संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बना पाकिस्तान
जुलाई में करेगा यूएनएससी की अध्यक्षता
नए साल के पहले दिन पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल का कार्यकाल शुरू कर रहा है
इस्लामाबाद। नए साल के पहले दिन पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अस्थायी सदस्य के रूप में दो साल का कार्यकाल शुरू कर रहा है। पाकिस्तान को यूएनएससी की अस्थायी सदस्यता तब मिल रही है, जब पूरी दुनिया कई तरह की परेशानियों का सामना कर रही है। यह यूएनएसी में पाकिस्तान का आठवां कार्यकाल है। जून में जापान की जगह चुने गए पाकिस्तान ने यूएनएससी में एशिया-पैसिफिक की दो सीटों में से एक पर कब्जा किया है। इतना ही नहीं, पाकिस्तान जुलाई में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भी करेगा। ऐसे में तय माना जा रहा है कि पाकिस्तान हर बार की तरह इस बार भी इस मंच का दुरुपयोग अपने भारत विरोधी प्रॉपगैंडा फैलाने के लिए करेगा।
पाकिस्तान को इस अहम टीम में मिली जगह
पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के इस्लामिक स्टेट और अलकायदा प्रतिबंध समिति में भी एक सीट हासिल करेगा, जो इन संगठनों से जुड़े व्यक्तियों और समूहों को आतंकवादी के रूप में नामित करने और प्रतिबंध लगाने के लिए जिम्मेदार है। बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान खुद पूरी दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ी फैक्ट्री है। पाकिस्तान के दर्जनों नागरिकों को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जा चुका है। ऐसे में आशंका है कि वह इस अवसर का उपयोग पड़ोसियों को धमकाने, खासतौर पर अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान पर दबाव बनाने के लिए कर सकता है।
क्या भारत की टेंशन बढ़ाएगा पाकिस्तान?
पाकिस्तान भले ही दो वर्ष के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बना है या फिर जुलाई में इसकी अध्यक्षता करेगा, लेकिन उसके पास शक्तियां सीमित ही रहेंगी। पाकिस्तान के पास सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों की तरह वीटो शक्ति नहीं होगी। ऐसे में वह किसी प्रस्ताव पर मतदान कर सकता है या फिर उसका विरोध कर सकता है, लेकिन किसी प्रस्ताव को रोक नहीं सकता। ऐसे में भारत को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। लेकिन, पाकिस्तान को इस शक्तिशाली मंच से हर बार भारत के खिलाफ गलतबयानी करने और प्रॉपगैंडा फैलाने का मौका जरूर मिल जाएगा।
दुनिया में तनाव के बीच पाक को मिली कमान
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की सदस्यता तब मिली है, जब गाजा, सीरिया, यूक्रेन युद्ध की आग से जल रहे हैं। वहीं, दुनिया के कई हिस्सों में व्यापक तनाव व्याप्त है। पाकिस्तान इस मंच से न केवल फिलिस्तीनियों के अधिकारों का समर्थन करेगा, बल्कि कश्मीर पर भारत को भी घेरने की कोशिश करेगा। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान के यूएन राजदूत मुनीर अकरम ने गाजा में मानवीय संकट को संबोधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, युद्ध विराम, बेरोक मानवीय पहुंच और नागरिक हताहतों के लिए जवाबदेही का आह्वान किया।
यूएनएससी में क्या करेगा पाकिस्तान
उन्होंने फिलिस्तीन के द्वि-राष्ट्र समाधान के लिए इस्लामाबाद की प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, उन्होंने परिषद के भीतर विभाजन पर काबू पाने की चुनौती को स्वीकार किया, जहां वीटो शक्तियां अक्सर आम सहमति को पटरी से उतार देती हैं। इसी तरह, यूएनएससी एजेंडे पर सबसे पुराने मुद्दों में से एक कश्मीर विवाद को पुनर्जीवित करने के पाकिस्तान के प्रयासों में बाधाएं आ रही हैं। राजदूत अकरम ने कहा कि हम कश्मीरियों की दुर्दशा को उजागर करना जारी रखेंगे और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ठोस कदम उठाने के लिए दबाव डालेंगे। हालांकि, भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव पाकिस्तान को उसकी चाल में सफल होने से रोक रही है।
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