प्रदेश के उच्च प्राथमिक स्कूलों में नहीं हो रही है मिल्क पाउडर की सप्लाई
माइक्रो न्यूट्रिएंट्स उपलब्ध करवाया जाना था
योजना का उद्देश्य विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के नामांकन, उपस्थिति में वृद्धि, ड्रॉप आउट को रोकना एवं पोषण स्तर में वृद्धि व आवश्यक मेक्रो व माइक्रो न्यूट्रिएंट्स उपलब्ध करवाया जाना था।
जयपुर। राज्य में सरकार बदलने के साथ ही सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सेहत वाला दूध का गिलास मिलना बंद होने के कगार पर पहुंच गया है, क्योंकि प्रदेश के अधिकतर स्कूलों में मिल्क पाउडर की सप्लाई पिछले काफी समय से नहीं हो रही है। पिछली गहलोत सरकार ने मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को मिल्क पाउडर से तैयार दूध देने की योजना शुरू की थी। मिल्क पाउडर का क्रय एवं आपूर्ति राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन लिमिटेड से किया जा रहा था। 400 प्रति केजी के हिसाब से संबंधित जिला शिक्षा अधिकारियों की ओर से आपूर्तिकर्ता फर्म को मिल्क पाउडर का भुगतान किया जा रहा था। योजना का उद्देश्य विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के नामांकन, उपस्थिति में वृद्धि, ड्रॉप आउट को रोकना एवं पोषण स्तर में वृद्धि व आवश्यक मेक्रो व माइक्रो न्यूट्रिएंट्स उपलब्ध करवाया जाना था।
तीन-चार महीने से मानदेय भी नहीं
मिड-डे मील वर्कर्स का भी तीन चार महीने से मानदेय अटका, स्कूलों को बच्चों के खाने की भी राशि समय पर नहीं मिल रही है। अधिकतर विद्यालयों को पोषाहार लागत राशि भी बीते अक्टूबर किन्हीं जिलों में दिसंबर माह से आवंटित नहीं की गई है। ऐसे में स्कूलों पर हजारों रुपए का कर्जा हो गया है। पोषाहार के लिए दाल ,तेल, मसाले, फल, सब्जी आदि शिक्षकों को उधारी से या अपने तनख्वाह से खरीदनी पड़ रही थी।
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