विश्व पर्यावरण स्वास्थ्य दिवस : हर दिन 12.32 करोड़ लीटर ऑक्सीजन खा रही कोटा की कारें
प्रशासन ध्यान दे तो बच सकती है 2.24 लाख लोगों के लिए स्वच्छ सांसें
सप्ताह में एक दिन नो कार डे मनाकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है।
कोटा। शिक्षा नगरी के रूप में देश-विदेश में विख्यात कोटा सिटी की आबोहवा में हर दिन जहर घुल रहा है। लोग घातक बीमारियों के शिकंजे में जकड़े हैं तो आने वाली पीढ़ी भी खतरे की जद में है और तेजी से बढ़ते खतरे से शासन-प्रशासन बेखबर है। क्या आप जानते हैं, एक दिन में कोटा की कारें करीब 5 करोड़ 60 लाख लीटर कार्बनडाई आॅक्साइड उगल रही है, जो पर्यावरण में घुल रही है। वहीं, एक दिन कारों के पहिए थम जाएं तो 12 करोड़ 32 लाख आॅक्सीजन बच सकती है। यदि, प्रशासन ध्यान दे तो 2 लाख 24 हजार लोगों के लिए स्वच्छ सांसें बचा सकते हैं। दरअसल, इंदौर व दिल्ली की तर्ज पर कोटा जिले में भी सप्ताह में एक दिन नो कार डे मनाया जाना चाहिए। इस पहल से वाहनों के ईंधन (पेट्रोल-डीजल) से होने वाले प्रदूषण को फैलने से कुछ हद तक रोक सकते हैं। यह जानकर आप को हैरानी होगी कि एक कार के इंजन को एक लीटर पेट्रोल की खपत करने के लिए 2200 लीटर आॅक्सीजन की जरूरत होती है।
यूं रोक सकते हैं 5.60 करोड़ लीटर कार्बनडाई आॅक्साइड
वन विभाग के डीएफओ जयराम पांड्ेय के अनुसार, कार का इंजन एक लीटर पेट्रोल या डीजल बर्न करने पर 2 किलोग्राम कार्बनडाई आॅक्साइड साइलेंसर से धुंए के रूप में बाहर निकालता हैं। यदि, 2 किलोग्राम कार्बनडाई आॅक्साइड को लीटर में कनवर्ड करें तो लगभग 1 हजार लीटर होता है। जिसे प्रति 56 हजार कारों में मौजूद एक लीटर ईघन के हिसाब से 56 हजार लीटर ईधन से गुणा करते हैं तो 5 करोड़ 60 लाख लीटर कार्बनडाई आॅक्साइड साइलेंसर से धुए के रूप में पर्यावरण में घुल जाता है, जो पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। इसे सप्ताह में एक दिन नो कार डे मनाकर पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका जा सकता है। यह कैलकुलेशन 800 सीसी से लेकर 1999 सीसी की कारों का औसत निकालकर किया गया है।
20 हजार 300 डीजल
35 हजार 700 पेट्रोल कार
कोटा परिवहन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 56 हजार कारें रजिस्टर्ड हैं। इनमें 20 हजार 300 डीजल व 35 हजार 700 पेट्रोल है। ऐसे में एक दिन में 56 हजार कारें सड़कों पर आती हैं तो एक लीटर पेट्रोल या डीजल के हिसाब से 56 हजार लीटर ईधन की खपत करने के लिए कार के इंजन को कुल 12 करोड़ 32 लाख आॅक्सीजन की जरूरत पड़ती है। यदि, सप्ताह या महीने में एक दिन नो कार डे घोषित किया जाए और इनमें से आधी कारों के पहिए थम जाए तो भी हम करोड़ों लीटर आॅक्सीजन बचा सकते हैं।
यूं समझें गणित
