असीमित संभावनाओं का क्षेत्र है-जैव सूचना प्रौद्योगिकी
जैव सूचना विज्ञान के लिए वेतन स्तर उच्च हैं
जैव सूचना विज्ञान विश्व स्तर पर सुलभ डेटाबेस प्रदान करता है, जो वैज्ञानिकों को तुलात्मक जानकारी प्रस्तुत करने, अन्वेषण, विश्लेषण और व्याख्या करने में सक्षम बनाता है।
आप जीव विज्ञान के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) में रुचि रखते हैं? और आप बायो इंफोर्मेटिक्स को भविष्य में एक करियर के रूप में चुनने को लेकर असमंजस में हैं तो अब आपको परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। यहां हम जैव सूचना विज्ञान के विषय पूरी जानकारी आपकी सुविधा के लिए उपलब्ध करवा रहे हैं।
बायो इंफोर्मेटिक्स या कंप्यूटेशनल बायोलॉजी क्या है?-जैव सूचना विज्ञान, जीव विज्ञान और सूचना प्रौद्योगिकी का एक संयोजन है। जीव विज्ञान, कंप्यूटर जैसे हार्डवेयर और विभिन्न सॉफ्टवेयर्स के माध्यम से हमारी अपेक्षा से भी तेज, सटीक और समय बचाने वाले परिणाम देता है। इसीलिए विज्ञान की इस शाखा को कंप्यूटेशनल बायोलॉजी नाम दिया गया है या फिर साधारण रूप से बायो इंफोर्मेटिक्स कह दिया गया।
जैव सूचना विज्ञान की सहायता से जटिल जैविक डेटा का बहुत तेजी से विश्लेषण किया जा सकता है। इसीलिए इस विज्ञान में गणितज्ञ, सांख्यिकी ज्ञान की भी आवश्यकता पड़ती है। एक जैव सूचना विज्ञानी का प्राथमिक कार्य जैविक नमूनों के विश्लेषण के लिए कोड और सॉफ्टवेयर विकसित करना है। जिसके कारण वैज्ञानिक अनुसंधान में मदद मिलती है।
जैसे मानव शरीर में कई प्रोटीन होते हैं जो हमारे दैनिक शारीरिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। किसी भी प्रोटीन की शिथिलता हमारे शरीर में रोग का कारण बन सकती है। जैव सूचना विज्ञान सॉफ्टवेयर की मदद से हम इस प्रोटीन की संरचना और अन्य प्रोटीन के साथ इसकी तालमेल और कार्य करने का अनुमान लगा सकते हैं।
जैव सूचना विज्ञान विश्व स्तर पर सुलभ डेटाबेस प्रदान करता है, जो वैज्ञानिकों को तुलात्मक जानकारी प्रस्तुत करने, अन्वेषण, विश्लेषण और व्याख्या करने में सक्षम बनाता है। बायो इंफोर्मेटिक्स (कंप्यूटेशनल बायोलॉजी) के क्षेत्र में करियर मार्ग- बायो इंफोर्मेटिक्स के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के लिए विद्यार्थी निम्नलिखित में से अपनी योग्यता अनुसार कोई भी मार्ग चुन सकते हैं। 12वीं (जीव विज्ञान) के बाद बायोइंफॉर्मेटिक्स में बीएससी (आॅनर्स) और फिर एमएससी बायोइंफॉर्मेटिक्स के साथ करके जॉब में जा सकते है या फिर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पीएचडी भी कर सकते हैं। 12वीं बायोलॉजी के पश्चात बायोइंफॉर्मेटिक्स में बीएससी (आॅनर्स) और फिर पीजी डिप्लोमा (बायोइंफॉर्मेटिक्स) कर अपना करियर बना सकते हैं। यदि विद्यार्थी ने 12वीं गणित और विज्ञान विषयों से पास की है तो बीटेक (बायोइंफॉर्मेटिक्स) तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एमएससी (बायोइंफॉर्मेटिक्स) और पीएचडी भी की जा सकती है। जैव सूचना विज्ञान (बायोइंफॉर्मेटिक्स) में भविष्य के लिए संभावनाएं- क्लिनिकल सॉफ्टवेयर इंजीनियर, कम्प्यूटेशनल जीवविज्ञानी, सॉफ्टवेयर डेवलपर, जैव सूचना विज्ञान विश्लेषक, बायोमेट्रिक्सियन, जैव सांख्यिकीविद्, प्रोग्रामर, अनुसंधान विश्लेषक तथा महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य आदि।
बायोइंफॉर्मेटिक्स, विज्ञान के क्षेत्र में एक उभरता हुआ विषय और कौशल हैं। अभी इस क्षेत्र में कुशल लोगों की मांग में दिनोंदिन वृद्धि देखी जा रही है। जहां एक और परंपरागत अध्ययन क्षेत्रों में संभावनाएं सीमित हो रही हैं वहीं यह क्षेत्र, जीव विज्ञान, मेडिकल, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई संभावनाएं प्रदान कर रहा है।
जैव सूचना विज्ञान के लिए वेतन स्तर उच्च हैं। नए लोगों के लिए औसत वेतन 5 से 6 लाख से अधिक है। भारत में बायो इंफोर्मेटिक्स/ कंप्यूटेशनल बायोलॉजी की अध्ययन सुविधाएं निम्नलिखित प्रतिष्ठित संस्थानों में उपलब्ध हैं- केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश, शाहपुर (कांगड़ा), वेल्लोर प्रौद्योगिकी संस्थान, वेल्लोर, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय,कोयंबटूर, केंद्रीय विश्वविद्यालय पंजाब (भटिंडा), आईआईटी मुंबई, दिल्ली तथा खड़गपुर, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा एवम् जयपुर, डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़, जेएनयू नई दिल्ली, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी, आईआईएस विश्वविद्यालय, जयपुर, आईआई आईटी हैदराबाद तथा इलहाबाद।
-राजेंद्र कुमार शर्मा
(ये लेखक के अपने विचार हैं)

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