महंगाई की मार

महंगाई की मार

देश में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम लगातार बढ़ाए जाने से आम लोगों पर महंगाई की तगड़ी मार पड़ रही है।

देश में पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के दाम लगातार बढ़ाए जाने से आम लोगों पर महंगाई की तगड़ी मार पड़ रही है। इस साल पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ती रहने से पेट्रोल एक सौ रुपए से अधिक प्रति लीटर हो गया है, वहीं अब डीजल भी सौ रुपए प्रति लीटर हो गया है। रसोई गैस के दाम हर महीने बढ़ाए जाने से लोगों की कमर और टूट गई है। अब फिर 15 रुपए बढ़ा दिए जाने से रसोई गैस का सिलेण्डर एक हजार की आसपास की कीमत का हो गया है। डीजल के दाम लगभग बढ़ने से माल ढुलाई काफी ज्यादा होने से आम जरूरत की हर चीज काफी महंगी बिकने लगी है। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ाई जाने से लग रहा है कि निकट भविष्य में राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। इससे महंगाई का बोझ और बढ़ेगा। सरकार साफ कह चुकी है कि इन बढ़ते दामों को रोकना फिलहाल संभव नहीं है, क्योंकि कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। अन्तरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सात साल के उच्चतम स्तर पर चल रहा है। इसी तरह प्राकृतिक गैस के दाम भी काफी बढ़ने से इसका असर रसोई गैस की कीमतों पर पड़ रहा है। भारत तेल और गैस के आयात पर ही निर्भर है, तो इन उत्पादों का महंगा स्वाभाविक बन जाता है। जब भी घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ाए जाते हैं तो सरकार की तरफ से यही तर्क दिया जाता है। लेकिन सवाल है कि आखिर भारत में इन कीमतों की आखिर कोई सीमा भी तय की जानी चाहिए। सरकार को अच्छी तरह पता है कि देश की बड़ी आबादी रसोई गैस पर ही निर्भर है, इनमें करोड़ों परिवार काफी गरीब हैं। कोई गरीब परिवार ही क्या मध्यम वर्ग तक के परिवारों में एक हजार रुपए का गैस सिलेंडर खरीदने की क्षमता नहीं है। क्योंकि बाजार में पहले से ही आम जरूरत की सभी वस्तुएं काफी ऊंची बनी हुई हैं। इसी तरह यदि डीजल और रसोई गैस की कीमतें बढ़ती रहीं तो आम आदमी की तो कमर ही टूट जाएगी। केन्द्र व राज्यों की सरकारों को कोई रास्ता निकालना चाहिए। पेट्रोलियम पदार्थों पर वसूले जाने वाले शुल्क में कटौती की जानी चाहिए।

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