दादी रतनमोहिनी की स्मृतियां शेष : 13 मेगा पैदल यात्राएं की, देश-विदेश में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवजा गया
वर्ष 2006 में युवा पदयात्रा ने बनाया था लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड
युवा प्रभाग द्वारा दादीजी के नेतृत्व में 2006 में निकाली गई स्वर्णिम भारत युवा पदयात्रा ने ब्रह्माकुमारीज के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया।
आबूरोड। दादी रतनमोहिनी के नेतृत्व में 1985 में भारत एकता युवा पदयात्रा निकाली गई। इससे 12550 किमी की दूरी तय की गई। यात्रा का शुभारंभ तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने किया था। कन्याकुमारी से दिल्ली 3300 किमी की सबसे लंबी यात्रा रही। दादी के निर्देशन में करीब 70 हजार किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्राएं निकाली गईं। वर्ष 2006 में निकाली गई युवा पदयात्रा ने लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जहां नाम दर्ज कराया, वहीं सभी यात्रियों ने 30 हजार किमी की पैदल यात्रा तय की। दादी ने 13 मेगा पैदल यात्राएं की हैं। आपको देश.विदेश में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से समय समय पर सम्मानित किया गया है। 1954 में आपने जापान में आयोजित विश्व शांति सम्मेलन में ब्रह्माकुमारीज का प्रतिनिधित्व किया। एक वर्ष तक एशिया के देशों में सेवाएं दीं। 1956 से 1969 तक मुंबई में ईश्वरीय ज्ञान का प्रचार.प्रसार किया। आध्यात्मिक सेवा के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की। देशभर में कई सेमिनार और सम्मेलन आयोजित किए।
1972 से 1974 तक यूनाइटेड किंगडम में सेवाकेंद्रों की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई। 1993 मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की और व्याख्यान दिए। 1994 कैरेबियन, संयुक्त राज्य अमेरिकाए कनाड़ा में भारतीय संस्कृति का संदेश दिया। 1995 में देशभर में युवा विकास अभियान चलाया गया। इसमें माध्यम से युवाओं को अध्यात्म और राजयोग का संदेश दिया गया। 2001 में ब्राजील, अटलांटा यूएसए, यूके में नेशनल एडवांस मेडिटेशन रिट्रीट की यात्रा की और संचालन किया। 2003 में मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग, रूस में नेशनल एडवांस मेडिटेशन रिट्रीट की यात्रा की और आयोजन किया। 2005 में डब्ल्यूपीसी 1954 के स्वर्ण जयंती वर्ष की स्मृति में दादी ने जापान फिलीपिंस और हांगकांग का दौरा किया।
बहनों की ट्रेनिंग और नियुक्ति की कमान
वर्ष 1996 में ब्रह्माकुमारीज की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय हुआ कि अब विधिवत बेटियों को ब्रह्माकुमारी बनने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए एक ट्रेनिंग सेंटर बनाया गया और तत्कालीन मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि ने आपको ट्रेनिंग प्रोग्राम की हैड नियुक्त किया। तब से लेकर आज तक बहनों की नियुक्ति और ट्रेनिंग की जिम्मेदारी दादीजी के हाथों में रही। दादी के नेतृत्व में अब तक 6000 सेवाकेंद्रों की नींव रखी गई है।
40 साल तक युवा प्रभाग की संभाली कमान
युवा प्रभाग द्वारा दादीजी के नेतृत्व में 2006 में निकाली गई स्वर्णिम भारत युवा पदयात्रा ने ब्रह्माकुमारीज के इतिहास में एक नया अध्याय लिख दिया। पद यात्रा द्वारा पूरे देश में 30 हजार किमी का सफर तय किया गया। इसमें पांच लाख ब्रह्माकुमार भाई-बहनों ने भाग लिया।

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