इलाज से पहले मरीजों को दर्द दे रहा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, प्रवेश द्वार से इमरजेंसी-गेट नंबर 4 तक हो रहे गहरे गड्ढे
प्रसूता और आॅर्थोपेडिक मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी
यहां हाड़ौती से ही नहीं मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज को आते हैं।
कोटा। हाड़ौती का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज अस्पताल इलाज से पहले ही मरीजों का दर्द बढ़ा रहा है। राहत की उम्मीद लिए अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों का यहां कदम रखते ही दर्दभरा सफर शुरू हो जाता है। हालात यह हैं, अस्पताल के प्रवेश द्वार से लेकर ओपीडी गेट नंबर 1 और इमरजेंसी गेट नंबर-4 तक की प्रमुख सड़कें उधड़ी पड़ी। जगह-जगह गहरे गड्ढ़े हो रहे हैं। डॉक्टर्स के पास पहुंचने से पहले जख्मी सड़कें मरीजों के साथ तीमारदारों की जान भी खतरे में डाल रही है। जबकि, चिकित्सक भी इन्हीं गड्ढ़ोंभरी राह से गुजरते हैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रशाासन द्वारा सड़कों की मरम्मत नहीं करवाई जा रही।
7 माह से उधड़ी सड़कें, दर्द से कहरा रहे मरीज
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल, कोटा संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहां हाड़ौती से ही नहीं मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में मरीज इलाज को आते हैं। लेकिन, अस्पताल परिसर की सड़कें पिछले 7 महीने से उधड़ी पड़ी हैं। जगह-जगह गहरे गड्ढ़े हो रहे हैं। जहां से गुजरने के दौरान वाहनों में सवार घायल व प्रसूताएं दर्द से कराह उठते हैं। शिकायतों के बावजूद अस्पताल प्रशासन क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत नहीं करवा रहा। जिसका खामियाजा मरीजों व तीमारदारों को भुगतना पड़ रहा है।
आॅथोपेडिक व प्रसूताओं को सबसे ज्यादा खतरा
अस्पताल की ओपीडी प्रतिदिन 3 हजार से ज्यादा रहती है। इसका मतलब, हर दिन तीन हजार से अधिक लोग इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल पहुंचते हैं। ऐसे में क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण सबसे ज्यादा खतरा प्रसूताओं और आॅथोर्पेडिक मरीजों को रहता है। एंबुलेंस जैसे ही परिसर में घुसती है, गड्ढ़ों से वाहन उछल पड़ते हंै। प्रसूताएं तेज झटकों से कराह उठती हैं। जिससे जच्चा-बच्चा को नुकसान पहुंचने का डर बना रहता है। वहीं, हड्डी रोगियों का हाल बेहाल हो जाता है। गड्ढ़ों के कारण रीढ़, गर्दन, कमर की चोट वाले मरीजों के लिए यह इमरजेंसी तक पहुंचना मुसीबत को मोल लेना जैसा बन जाता है।
तिमारदार बोले-मेन गेट पर ही खतरा, गिरने से बाल-बाल बचे
तिमारदार प्रदीप मरोठा, अक्षय और रोहित बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मुख्य गेट पर ही गहरे गड्ढ़े हो रहे हैं। वहीं, नालियों के ढकान के लिए लगा रही लोहे की जालियां धंस चुकी है। जिससे वाहनों के गुजरने के दौरान हादसे का डर बना रहता है। कुछ दिनों पहले अस्पताल से बाहर निकलते वक्त गड्ढ़ों के कारण बाइक अनियंत्रित हो गई। जिससे बाइक सवार दम्पती गिरने से बाल बाल बचे।
गिट्टियों से फिसल रहे वाहन, चोटिल हो रहे लोग
श्रीनाथपुरम निवासी रामजानकी नंदन, आयुष कुमार कहते हैं, ब्लड बैंक से इमरजेंसी गेट तक सीसी सड़क हो रही है, जो उधड़ा पड़ा है। वहीं, गेट नंबर एक की ओपीडी की तरफ डामर सड़क है, जो बरसात में पूरी तरह से छलनी हो गई। सड़क पर गिट्टियां फैली पड़ी रहती है। यहां से गुजरने के दौरान वाहन सवार फिसलकर चोटिल हो जाते हैं। जब प्रतिदिन हजारों मरीज अस्पताल आते हैं, इसके बावजूद सड़कों की स्थिति सुधरवाने में अस्पताल प्रशासन द्वारा लापरवाही क्यों बरती जा रही है। यह समझ से परे है।
पहली बारिश में ही बहा पेचवर्क
अस्पताल प्रशासन ने बारिश से पहले जून माह में गड्ढ़ों पर पेचवर्क करवाया था, जो 15 जून की पहली बारिश में ही बह गया। इसके बाद तीन महीने बारिश का दौर रहा। जिसमें ओपीड़ी गेट नंबर 1 से इमरजेंसी गेट नंबर 4 तक की सभी सड़कें छलनी हो गई। ब्लडबैंक के सामने वाली सड़क पर तो सीवरेज के चैम्बर ही बाहर निकल गए। ऐसे में इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का दर्द गड्ढ़ों के कारण और बढ़ जाता है।
यातना से कम नहीं अस्पताल की सड़कें
बारां से आए कमलेश मीणा, अखिलेश मीणा और प्रियंक सलावद ने बताया कि कुछ दिन पहले रिश्तेदार की तबीयत खराब हो गई थी, जिन्हें गत शनिवार रात अस्पताल लेकर पहुंचे थे। प्रवेश द्वारा से लेकर इमरजेंसी गेट तक पहुंचने तक अनगिनत गड्ढ़ों के कारण कार सवार तीमारदार और मरीज तेज झटकों से हालत खराब हो गई। अस्पताल प्रशासन को क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत करवानी चाहिए।
इनका कहना है
सड़कों की मरम्मत का कार्य शुरू हो गया है। मेडिकल कॉलेज की तरफ नई सड़क बन चुकी है। लगातार बारिश के कारण काम रुक गया था, अब मौसम साफ होने पर काम फिर से शुरू हो गया है। जल्द ही अस्पताल के गेट-नंबर 1 से इमरजेंसी गेट नंबर 4 तक की सड़कों की मरम्मत हो जाएगी। मरीजों को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके लिए पूरी शिद्दत से प्रयास किए जा रहे हैं।
- डॉ. आशुतोष शर्मा, अधीक्षक मेडिकल कॉलेज अस्पताल

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