
पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान से जुड़े विवाद के कारण भारत में जले शहर, पाक को दिख रहा शांतिपूर्ण प्रदर्शन
पाक ने कहा हम भारतीयों मुस्लिमों के साथ
इस्लामाबाद। पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान से जुड़े विवाद के कारण भारत के अलग-अलग हिस्सों में जुमे की नमाज के बाद बवाल देखने को मिला। पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया है।
इस्लामाबाद। पैगंबर मोहम्मद पर दिए गए बयान से जुड़े विवाद के कारण भारत के अलग-अलग हिस्सों में जुमे की नमाज के बाद बवाल देखने को मिला। पत्थरबाजी, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया है। पाकिस्तान ने इस घटना की आलोचना की है। भारत में पत्थरबाजी, आगजनी की घटनाएं पाकिस्तान को शांतिपूर्ण नजर आती है। पाकिस्तान का कहना है कि जो लोग शांति से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे
पुलिस ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, भारत के अलग-अलग राज्यों में भारतीय अधिकारियों ने अंधाधुंध और व्यापक रूप से क्रूर बल का इस्तेमाल किया है। रांची में दो निर्दोष मुस्लिम प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई और 13 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। बता दें कि रांची में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने हवाई फायरिंग की थी। इसमें दो लोग घायल हो गए थे। बाद में उनकी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। पाकिस्तान में भी शुक्रवार को बवाल को इस घटना के चलते प्रदर्शन हुआ था।
पाकिस्तान भारतीय मुस्लिमों के साथ खड़ा है
पाकिस्तान ने बयान में आगे कहा कि यह भारत सरकार की दमनकारी हिंदुत्व से प्रेरित बहुसंख्यकवादी नीति का एक उदाहरण है, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों को सताना है। विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि भारत सरकार मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार कर रही है, जिसकी वह निंदा करते हैं। आगे कहा गया कि पाकिस्तान भारतीय मुस्लिमों के साथ खड़ा है। बयान में आगे कहा गया कि इस तरह की घटनाएं सांप्रदायिक हिंसा को और भी बढ़ाएंगी।
पाकिस्तान ने एक्शन लेने की मांग की
पाकिस्तान ने पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी के मामले में भारत सरकार से एक बार भी अपील की है कि वह अपमानजनक टिप्पणी करने वालों पर एक्शन लें। इसके अलावा पाकिस्तान ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को भी इस मामले का तत्काल संज्ञान लेना चाहिए और भारत को अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिमों के अधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
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