विद्यापीठ : बेटियों ने बढ़ाया मान, 52.50 फीसदी के गले में गोल्ड मेडल

14वें दीक्षांत में लगातार तीसरे साल छात्रों की तुलना में छात्राओं ने दर्ज की उपलब्धि

विद्यापीठ : बेटियों ने बढ़ाया मान, 52.50 फीसदी के गले में गोल्ड मेडल

जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के 14वें दीक्षांत समारोह में लगातार तीसरे साल बेटियों ने सर्वाधिक गोल्ड मेडल प्राप्त कर अपना और अपने परिवार का मान बढ़ाया। 14वें दीक्षांत में कुल 80 में से 42 छात्राओं ने गोल्ड मेडल प्राप्त किए हैं।

उदयपुर। जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के 14वें दीक्षांत समारोह में लगातार तीसरे साल बेटियों ने सर्वाधिक गोल्ड मेडल प्राप्त कर अपना और अपने परिवार का मान बढ़ाया। 14वें दीक्षांत में कुल 80 में से 42 छात्राओं ने गोल्ड मेडल प्राप्त किए हैं। विद्यापीठ के रिकार्ड के अनुसार 2020 में 66.25, 2021 में 59.34 तथा इस साल  52.50 फीसदी बेटियों ने यह उपलब्धि हासिल की है। समारोह में 2020-21 में कुल 2085 स्नातक, 885 स्नातकोत्तर को डिग्री, 456 डिप्लोमा धारकों को डिप्लोमा प्रदान किए गए तथा संस्थान की ओर से 80 गोल्ड मेडल प्रदान किए गए जिसमें से 42 गोल्ड मेडल छात्राओं व 38 छात्रों के नाम रहे। वहीं, कुल 26 छात्राओं व 22 छात्रों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई। इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि व शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने भी छात्राओं की इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि ‘ज्ञान जल से भी पतला है, जिसे सुभाषित वाक्यों के माध्यम से समाज को पहुंचाने का कार्य करना ही अपनी शिक्षा पूर्ण करने के वास्तविक उद्देश्यों की पूर्ति होगी।’

नाती-पोतो के साथ पहुंचे समारोह में
विद्यापीठ के 14वें दीक्षांत की विशेषता यह रही कि समारोह में कोई अपनी बेटी और नातियों के साथ तो कोई अपनी बहु और पौतों के साथ पहुंचा। उपाधियां-गोल्ड मेडल मिलने के बाद सपरिवार सेल्फी का दौर चला और एक दूसरे को शुभकामनाएं दी गई। समारोह में वरिष्ठ पत्रकार जगदीशचंद्र को डी-लिट की मानद उपाधि से नवाजा गया।

किसने क्या दी सीख
शिक्षा मंत्री डॉ. कल्ला ने कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की वो मजबूत नींव है, जो उस देश की उन्नति की इमारत को खड़ा करती है। शिक्षा के बलबूते पर ही कुछ बना जा सकता है। शिक्षा तभी सार्थक है जब उसका उपयोग सीखने के साथ-साथ सिखाने में भी किया जाता है। मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति एपी साही ने कहा कि भारतीय शिक्षा जीवन के दर्शन को सिखाने के साथ-साथ स्वयं को अनुशासित करने और समाज के लिए कर्तव्य पालन को पूर्ण करने के लिए प्रेरित करती है। जिसके माध्यम से प्रबंधन, समाधान और उनके सदुपयोग की क्षमताएं हासिल करते हैं। 

स्वामीनारायण मंदिर लोया धाम गुजरात के संत डॉ. वल्लभदास स्वामी ने कहा कि शिक्षा देश ही नहीं, विश्व की रीढ़ की हड्डी है, जो हमें प्रगति, शांति, आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के गुणों से युक्त बनाती है। कुलाधिपति प्रो बलवंतराय जानी ने कहा कि समय के साथ-साथ राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय नए-नए पाठ्यक्रम व कोर्सेज विद्यार्थियों के उपलबध करवा रहा है जिसमें संज्ञानात्मक विज्ञान, मानवाधिकार, कॉमर्शियल एंड साइबर लॉ से जुड़े पाठ्यक्रम आने वाले समय में संस्थान में प्रारंभ करने की घोषणा की।  कुलपति प्रो. एसएस सारंगदेवोत ने कहा कि विश्वविद्यालय लगातार विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक कार्यक्रमों व गतिविधियों का संचालन कर रहा है। साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शैक्षिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन और पाठ्यक्रमों को शामिल करने का कार्य शुरू कर चुका है।

 

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