वंदे भारत ट्रेन कोटा से सिटी बजाने को तैयार

दिल्ली मुंबई मार्ग पर चलाने की संभावना, वंदे भारत ट्रेन का दूसरा ट्रायल 3 से 5 मई के बीच चेयर कार रैक के साथ होगा, 500 किमी से अधिक दूरी के बीच ही चलेगी ट्रेन,ट्रेन खड़ी करने से लेकर स्टाफ तक की हो चुकी ट्रेनिंग, प्रदेश की दूसरी ट्रेन होगी

वंदे भारत ट्रेन कोटा से सिटी बजाने को तैयार

कोटा चेयर कार रैक का नया रैक चलेगा जिसमें ज्यादा सेफ्टी सिस्टम लगे हैंदेश की सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के पहले सेट का ट्रायल कोटा रेल मंडल में हो चुका है। जिसमें 160 किमी प्रतिघंटे के बीच ट्रेन का चलाकर सफल ट्रायल किया जा चुका है।

कोटा। कोटा में प्रदेश की दूसरी वंदे भारत ट्रेन चलाने को लेकर  रेलवे प्रशासन की और से सभी आवश्यक तैयारियों पूरी की जा चुकी है। जुलाई अगस्त तक नया रैक आते ही यहां ट्रेन चलाने की पूरी संभावना है।  ट्रेन संचालन को लेकर कोटा रेल मंडल के लगभग 20 लोको पायलट, 42 मैकेनिकल कर्मचारी व बिजली विभाग के 12 कर्मचारियों ने ट्रेन के संचालन, रखरखाव व बिजली संबंधी समस्याएं दूर करने का प्रशिक्षण गाजियाबाद जोनल ट्रेनिंग सेंटर, आईसीएफ चैन्नई व दिल्ली शकूर बस्ती में लिया है।कोटा के रेलवे अधिकारी ट्रेन के रखरखाव के लिए गोल्डन पिट लाइन सहित अन्य स्थानों पर व्यवस्थाएं करने में जुटे हुए हैं। साथ ही शेड के लिए भी जगह देखने लगे हैं, ताकि एनुवल अनुरक्षण किया जा सके। जानकारी के अनुसार कोटा से वंदे भारत हजरत निजामुद्दीन, दिल्ली, कोटा से अहमदाबाद व इंदौर-जयपुर वाया कोटा होकर चलाई जा सकती हैं। उदयपुर से जयपुर भी वंदे भारत चलाई जा सकती है। इंदौर व जयपुर के बीच वंदे भारत ट्रेन चलने से दो राज्य राजस्थान व मध्यप्रदेश दोनों जुड़ेंगे।

 कोटा रेल मंडल में ही वंदे भारत ट्रेन के अपग्रेड रैक का सफल ट्रॉयल हुआ था। इसलिए इसकी शीघ्र चलने की संभावनाए बन रही है।  वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का 16 कोच का रैक कोटा आने की उम्मीद है। इसके बारे में अधिकारियों को तैयारियां करने को कहा गया है। अधिकारियों ने इसे देखते हुए यार्ड में तैयारियां शुरू कर दी हैं। गोल्डन पिट लाइन वहां पहले से तैयार हैं। वहां ओएचई लगाई जा रही है। वंदे भारत ट्रेन के इंजन में काफी तकनीकी बदलाव हैं। ट्रेन के दोनों तरफ इंजन लगे हैं। इंजन में चार कैमरे लगे हैं। जिसमें एक-एक दोनों साइड में, एक सामने वाले हिस्से में लगा है। इंजन के कैब में दो बटन लगे हैं जिनसे कोच के दरवाजे बंद रखे जा सकते हैं। इंजन में वैकल्पिक व्यवस्था है, ताकि ट्रेन रास्ते में जंगल में खड़ी नहीं हो सकेगी। जब ट्रेन गंतव्य तक पहुंच जाएगी तब लोको पायलट कैब से उतरकर ट्रेन के पीछे की तरफ चला जाएगा और वहां पहले से दूसरे लगे इंजन पर जाकर कैब में बैठ जाएगा।

कोटा चेयर कार रैक का नया रैक चलेगा जिसमें ज्यादा सेफ्टी सिस्टम लगे हैंदेश की सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के पहले सेट का ट्रायल कोटा रेल मंडल में  हो चुका है। जिसमें 160 किमी प्रतिघंटे के बीच ट्रेन का चलाकर सफल ट्रायल किया जा चुका है। रेलवे की ओर से 75 वंदे भारत ट्रेन चलाई जानी है। अगस्त में वंदे भारत का अपग्रेडेड वर्जन लांच होने की उम्मीद है। इन ट्रेनों को जनशताब्दी के स्थान पर चलाया जाएगा। कोटा से हजरत निजामुद्दीन के बीच भी वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएगी। रेल मंत्रालय ने वर्ष 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेन चलाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। लेकिन अब ट्रेन के रैक शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत अगस्त में ही कुछ वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चला दी जाएंगी। रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के पहले सेट का ट्रायल कोटा रेल मंडल में 3 से 5 मई के बीच होगा। 

