भारत, चीन, ताइवान की बायोलैब में बन रहे महाविनाशक वायरस! आ सकती है कोरोना से भी खतरनाक महामारी

कोरोना के बाद बायोलैब्स की संख्या में भारी उछाल

भारत, चीन, ताइवान की बायोलैब में बन रहे महाविनाशक वायरस! आ सकती है कोरोना से भी खतरनाक महामारी

खतरनाक वायरस को अपने अंदर रखने वाली प्रयोगशालाएं अब 27 देशों में फैल गई हैं। किंग्स कॉलेज लंदन के विशेषज्ञों ने इन लैब्स से होने वाले संभावित जोखिम को उजागर किया है।

वॉशिंगटन। कोरोना माहमारी आने के बाद अब उन बायोलैब्स की संख्या में एक बड़ा उछाल देखने को मिला है, जिनमें दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस रखे हैं। इसे देखते हुए एक्सपर्ट्स एक खतरनाक हथियारों की रेस की चेतावनी दे रहे हैं। खतरनाक वायरस को अपने अंदर रखने वाली प्रयोगशालाएं अब 27 देशों में फैल गई हैं। किंग्स कॉलेज लंदन के विशेषज्ञों ने इन लैब्स से होने वाले संभावित जोखिम को उजागर किया है। डॉ फिलिपा लेंट्जोस और डॉ ग्रेगरी कोबलेंट्स की लिखी गई रिपोर्ट में इस बात की चेतावनी दी गई है कि ऐसी उच्च जोखिम वाली लैब की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 2021 के बाद से 10 बिल्कुल नई लेवल-4 की बायोसिक्योरिटी लैब या तो परिचालन में हैं या निमार्णाधीन हैं और या फिर प्लानिंग में हैं। दुनिया में 69 लैब हैं, जिनमें से 51 चल रही हैं, 15 की योजना बनाई गई है और तीन का निर्माण चल रहा है। इन लैब्स का निर्माण एक ऐसे समय में हो रहा है, जब अभी भी इस सवाल का जवाब नहीं मिला है कि क्या कोरोना का वायरस एक लैब से निकला था या नहीं? महामारी की शुरूआत के बाद से 9 देशों ने 12 नई बीएसएल-4 लैब बनाने की योजना का खुलासा किया था।

अमेरिका ने शुरू की लैब्स की रेस
रटगर्स यूनिवर्सिटी में रसायन और केमिकल बायोलॉजी के प्रोफेसर और जैव सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. रिचर्ड एब्राइट का कहना है कि 2002 से अमेरिका में हाई रिस्क लैब के निर्माण में तेजी देखने को मिली। इसने दुनिया भर में बीएसएल-4 लेवल की लैब की रेस को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इरछ-4 लैब का निर्माण कर हथियारों की एक नई रेस शुरू की, जिसमें चीन और रूस बाद में शामिल हुए। अब यह दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहे हैं। अमेरिका ने जो रेस शुरू की है उसे खत्म करना चाहिए।

लैब की सुरक्षा को लेकर सवाल
डॉ लेंट्जोस और डॉ कोबलेंट्स ने चेतानी दी कि प्रयोगशालाओं की सुरक्षा अंतर्राष्ट्रीय मानकों को नहीं मान रही हैं, जो एक बड़ा खतरा हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा देश हाई रिस्क लैब बना रहे हैं। वह दोहरे इस्तेमाल वाली बायोटेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं और खतरनाक वायरस के साथ प्रयोग कर रहे हैं। अगर यहां से कोई एडवांस वायरस लीक हो जाता है तो बड़ी महामारी बन सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा लैब यूरोप में हैं, जिनकी संख्या 26 है। एशिया में 20 लैब हैं, जिनमें से 11 के निर्माण का प्लान चीन, भारत, कजाकिस्तान, ताइवान, फिलीपींस, सऊदी अरब, सिंगापुर और जापान में है। उत्तरी अमेरिका में 15, अफ्रीका में तीन, आॅस्ट्रेलिया में 4 और दक्षिणी अमेरिका में 1 लैब हैं। भारत में तीन लैब हैं जिनमें निमार्णाधीन भी शामिल हैं।

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