सत्तर फीसदी वैक्सीनेशन के बिना लॉकडाउन देश पर दोहरी मार
भारत में कोरोना महामारी का संक्रमण जिस गति से बढ़ रहा है उस संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सिर्फ लॉकडाउन लगाने से काम नहीं चलेगा। कब तक देश में लॉकडाउन लगाएंगे? क्या जुलाई तक लॉकडाउन रहेगा...? कहा जा रहा कि अभी कोरोना वायरस की दूसरी लहर का पीक आ सकता है।
@नरेन्द्र चौधरी
भारत में कोरोना महामारी का संक्रमण जिस गति से बढ़ रहा है उस संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीनेशन बहुत जरूरी है। संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सिर्फ लॉकडाउन लगाने से काम नहीं चलेगा। कब तक देश में लॉकडाउन लगाएंगे? क्या जुलाई तक लॉकडाउन रहेगा...? कहा जा रहा कि अभी कोरोना वायरस की दूसरी लहर का पीक आ सकता है। इसके बाद कोविड-19 के मामलों में गिरावट दर्ज की जाएगी। इससे एक उम्मीद जाग्रत होती है। जिस तरह द्वितीय विश्व युद्ध के समय विंस्टन चर्चिल ने सैनिकों के शवों को रातों रात हटवा दिया था इससे अन्य सैनिकों का मनोबल नहीं टूटा और इंग्लैंड बच गया था। यह एक उदाहरण है। सकारात्मक दृष्टिकोण की आशा रखना अच्छी बात है, लेकिन इसके साथ ही ठोस कार्रवाई भी करनी पड़ेगी। सिर्फ यह उम्मीद करना कि पीक के बाद संक्रमित मामलों में गिरावट आएगी इससे काम नहीं चलेगा। दुनिया के कई देशों ने ज्यादा से ज्यादा वैक्सीनेशन तीव्र रफ्तार से करके ही कोरोना पर विजय पाई है। महामारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन बेहद जरूरी है।
कई देशों की सरकार ने लॉकडाउन के साथ वैक्सीनेशन को तवज्जो दी। जिन-जिन देशों में वैक्सीनेशन हुए वहां कोरोना संक्रमण के मामले घटते जा रहे है और अस्पताल में भर्ती होने का सिलसिला भी कम होता जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार देश की कुल जनसंख्या की कम से कम 70 प्रतिशत आबादी को वैक्सीन लगे तभी स्थिति नियंत्रण में आ सकती है। और इस महामारी से मुक्ति मिल सकती है। वैक्सीनेशन भी जितना जल्दी होगा उतना ही ज्यादा फायदा होगा। वैक्सीनेशन कार्यक्रम की रफ्तार में जितना विलंब होगा तो यह वायरस म्यूटेट कर जाएगा। वर्तमान में कोरोना संक्रमण और मृतकों की संख्या के आंकड़े सुनामी की तरह बढ़ते जा रहे हैं। देश में जिस गति से वैक्सीनेशन हो रहा है इस रफ्तार से आखिर कब पूरा होगा अभियान? कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे देश में टीकों की कमी हो रही है। पहली डोज के लगने में ही तीन साल लग जाएंगे। सेकंड डोज भी समय पर लगनी है, 6-7 माह बाद तीसरी डोज लगनी भी जरूरी है। इस गति से तो 100 प्रतिशत आबादी को दूसरी डोज का टीका लगने में दस साल लग जाएंगे।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला का कहना है कि भारत में वैक्सीन की किल्लत जुलाई तक जारी रह सकती है। वहीं स्पूतनिक-वी वैक्सीन भी जुलाई तक ही आ सकेगी। ऐसे में क्या जुलाई तक लॉकडाउन किया जाएगा? टीकों को लेकर जनता में उत्साह है, लेकिन टीकों की किल्लत हो रही है। यदि लॉकडाउन खोल दिया तो फिर से कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ जाएंगे। अच्छी मात्रा में वैक्सीन की उपलब्धता जुलाई तक ही संभव है। आज स्थिति यह है कि पहली डोज लगवा चुके लोग दूसरी डोज का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन वैक्सीन की कमी के कारण दूसरी डोज लगने में देरी हो रही है। अस्पताल में बिस्तर और ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए सबसे बड़ी उम्मीद वैक्सीन ही है। चाहे जहां से भी हो सरकार वैक्सीन खरीदे। आगे के लिए एडवांस दें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जल्दी से जल्दी वैक्सीन लगवाने का इंतजाम करें। इस समय देश सर्वोपरि है। भारत को विदेशी टीका कंपनियों से टेस्टेड वैक्सीन और कच्चा माल विश्व के किसी भी देश में जहां पर भी यह हो उसे तत्काल खरीद लेना चाहिए। विश्व के देशों से वैक्सीन और कच्चा माल खरीदने के लिए आत्मनिर्भर पॉलिसी भी छोड़नी पड़े तो छोड़नी चाहिए और खुला बाजार नीति अपनानी पड़े तो वह भी अपनानी चाहिए।
अगर आगामी महीनों तक लॉकडाउन लगा तो मानव क्षति कितनी होगी, साथ ही अर्थव्यवस्था भी चरमरा जाएगी। देश पर दोहरी मार पड़ेगी। पहले भी पूर्ण लॉकडाउन का सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। कोविड-19 महामारी ने देश को सबसे खराब दौर में लाकर खड़ा कर दिया है। स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। अर्थव्यवस्था, रोजगार पर संकट उत्पन्न हो गया है। अगर वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार रही और कम से कम 70 प्रतिशत आबादी का वैक्सीनेशन नहीं हुआ तथा लंबी अवधी तक लॉकडाउन चलता रहा तो भारत की अर्थव्यवस्था 20-25 साल पीछे चली जाएगी। अभी मृतकों की संख्या का आंकड़ा बढ़ रहा है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में मृत्यु हो रही है। अगर लॉकडाउन भी खुलता है तो भीड़ बढ़ेगी और वायरस म्यूटेट करेगा। लॉकडाउन खोलने से भी वायरस तो खत्म नहीं होगा। अमेरिका के शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञ डॉक्टर फाउची ने कोरोना को लेकर बड़ी सलाह दी है। उन्होंने कहा है कि भारत में कोरोना संकट का एकमात्र हल टीकाकरण ही है। उन्होंने घरेलू और वैश्विक दोनों स्तर पर कोविड-19 वैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने की सलाह दी है। दुनिया भर में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से बात करनी चाहिए। जुलाई तक वैक्सीन आए यह संभावना है निश्चितता नहीं है। उस समय क्या परिस्थितियां रहेगी यह उस पर निर्भर है। अन्यथा वायरस म्यूटेट कर रहा है। तेजी से फैल रहे संक्रमण और तीसरी लहर की आशंका के बीच अब तक किए गए प्रयास बेकार ना हो जाएं।
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