बिना वेंडिंग जोन कैसे सशक्त होंगे स्ट्रीट वेंडर्स

पीएम स्वनिधि योजना में हजारों को दिया लोन लेकिन स्थायी ठोर नहीं

बिना वेंडिंग जोन कैसे सशक्त होंगे स्ट्रीट वेंडर्स

शहर में शायद ही कोई जगह होगी जहां सड़क किनारे व फुटपाथ पर रोजगार नहीं हो रहा है।

कोटा। शहर में बरसों से सड़क किनारे व फुटपाथ पर  ठेले व थड़ी लगाकर रोजगार करने वाले स्ट्रीट वेंडर्स को पीएम स्वनिधि योजना के तहत लोन देकर सशक्त करने का प्रयास तो किया जा रहा है। लेकिन उनके लिए स्थायी ठोर वेंडिंग जोन नहीं बनाने से स्ट्रीट वेंडर्स को बार-बार अतिक्रमण बताकर हटाया जा रहा है। शहर में हाइवे से लेकर मेन रोड तक हर तरफ सड़क किनारे और फुटपाथ पर कतार से हजारों की संख्या में फल और सब्जी के अलावा अन्य सामान बेचने वाले ठेले खड़े हुए हैं। वहीं मेन रोड के अलावा अंदरूनी इलाकों में फुटपाथ पर थड़ियां लगाकर भी फास्ट फूड से लेकर, दूध, पान मसाला व गुटखे समेत अन्य खाद्य सामग्री बेचकर रोजगार किया जा रहा है। हालांकि सड़क पर खड़े होने से इनसे यातायात बाधित हो रहा है। लेकिन इनके लिए स्थायी ठोर नहीं होने से ये जहां जगह मिल रही है। वहां खड़े होकर अपना रोजगार कर रहे हैं। बरसों बाद भी सरकार व प्रशासन ऐसे लोगों को स्थायी जगह नहीं दे पा रहा है। 

इन जगहों पर हैं स्ट्रीट वेंडर्स
शहर में शायद ही कोई जगह होगी जहां सड़क किनारे व फुटपाथ पर रोजगार नहीं हो रहा है। झालावाड़ रोड पर हवाई अड्डे के सामने से विज्ञान नगर , अनंतपुरा तक, रावतभाटा रोड पर सीएडी चौराहा, गुमानपुरा पुराना बस स्टैंड, बारां रोड पर बोरखेड़ा, नयापुरा में एमबीएस अस्पताल व जे.के. लोन, चम्बल टूरिस्ट रोड, स्टेशन क्षेत्र, दादाबाड़ी, महावीर नगर, डीसीएम रोड, कंसुआ समेत हर जगह पर स्ट्रीट वेंडर्स रोजगार कर रहे हैं। 

15 हजार से अधिक को दिया लोन
केन्द्र सरकार की ओर से चलाई जा रही पीएम स्वनिधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए 10, 20 व 50 हजार रुपए तक का लोन दिया जा रहा है। कोटा जिले में इस योजना के तहत अब तक करीब 23 हजार से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स ने लोन के लिए आवेदन किया हुआ है। जिनमें से कोटा उत्तर में 9200 व कोटा दक्षिण में 13 हजार 500 आवेदन शामिल हैं। उनमें से  करीब 15 हजार 100 लोगों को लोन दिया जा रहा है। जिससे वे अपने रोजगार को बढ़ा सके। 

5 साल से नहीं बनी टाउन वेंडिंग कमेटी
कोटा में पहले जब एक नगर निगम थी उस समय स्ट्रीट वेंडर्स की समस्याओं के समाधान के लिए एक टाउन वेंडिंग कमेटी बनी हुई थी। जिला कलक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी में निगम व प्रशासन के अलावा स्ट्रीट वेंडर्स के प्रतिनिधि भी शामिल थे। उस समय निगम की ओर से स्ट्रीट वेंडर्स का सर्वे कराया गया था। उनके पहचान पत्र तक जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। साथ ही उनके लिए वेंडिंग जोन बनाने के प्रयास किए जा रहे थे। लेकिन 2019 में कोटा में दो नगर निगम उत्तर व दक्षिण बनाते ही टाउन वेंडिंग कमेटी का अस्तिव् समाप्त हो गया। उसके बाद से 5 साल का समय हो गया। अभी तक भी न तो कमेटी गठित हुई और न ही वेंडिंग जोन बना। 

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अतिक्रमण के नाम पर बार-बार हटा रहे
झालावाड़ रोड पर फल का ठेला लगाने वाले मांगीलाल नामा ने बताया कि नगर निगम में कई बार टाउन वेंडिंग कमेटी बनाने व वेंडिंग जोन बनाने के लिए अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा। जबकि बार-बार यूआईटी वाले अतिक्रमण बताकर ठेलों को हटा देते हैं। जिससे रोजगार बाधित हो रहा है। नयापुरा प्राइवेट बस स्टैंड के पास सड़क पर खिलौने बेचने वाली मुन्नी बाई का कहना है कि बच्चों को पालने के लिए जेब के पैसे लगाकर सामान लाते हैं। दिनभर मेहनत करने के बाद कुछ खिलौने बेचकर एक समय के खाने का इंतजाम करते हैं। लेकिन बार-बार कभी निगम वाले तो कभी यूआईटी वाले हटा जाते हैं। जिससे जितनी कमाई नहीं होती उससे ’यादा तो नुकसान हो चुका है। गुमानपुरा में चाय का ठेला लगाने वाले सूरज नागर का कहना है कि नगर निगम स्थायी जगह दे तो काम चले। लोन दे रहे हैं तो काम भी उसी जगह पर करेंगे जहां अभी कर रहे हैं। स्थायी जगह मिले तो पक्का काम हो। वरना रोजाना हटाने का डर सताता रहता है। 

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अस्थायी अतिक्रमण कर रहे कार्रवाई
इधर नगर विकास न्यास के अतिक्रमण निरोधक दस्ते द्वारा लगातार कार्रवाई की जा रही है। पुलिस उप अधीक्षक आशीष भार्गव के नेतृत्व में झालावाड़ रोड से जेडीबी तक कई बार अतिक्रमण हटाया गया। भार्गव का कहना है कि ये अस्थायी अतिक्रमण है जिनके खिलाफ कई बार कार्रवाई की जा चुकी है। लेकिन ये फिर से आ जाते हैं।

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इनका कहना है
टाउन वेंडिंग गठित करने के लिए करीब एक साल पहले जिला कलक्टर को लिखा गया था। वहां से स्ट्रीट वेंडर्स का सर्वे करवाने के निर्देश दिए गए थे। उसके बाद नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से फिलहाल स्ट्रीट वेंडर्स का सर्वे कराया जा रहा है। 
- सरिता सिंह, आयुक्त, नगर निगम कोटा दक्षिण

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