार्ट होने पर फोकस ज्यादा, मनुष्य के स्मार्ट होने पर नहीं देते ध्यान।
- बच्चों, पेरेंट्स और शिक्षक के बीच संवाद का गेप ज्यादा आ रहा।
- स्कूल्स में सोशल मीडिया के उपयोग और इसके दुष्परिणाम पर लगातार सेमिनार हों।
- बच्चों को संवाद के लिए की पैड मोबाइल दें।
- होम वर्क, मोबाइल की जगह नोटबुक देना जरूरी।

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