चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा की अनुदान मांगो पर चर्चा : सदन में विधायकों ने दिए सुझाव, सराफ ने कहा- पूर्ववर्ती सरकार में बहुत सी सुविधाएं मजबूत नहीं हो पाई
भजनलाल सरकार ने इन सुविधाओं को मजबूत किया
राजस्थान विधानसभा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा की अनुदान मांगों पर चर्चा हुई।
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा की अनुदान मांगों पर चर्चा हुई। चर्चा में कई विधायकों ने हिस्सा लेते हुए अपने सुझाव भी दिए।
विधायक कालीचरण सराफ ने चर्चा में शामिल होते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में बहुत सी सुविधाएं मजबूत नहीं हो पाई। भजनलाल सरकार ने इन सुविधाओं को मजबूत किया है। सरकार दूर दराज के अस्पतालों में डॉक्टरों को भेजने से पहले बॉन्ड भरवाए, ताकि वंहा डॉक्टर रुक सकें। शहरी क्षेत्र में डॉक्टरों को भत्ता देने की जगह गांव में डॉक्टरों को अतिरिक्त भत्ता दिया जाए। अस्पतालों में प्राइवेट अस्पतालों की तरह सुविधाएं और इलाज देने वाले डॉक्टरों को सम्मानित करते हुए इन्हें प्रशंसा पत्र दिए जाएं। एसएमएस अस्पताल विस्तार के लिए मुख्य सचिव और डीजीपी के बंगले खाली करवाए जाएं और अधिकारियों को सीएम के बंगले के आसपास बंगले आवंटित कर दिए जाएं। एसएमएस अस्पताल में 15 हजार की ओपीडी है। वसुंधरा सरकार के समय एसएमएस से एफिलेटेड शहरी अस्पतालों कांवटिया, गणगौरी, जयपुरिया आदि में सुविधाएं बढ़ाई गई। पिछली सरकार ने वंहा से स्टाफ और सुविधाएं घटा दी। अनुरोध है कि जयपुरिया अस्पताल में 100 नए डॉक्टर और लगाए जाएं। क्योंकि इस अस्पताल में आसपास की कई विधानसभा के मरीज ईलाज कराने आते हैं। सराफ ने कहा कि आईपीडी बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 1100 करोड़ रुपए दिए। जेके लोन अस्पताल में आईपीडी टॉवर बनाने की अनुमति दी जाए। जांच मशीनों को मंगवाया जाए, ताकि लोगों को निजी लेब में नहीं जाना पड़े। आरयूएचएस में पूर्ववर्ती सरकार ने फैकल्टी, पैरामेडिकल स्टाफ नहीं लगाया। अब स्टाफ लगाने का फायदा लोगों को मिलेगा। आरयूएचएस अस्पताल का नाम भैरोंसिंह शेखावत के नाम पर किया जाए। कांवटिया अस्पताल के पास ट्रोमा सेंटर बनाने के लिए जमीन उपलब्ध है। इस जमीन की नीलामी की जांच कराई जाए, ताकि घोटाला सामने आ सके। इस नीलामी को निरस्त कर कमेटी के माध्यम से जांच कराकर दोषियों पर कार्यवाही की जाए।
कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी ने बहस में हिस्सा लेते हुए कहा कि पीने के पानी की गुणवत्ता पर मेडिकल विभाग को रिपोर्ट स्पष्ट करनी चाहिए। पानी मे फ्लोराइड जैसे तत्व सबसे ज्यादा हैं। सरकार को इसमें सम्बंधित विभागों की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए। थार के अंदर पानी के टांके बने हुए हैं, उनमें पानी की गुणवत्ता है। आज हम उसके बारे में बात नहीं कर रहे। आज प्रदेश के अंदर स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। मिलावटी खाने के बारे में जनता को सही जानकारी देने की हमारी जिम्मेदारी है। आज हम फल सब्जियों, गेंहू, दूध, घी सबमें जहर खा रहे हैं। सदन कोई कानून नियम नहीं बना रही। गौमाता की जय तो बोलते हैं, लेकिन यह नहीं देख रहे की बाजार में मिल रहे गाय के घी में कितनी मिलावट आ रही है। गाय के आहार में मिल रहे पेस्टिसाइड्स से हमें दूध में जहर मिल रहा है। हरीश चौधरी ने कहा कि जहर मिलाने वालों के लिए हमने बड़े कमजोर नियम बना रखे हैं। ऊपर से दोषियों को बचा रहे हैं। हमें जांच लैब की कमी पर बात करनी चाहिए। एसएमएस अस्पताल में 15 हजार की ओपीडी होना चिंताजनक है। इलाज का विकेंद्रीकरण करना होगा। हमें किसी देश के मॉडल अपनाने की जगह राजस्थान की परिस्थितियों के हिसाब से मॉडल बनाना चाहिए। मेडिकल सेंट्रलाइज्ड करने से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जयपुर आना पड़ता है और शहरी लोगों को निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है। कोरोना से मेडिकल अधिकारियों ने नहीं नर्सिंग स्टाफ ने लड़ाई लड़ी। उन्हें सल्यूट करता हूं। आज उन्ही लोगों की भर्ती नही हो रही। बायतु उपजिला अस्पताल के अंदर 38 स्वीकृत पदों में सिर्फ 14 पद भरे हैं। जेनरेटिक दवाइयों को बढ़ावा देने की साथ एंटीबायोटिक दवाइयों के दुष्परिणाम के बारे में भी हमें सोचना चाहिए। स्टेरॉइड के कारण बहुत मौतें हुई। हमें कोई नीति बनानी पड़ेगी। चिरंजीवी योजना के माध्यम से लोगों को 25 लाख का ईलाज मिल रहा था। आज नाम बदल दिया, लेकिन लोगों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही। इंश्योरेंस कंपनी की वजह से पैसा अटकने के कारण लोग अस्पतालों में क्लेम के लिए धक्के खा रहे हैं। सरकार की क्लेम दिलाने की प्राथमिकता नहीं है। आरजीएचएस के भुगतान के लिए मेडिकल स्टोर वाले कहते हैं कि इसका पैसा टाइम पर नहीं मिलता। टोटल फर्टिलिटी रेट को भी समझने की आज जरूरत है।
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