मौसमी बीमारी का कहर : काबू पाने में चिकित्सा विभाग नाकाम

मौसमी बीमारी का कहर : काबू पाने में चिकित्सा विभाग नाकाम

डेंगू के नए वेरिएंट ने बढ़ाई चिंता कुछ दिन और रहेगा इसका असर :अकेले एसएमएस में नवम्बर माह में ही 15 से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान

 जयपुर। प्रदेश में इन दिनों मौसमी बीमारी कहर बनकर टूट रही है। कोरोना तो लगभग खत्म हो चुका है, लेकिन इसके अलावा अन्य मौसमी बीमारियों जिनमें सबसे ज्यादा कहर डेंगू बरपा रहा है। इसके साथ ही वायरल, मलेरिया और चिकनगुनिया, बच्चों में निमोनिया जैसी बीमारियों ने आमजन को परेशानी में डाल दिया है। चिकित्सा विभाग के मौसमी बीमारियों पर काबू के दावे सिर्फ कागजी साबित हो रहे हैं और अस्पतालों में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। वहीं अस्पताल सूत्रों की माने तो प्रदेश के सबसे बड़े एसएमएस अस्पताल में नवंबर माह में ही डेंगू से 15 लोगों की मौत हो चुकी है। चिकित्सकों का इसके पीछे मानना है कि एक तो इस साल मानसून देरी से विदा हुआ, वहीं डेंगू के नए वेरीएंट का असर इस बार ज्यादा है। साथ ही त्योहारी सीजन में मरीजों की लापरवाही भी इसका बड़ा कारण है।


तेज ठंड में कम हो जाता है असर

विशेषज्ञों का मानना है कि डेंगू का असर तेज ठंड में कम हो जाता है। ऐसे में 15 नवम्बर के बाद मौसम में बदलाव आने और ठंड का असर बढ़ने के कारण डेंगू का प्रभाव कम हो सकता है। हालांकि विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आमजन में इलाज के प्रति लापरवाही डेंगू के बढ़ते मामलों का एक बड़ा कारण है। बुखार आने पर मरीज खुद अपनी मर्जी से दवाएं ले रहे हैं और ज्यादा सिवियर होने के बाद ही अस्पताल पहुंच रहे हैं।


चिकित्सकों का कहना है कि डेंगू से इस बार युवा ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। वहीं प्राइमरी डेंगू भी इस बार ज्यादा खतरनाक हो चुका है। देरी से और सही इलाज नहीं लेने के कारण लीवर फेल्योर के केसेस भी देखने को मिल रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि इस बार डेंगू के वेरियंट में आए बदलाव का ही असर है कि प्लेटलेट्स की रिकवरी भी स्लो है। पहले जहां तीन से चार दिन में प्लेटलेट्स रिकवरी मोड में आ जाती थी उसमें अब सात से दस दिन लग रहे हैं।

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