पांच घंटे की दूरी वाले स्थानों पर ही चलेगी 
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को सबसे पहले 5 घंटे में दूरी तय करने वाले रेलवे स्टेशनों तक चलाया जाएगा। पहले ट्रेनों को 160 किमी प्रतिघंटे की स्पीड से चलाकर देखा जाएगा। बाद में स्पीड को बढ़ाया जा सकता है।

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निजामुद्दीन जनशताब्दी के स्थान पर चल सकती है ट्रेन
देशभर में सबसे पहले जिन रूट पर जनशताब्दी एक्सप्रेस चल रही है। उन रूट में से ही वंदे भारत सेमी हाई स्पीड ट्रेन को चलाया जाएगा। कोटा से हजरत निजामुद्दीन के बीच जनशताब्दी एक्सप्रेस चलती है। उसके स्थान पर वंदे भारत ट्रेन को चलाया जा सकता है। वंदे भारत ट्रेन के रैक का रखरखाव का काम भी कोटा में ही होगा।

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सुरक्षा में वंदे भारत, आरामदायक, सीट में शताब्दी ज्यादा बेहतर
वंदे भारत ट्रेन की चेयरकार श्रेणी का दिल्ली तक का किराया, रानी कमलापति-नई दिल्ली शताब्दी के करीब 200 रुपए ज्यादा है। इसके बाद भी उसकी सीट यात्रियों के लिए उतनी आरामदायक नहीं है।  जितनी शताब्दी की है। पश्चिम-मध्य रेल जोन के प्रवक्ता  राहुल श्रीवास्तव  का कहना है यात्रियों के फीडबैक के आधार पर अपग्रेडेशन की प्रक्रिया लगातार जारी है।  भोपाल जो वंदे भारत ट्रेन मिली है, वह 2.0 है। अभी इसे और अपडेट किया जाएगा। भोपाल से  दिल्ली के बीच रिटार्यड अधिकारी सीएल शर्मा द्वारा वंदे भारत में की यात्रा के अनुसार उन्होंने जो फीड  बैक दिया उसके अनुसार मध्य प्रदेश की पहली वंदे भारत  ट्रेन और नई दिल्ली के लिए उसके अब तक के सबसे बेहतर शताब्दी के यात्रा अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वंदे भारत व शताब्दी ट्रेन अंदर का अनुभव दोनों का अलग है। उन्होंने बताया कि अपेक्षाकृत कम पैसे में कंफर्ट के मामले में शताब्दी एक्सप्रेस अभी भी एक अच्छा  विकल्प है। हालांकि वंदे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी के मुकाबले करीब सवा घंटे कम समय में यात्रा का विकल्प दे रही है।

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वंदे भारत ट्रेन खानपान में शताब्दी से  काफी आगे
वंदे भारत ट्रेन चेयरकार श्रेणी की सीट में स्पेस कम है। कमर और पीठ को सीट का सपोर्ट आरामदायक नहीं है। वहीं शताब्दी में चेयरकार श्रेणी ज्यादा आरामदायक है। इसमें सीट का सपोर्ट मिलता है जिससे ज्यादा लंबे सफर में आराम से बैठा जा सकता है। लेग स्पेस ज्यादा है। वंदे भारत में अभी  साफ-सफाई बेहतर है। हालाकि अभी इसमें काफी सुधार की गुंजाइश है। वहीं शताब्दी में लंबे समय से चलने के कारण सफाई बेहतर है। वंदे भारत ट्रेन इसमें सुरक्षा कवच है, जो टक्कर की स्थिति में खुद ही ट्रेन रोक देगा। वहीं शताब्दी में अभी सुरक्षा कवच स्टाल नहीं है। इसके लिए काफी समय से प्रयास चल रहा है। खानपान में वंदे भारत मं पोहा-जलेबी, मावाबाटी, रतलामी सेव शामिल है। मिलेट्स भी मिलने वाले हैं। वहीं शताब्दी में अभी पुराने पैटर्न पर चाय कटलेट्स, बिस्किट जैसी चीजे शामिल है।  वंदे भारत में लेग स्पेस काफी कम है। लंबे लोगों को इस कारण परेशानी होती है। वहीं शताब्दी में इसमें लेग स्पेस अपेक्षाकृत अधिक है। जी आराम से बैठने में भी सहायक है। वंदे भारत के टॉयलेट में कम स्पेसर में है। नई तकनीक से यात्री अभी परिचित नहीं है। इससे सफाई का भी इश्यू होता है। वहीं शताब्दी में स्पेस के नजरिए से शताब्दी के टॉयलेट बड़े हैं। लोग इसके सिस्टम से परिचित हैं। इसमें सफाई का इश्यू भी नही हैं ।

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