आरटीयू के प्रोफेसर अनंत चतुर्वेदी के अनुसार, 10 किमी प्रति लीटर का माइलेज देने वाली कार प्रति लीटर पेट्रोल की खपत पर 2200 लीटर आॅक्सीजन का उपयोग करती है और आरटीओ में 56 हजार (पेट्रोल-डीजल) कारें रजिस्टर्ड हैं। यदि, यह सभी कारें सड़कों पर आती हैं तो इन सभी कारों में औसत एक लीटर ईधन के हिसाब से 56 हजार लीटर ईधन होता है। जिसे 2200 लीटर आॅक्सीजन से गुणा करने पर कुल 12 करोड़ 32 लाख लीटर आॅक्सीजन आता है। यानी, 56 हजार कारों के इंजन को प्रति एक लीटर पेट्रोल या डीजल की खपत करने के लिए 12.32 करोड़ लीटर आॅक्सीजन की जरूरत होगी, जो पर्यावरण में मौजूद 21 प्रतिशत आॅक्सीजन में खर्च होती है।
2 लाख लोगों के लिए बचा सकते हैं आॅक्सीजन
उप वन संरक्षक जयराम पांड्ेय बताते हैं, प्रति व्यक्ति को एक दिन में 550 लीटर आॅक्सीजन की जरूरत होती है। जबकि, एक लीटर पेट्रोल की खपत पर 2 हजार से 2200 लीटर आॅक्सीजन बर्बाद हो रही है, जो औसतन 4 लोगों की आॅक्सीजन के बराबर है। ऐसे में 56000 लीटर र्इंधन को 4 से गुणा करते हैं तो 2 लाख 24 हजार लोगों के लिए आॅक्सीजन बचाकर उन्हें स्वच्छ सांसें दे सकते हैं। ऐसे में सप्ताह या महीने में एक दिन नो कार डे होना चाहिए।
किस देश में क्या स्थिति
- स्टॉकहोम व लंदन में यातायात के व्यस्त समय में कार चलाने पर अतिरिक्त कर देना होता है।
- पेरिस में सप्ताह में एक दिन कार फ्री डे रखा जाता है।
- जकार्ता और तेहरान जैसे कुछ शहरों में साप्ताहिक कार-मुक्त दिन होते हैं।
- भारत में दिल्ली, इंदौर सहित कई राज्यों में नो कार डे घोषित हैं। यहां लोग प्रशासन के सहयोग से कार से परिवहन नहीं करते।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विशेषज्ञ प्रशासन को पहल करते हुए सप्ताह में एक दिन नो कार डे घोषित करना चाहिए। पेट्रोल बर्न होने के साथ कई तरह की जहरीली गैसें व अपशिष्ट पद्धार्थ निकलते हैं। जिनसे होने वाली घातक बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। एक दिन वाहनों के पहिए थमने से वायुमंडल प्रदूर्षित होने से बचेगा, साथ ही श्वांस से संबंधित बीमारियां अस्थमा, ध्वनी प्रदूषण से चिड़चिड़ापन, बैचेनी, शोर-शराबा सहित कई घातक बीमारियों से बच सकेंगे। वही, इसके बदले साइकिलिंग या पैदल चलने दिल मजबूत होगा। याददाशत तेज होगी। मांसपेशियां सुदृढ़ होने से फ्रैक्चर का खतरे में कमी आएगी।
- डॉ. संजीव सक्सेना, उपनिदेशक, एमबीएस अस्पताल
कुछ बीमारियां होगी ही नहीं तो कुछ आगे नहीं बढ़ेगी। एक दिन प्रदूषण नहीं होने से दमा, अस्थमा, एलर्जी, खांसी, सांसों का अटैक सहित कई श्वांस से संबंधित सभी बीमारियों का मुख्य कारण प्रदूषण से उत्पन्न धुआं है। हालांकि, दमा बीड़ी पीने से होता है लेकिन यह रोग उन लोगों को भी होता है जो बीड़ी नहीं पीते। इसका कारण प्रदूषण है। एक दिन नो कार डे का फायदा ट्रैफिक पुलिस, मैन रोड पर दुकान वाले या रहने वाले लोगों को होगा, जो रोज घातक बीमारियों के बीच होते हैं। एक दिन नो कार डे जरूर मनाया जाना चाहिए। इस दिन हमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ईवी व्हीकल, साइकिल का उपयोग करना चाहिए।
- डॉ. राजेंद्र ताखर, श्वांस रोग विशेषज्ञ, मेडिकल कॉलेज कोटा
