दुर्लभ रोगों के इलाज की दवाओं पर सीमा शुल्क से छूट

निजी उपयोग के लिए आयात की जाने वाली सभी औषधियों एवं खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है

दुर्लभ रोगों के इलाज की दवाओं पर सीमा शुल्क से छूट

वित्त मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्र  सरकार ने सामान्य छूट अधिसूचना के जरिये 'राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021'  के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के सम्बंध में निजी उपयोग के  लिये विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सभी आयातित औषधियों और  खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है।

नयी दिल्ली। केन्द्र सरकार ने  दुर्लभ रोगों की सूची में रखे गए सभी रोगों के उपचार के लिए व्यक्तियों द्वारा निजी उपयोग के लिए आयात की जाने वाली सभी औषधियों एवं खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है।

सरकार ने भिन्न-भिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार  में इस्तेमाल होने वाले पेमब्रोलीजूमाब (केट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा  शुल्क से मुक्त कर दिया है।                            

वित्त मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि केंद्र  सरकार ने सामान्य छूट अधिसूचना के जरिये 'राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021'  के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ रोगों के उपचार के सम्बंध में निजी उपयोग के  लिये विशेष चिकित्सा उद्देश्य को ध्यान में रखते हुये सभी आयातित औषधियों और  खाद्य सामग्रियों को सीमाशुल्क से पूरी छूट दे दी है।

  इस  छूट को प्राप्त करने के लिये, वैयक्तिक आयातक को केंद्रीय या राज्य निदेशक  स्वास्थ्य सेवा या जिले के जिला चिकित्सा अधिकारी/सिविल सर्जन से  प्राप्त प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा। दवाओं/औषधियों पर आम तौर से 10  प्रतिशत बुनियादी सीमा शुल्क लगता है, जबकि प्राणरक्षक दवाओं/वैक्सीनों की  कुछ श्रेणियों पर रियायती दर से पांच प्रतिशत या शून्य सीमा शुल्क लगाया  जाता है।

Read More सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना को मंजूरी , एक लाख करोड़ की लागत आयेगी

  स्पाइनल  मस्कुलर एट्रॉफी या डूशेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिये निर्धारित  दवाओं के लिये छूट प्रदान की जाती है, लेकिन सरकार को ऐसे कई प्रतिवेदन मिल  रहे थे, जिनमें अन्य दुर्लभ रोगों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं  और औषधियों के लिये सीमा शुल्क में राहत का अनुरोध किया गया था। इन रोगों  के उपचार के लिये दवायें या विशेष खाद्य सामग्रियां बहुत महंगी हैं तथा  उन्हें आयात करने की जरूरत होती है। एक आकलन के अनुसार 10 किलोग्राम वजन  वाले एक बच्चे के मामले में कुछ दुर्लभ रोगों के उपचार का वार्षिक खर्च 10  लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये से अधिक तक हो सकता है। यह उपचार जीवन भर  चलता है तथा आयु एवं वजन बढऩे के साथ-साथ दवा तथा उसका खर्च भी बढ़ता जाता  है। इस छूट से खर्च में काफी कमी आ जायेगी तथा मरीजों को राहत मिलेगी।

Read More हड्डियों को बनाना चाहते हैं फौलाद, न करें इन चीजों का सेवन

भिन्न-भिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार  में इस्तेमाल होने वाले पेमब्रोलीजूमाब (केट्रूडा) को भी बुनियादी सीमा  शुल्क से मुक्त कर दिया गया है।

Read More राज्य में निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपए से ऊपर ले जाने का लक्ष्य- राजीव अरोड़ा

Tags:

Post Comment

Comment List

Latest News

डब्ल्यूटीसी फाइनल से बाहर हुए जॉश हेजलवुड डब्ल्यूटीसी फाइनल से बाहर हुए जॉश हेजलवुड
हेजलवुड ने पिछले तीन सालों में बार-बार चोटग्रस्त होने के कारण सिर्फ तीन टेस्ट खेले हैं। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के...
विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर भाजपा पर अनर्गल आरोप लगाना बंद करें: राजेन्द्र राठौड़
बेटियों के सामने हमारे सिर शर्म से झुके हैं, क्योंकि शिक्षा के मंदिर स्कूल तक में पसरे हैं हैवान : शेखावत
संत कबीर की जयंती पर लगाया नेत्र चिकित्सा शिविर  
Odisha Train Accident: रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेकर रेल मंत्री का इस्तीफा लें मोदी : कांग्रेस
Odisha Train Accident: एलआईसी ने पीड़ितों के लिए की राहत की घोषणा
Odisha Train Accident: इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में बदलाव से हुई दुर्घटना- रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव