साक्षात्कार में बोले कुलपति, पहले का दाग धो रहे थे, अब दूसरा कांड आ गया सामने
क्वालिटी एजुकेशन से बनाएंगे पहचान
तत्कालीन कुलपति की करतूत से आरटीयू के दामन पर लगे भ्रष्टाचार के दाग अभी मिटे भी नहीं थे कि परमार ने पूरे दामन को ही दागदार कर दिया। ऐसे हालात में परिस्थितियां भले ही चुनौतिपूर्ण हैं, लेकिन नव नियुक्त कुलपति प्रो. एसके सिंह के हौसले बुलंद हैं।
कोटा। राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय में आरोपी प्रोफेसर गिरीश परमार और उसके सहयोगी छात्र-छात्रा की घिनौनी करतूत ने आरटीयू की छवि को गहरा आधात पहुंचाया है। देश-प्रदेश में विश्वविद्यालय की छवि घूमिल हुई। जिसका खामियाजा उन्हें भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भुगतना पड़ रहा जो शिक्षक होने का परम कर्त्तव्य नि:स्वार्थ जिम्मेदारी से निभा रहे हैं। तत्कालीन कुलपति की करतूत से आरटीयू के दामन पर लगे भ्रष्टाचार के दाग अभी मिटे भी नहीं थे कि परमार ने पूरे दामन को ही दागदार कर दिया। ऐसे हालात में परिस्थितियां भले ही चुनौतिपूर्ण हैं, लेकिन नव नियुक्त कुलपति प्रो. एसके सिंह के हौसले बुलंद हैं। वे पूरी ताकत के साथ यूनिवर्सिटी को नीट एंड क्लीन करने में जुट गए हैं। इसके लिए उन्होंने सिस्टम में कई अहम बदलाव किए हैं। राष्टÑीय- अंतराष्टÑीय स्तर पर आरटीयू की प्रतिष्ठा फिर से कायम करने की जद्दोजहद में लगे हैं। इसके लिए उन्होंने छात्रहित में कई कड़े निर्णय लिए हैं। कुलपति ने इन सब मुद्दों पर दैनिक नवज्योति से विशेष बातचीत की, प्रस्तुत हैं उसके प्रमुख अंश
- सवाल : परमार जैसा घिनौना कांड दोबारा न हो, इसके लिए आप क्या कर रहे हैं?
- जवाब : एक गंदी मछली पूरा तालाब गंदा कर देती है, यह कहावत तो सुनी होगी न, बस ऐसी गंदी मछलियों को ढूंढ कीचड़ में फेंकेंगे, ताकि तालाब रूपी यूनिवर्सिटी साफ-सुथरी रह सके।
- सवाल : आरटीयू में किस तरह के बदलाव कर रहे हैं?
- जवाब : मामला सामने आते ही हमने प्रत्येक संकाय की क्लासों में शिकायत पेटी लगवा दी है, ताकि विद्यार्थियों को कोई भी समस्या हो तो वह लिखकर पेटी में डाल दे, शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जाएगा। शिकायत की जांच कर तुरंत सख्त एक्शन लिया जाएगा।
- सवाल : विद्यार्थी शिकायत करने में डरता क्यों
- जवाब : यूनिवर्सिटी और छात्रों के बीच विश्वास कायम करने के लिए ही तो बदलाव कर रहे हैं। वहीं सभी हॉस्टल वार्डन को निर्देशित किया है कि वे समय-समय पर हॉस्टल जाकर विद्यार्थियों से संवाद करें, उनकी समस्याएं सुने।
- सवाल : इतने समय तक परमार गंदा खेल खेल रहा था, पकड़ में क्यों नहीं आया?
- जवाब : यह सिस्टम का फेल्योर है। विद्यार्थी की जिम्मेदारी बनती है कि उनके साथ कुछ गलत हो रहा हो तो उसकी शिकायत यूनिवर्सिटी के किसी भी शिक्षक से करनी चाहिए थी। यहां महिला प्रोफेसर भी हैं, उनको ही बता देते। किसी न किसी माध्यम से मुझ तक तो बात पहुंचाते। परेशान करने वाले को ऐसी सजा देते की दूसरा कोई ऐसी हरकत करने की सोचने की हिम्मत तक नहीं कर पाते।
- सवाल : भविष्य में ऐसी घटना फिर से न हो, इसे कैसे रोकोगे ?
- जवाब : फीडबैक सिस्टम बनाया है, जिसके तहत आरटीयू में मुखबिरों का जाल बिछाया जाएगा। ये इनफोरमर प्रत्येक कक्षाओं में स्टूडेंट्स व शिक्षकों के बीच मौजूद रहेंगे। स्टूडेंट्स की परेशानियों व शिक्षकों का क्लास में विद्यार्थियों के प्रति व्यवहार पर पैनी नजर रखेंगे।
- सवाल : प्रो. राजीव गुप्ता के मामले में क्या कार्रवाई की जाएगी?
- जवाब : इसकी जांच पुलिस कर रही है, पुरानी वुमन सेल बदलकर नई सेल बनाई है। सभी सदस्यों को बदला है। वर्तमान अध्यक्ष प्रो. मनीषा व्यास को छात्राओं से जुड़ी समस्याओं का तुरंत समाधान कर रिपोर्ट देने को निर्देशित किया है।
- सवाल : सब्जेक्ट व बैच रोटेशन की पालना क्यों नहीं की गई ?
- जवाब : मुझे आरटीयू में आए अभी तीन माह ही हुए हैं। मुझसे पहले वालों ने सिस्टम ठीक से नहीं चलाया। जिसकी वजह से इस तरह की परेशानियां सामने आई। अब सिस्टम में बदलाव कर दिया गया है। संदिग्ध शिक्षकों का कोर्स बदल दिया है। वहीं, नॉन टिचिंग व टिचिंग फैकल्टी को प्रमोशन दिया है। इनका 10-10 सालो से प्रमोशन नहीं हुआ था।
- सवाल : आरटीयू के विकास में प्राथमिकताएं क्या
- जवाब : राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय का देश ही नहीं अंतरराष्टÑीय स्तर पर लेवल बढ़ाना है। यहां पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थियों को प्लेसमेंट मिले, थार व इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस करवा रहे हैं। आरटीयू का छात्र दुनिया में कहीं नौकरी करना चाहे तो आसानी से कर सके। क्वालिटी एजुकेशन देने का प्रयास है।
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