प्रशांत महासागर में 1,300 मीटर गहराई में मिली सोने-चांदी की खानें : रोबोट ने दुर्लभ और रहस्यमय चीजें ढूंढ़ी, चट्टानों के लिए टुकड़े
गैस के नमूने लेना बहुत आसान हो गया
अंधेरे में भी यह शानदार तस्वीरें और वीडियो लेता है। इसके मजबूत हाथों से पानी और गैस के नमूने लेना बहुत आसान हो गया।
बर्लिन। जर्मनी के वैज्ञानिकों ने एक खास रोबोट की मदद से प्रशांत महासागर में 1,300 मीटर गहराई तक पहुंचकर कुछ ऐसा देखा, जो धरती पर पहले कभी नहीं देखा गया। यह खोज पापुआ न्यू गिनी के पास कोनिकल ज्वालामुखी के पास हुई है। रोबोट ने वहां एक नया हाइड्रोथर्मल क्षेत्र ढूंढा, जिसका नाम करंबुसेल रखा गया है। अब इस रोबोट की चर्चा दुनिया भर में हो रही है, उसने ऐसा काम कर दिखाया जो शायद ही कोई कर पाता। इंडियन डिफेंस रिव्यू की रिपोर्ट बताती है कि इस खोज में सबसे बड़ा हाथ रहा जर्मनी के जीईओएमईआी संस्थान के रोबोट काइल 6000 का है। यह रोबोट 6,000 मीटर तक की गहराई में जा सकता है, यानी दुनिया के 90 प्रतिशत से ज्यादा समुद्री तल तक पहुंच सकता है। अंधेरे में भी यह शानदार तस्वीरें और वीडियो लेता है। इसके मजबूत हाथों से पानी और गैस के नमूने लेना बहुत आसान हो गया।
रोबोट ने चट्टानों के टुकड़े भी उठाए। उनमें सोना, चांदी और दूसरे कीमती धातु के पुराने निशान मिले। इससे पता चला कि लाखों साल पहले यहां बहुत गर्म पानी ने सोने का खजाना बनाया था। पता जला कि रोबोट उस जगह पर पहुंच गया है, जहां सोना-चांदी की बड़ी खानें हैं और भविष्य में उनका दोहन करना सम्भव हो जाएगा। रोबोट को दूर से ही कंट्रोल किया जाता है, इसलिए इंसान को खतरनाक गहराई में जाने की जरूरत नहीं पड़ी। रोबोट ने गर्म पानी और ठंडी मीथेन गैस दोनों जगहों से सैंपल लिए और सारी जानकारी जहाज तक पहुंचाई। इसे जहाज से एक पतली फाइबर आॅप्टिक केबल से जोड़ा जाता है और बिजली से चलता है।
इसमें दो मजबूत रोबोटिक हाथ लगे हैं जिनसे वैज्ञानिक सैंपल ले सकते हैं, पत्थर तोड़ सकते हैं या कोई भी मुश्किल काम कर सकते हैं। सात इलेक्ट्रिक मोटरों की मदद से ये आगे-पीछे और ऊपर-नीचे आसानी से चलता है। इसमें हाई डेफिनेशन कैमरे और लेजर स्केल हैं जिनसे समुद्र के अंदर की बहुत साफ तस्वीरें और वीडियो मिलते हैं। ये अपने आप दिशा, ऊंचाई और जगह पर रुक भी सकता है, भले ही तेज धारा बह रही हो। कुल मिलाकर ये समुद्र की गहराई में वैज्ञानिकों का सबसे भरोसेमंद साथी है। करंबुसेल में पहली बार ऐसा देखा गया कि बहुत गर्म पानी (51 डिग्री तक) और ठंडी मीथेन गैस (3 से 20 डिग्री) सिर्फ 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर एक साथ निकल रही हैं। मीथेन गैस की मात्रा 80 प्रतिशत से ज्यादा है, जो दुनिया के किसी भी हाइड्रोथर्मल क्षेत्र से बहुत ज्यादा है। रोबोट ने दिखाया कि यहां चिमनी जैसे ढांचे नहीं बने, बल्कि सीधे चट्टानों की दरारों से पानी और गैस निकल रही है।

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