सप्ताह या माह में एक दिन नो कार-डे तो होना ही चाहिए। इससे पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा वहीं, लोगों को स्वच्छ आॅक्सीजन भी मिल सकेगी। एक लीटर पेट्रोल बर्न करने पर वाहन करीब 1 हजार लीटर कार्बनडाई आॅक्साइड धुएं के रूप में छोड़ता है, जो आरटीओ में रजिस्टर्ड कारों के प्रति एक लीटर र्इंधन के हिसाब से करोड़ों लीटर कार्बनडाई आॅक्साइड पर्यावरण में घुल जाता है। यदि एक दिन वाहनों के पहिए थमे तो 2.24 लाख लोगों को स्वच्छ आॅक्सीजन मिल सकती है।
- डॉ. जयराम पांड्ेय, उप वन संरक्षक, वन विभाग कोटा
एक लीटर पेट्रोल बर्न करने में 2 हजार से 2200 लीटर आॅक्सीजन लगती है। जबकि, 1 लीटर एलपीजी गैस के लिए कार के इंजन को 2535 लीटर आॅक्सीजन की जरूरत होती है। वहीं, 1 किलो कोयला बर्न करने में 2100 लीटर आॅक्सीजन लगती है। ऐेसे में एक दिन कारों का संचालन बंद कर नो कार-डे मनाया जाए तो करोड़ों लीटर कार्बनडाई आॅक्साइड को पर्यावरण में फैलने से रोका जा सकता है। वहीं, धुएं से संबंधित बीमारियों से बचाव हो सकेगा। देश विदेश में यह कॉन्सेट है। यहां भी यह नवाचार किया जाना चाहिए।
- डॉ. रितेश पाटीदार, सहायक प्रोफेसर एवं पेट्रोलियम कोर्डिनेटर
सप्ताह या महीने में एक दिन नो कार डे मनाया जाए तो बहुत अच्छा है। इससे पर्यावरण स्वच्छ होगा और शहरवासियों को स्वच्छ हवा मिल सकेगी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग और ईवी व्हीकल को प्रमोट करना चाहिए। हालांकि, इस व्यवस्था को लागू करने से पहले प्रशासन को सभी जरूरी तैयारियां व इंतजाम करने होंगे। ताकि, इस दिन किसी को भी अपने कार्यस्थल तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो।
- अमित सोनी, क्षेत्रिय अधिकारी, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल कोटा
प्रदूषण स्तर के मध्यनजर एक दिन नो कार डे घोषित होना चाहिए। आरटीओ में रजिस्टर्ड कारों में से आधी के पहिए भी थम जाए तो काफी हद तक पर्यावरण स्वच्छ हो सकता है। इस दिन हमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट, ईवी व्हीकल, साइकिल का उपयोग कर आॅफिस आ-जा सकते हैं। र्इंधन की बचत होने के साथ प्रदूषण भी कम होगाऔर करोड़ों लीटर आॅक्सीजन भी बचेगी। सरकारी कार्यालयों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों व मल्टी स्टोरी में ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाना चाहिए, इससे ईवीको बढ़ावा मिलेगा। बैंकिंग सेक्टर में भी ईवी व्हीकल खरीद पर लोन दिया जाना चाहिए।
- डॉ. अनंत चतुर्वेदी, प्रोफेसर, मैकेनिकल डिपार्टमेंट आरटीयू
शहर में कारों की स्थिति बाइक की तरह हो रही है। नो कार डे कॉन्सेप्ट अच्छा है लेकिन प्रशासन को इस दिन परिवहन के क्या विकल्प रहेंगे, इसकी तैयारी करनी चाहिए। सड़कों पर वायु के साथ ध्वनी प्रदूषण भी अधिक है, जिससे राहत मिलेगी।
- शोयब खान, विज्ञान नगर
सड़कों पर वाहनों का बढ़ता दबाव को देखते हुए सप्ताह में एक दिन नो कार डे तो होना ही चाहिए। इंदौर, दिल्ली सहित कई बड़े शहरों में यह व्यवस्था है। र्इंधन की बचत होने के साथ स्वास्थ्य के लिए यह व्यवस्था जरूरी है। आने वाली पीढ़ी के लिए आॅक्सीजन बचा सकते हैं।
- धीरज मेहता, दादाबाड़ी
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