प्लास्टिक के कचरे से अभी भी मैली हो रही चम्बल
एनजीटी के आदेश के बाद भी चम्बल नदी में गिर रहे कई गंदे नाले
नदियों के दूषित होने व उसमें प्लास्टिक का कचरा डालने पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया है।
कोटा। नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट तक चिंतित है। वहीं दूसरी तरफ आमजन नदियों को दूषित करने में जुटा हुआ है। यही हाल चम्बल नदी का भी है। कोटा में कई गंदे नालों का पानी चम्बल में गिरने के साथ ही प्लास्टिक के कचरे से चम्बल मैली हो रही है। राजस्थान व मध्य प्रदेश समेत कई रा’यों व जिलों से होकर गुजर रही चम्बल नदी कोटा वासियों के लिए वरदान है। चम्बल नदी को मैली होने से बचाने व इसकी सफाई के लिए नमामि गंगे समेत कई प्रोजेक्ट बनाए गए। लेकिन उसके बाद भी यह नदी अभी तक पूरी तरह से साफ नहीं हो सकी है। एनजीटी ने भी चम्बल नदी के प्रदूषित होने पर चिंता जाहिर करते हुए उसमें नालों को गिरने से रोकने के निर्देश दिए थे। हालांकि नगर निगम व नगर विकास न्यास की ओर से डाउन स्टीम के कई नालों को तो नदी में सीधे गिरने से रोका है। लेकिन उसके बाद भी अभी अप स्टीम में कई नाले नदी में गिर रहे है। नदियों के दूषित होने व उसमें प्लास्टिक का कचरा डालने पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया है।
केडीए ने बनाया ट्रीटमेंट प्लांट
कोटा विकास प्राधिकरण(पूर्व में नगर विकास न्यास) की ओर से चम्बल नदी के किनारे रिवर फ्रंट का निर्माण कराया गया है। ऐसे में इस क्षेत्र में आने वाले कई गंदे नालों को सीधे नदी में जाने से रोकने के लिए बालिता में एसटीपी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया है। जिससे उन नालों का पानी पाइपों के जरिय प्लांट में जाता है। वहां से पानी ट्रीट होकर वापस शुद्ध जल नदी में जा रहा है। जबकि अप स्टीम में नालियों पर जाली लगाकर गंदगी को नदी में जाने से रोकने का दावा तो किया जा रहा है लेकिन वह अभी तक हकीकत में साकार नहीं हो सका है।
यहां से जा रहा कचरा
चम्बल नदी वैसे तो बहुत बड़ी व लम्बी है। लेकिन इसमें भतरिया कुंड से प्लास्टिक का कचरा व पॉलिथीन और अन्य कई तरह का कचरा डाला जा रहा है। वहीं किशोरपुरा मुक्तिधाम की तरफ से अंतिम संस्कार के बाद की क्रियाएं करने से निकलने वाला कचरा नदी में ही डाला जा रहा है। शिवपुरा व कुन्हाड़ी की तरफ से अभी भी गंदे नाले सीधे नदी में गिर रहे हैं। नदी में डाला जा रहा प्लास्टिक का कचरा व अन्य प्रदूषति चीजे पानी में रहने वाले जलीय जीवों के लिए तो हानि कारक हैं ही। साथ ही यह लोगों के लिए भी खतरनाक बना हुआ है। हालत यह है कि शहर के बीच बड़े बरसाती नालों में प्लास्टिक का कचरा अटा पड़ा है। वह सीधे नदी में ही जा रहा है। हालांकि पिछले कई दिन से निगम कीओर से नालों की सफाई का अभियान चलाकर उस कचरे को निकालकर ट्रेचिंग ग्राउंड में पहुंचाया जा रहा है। लेकिन पूरे साल नालों में डलने वाला कचरा नदी में ही जा रहा है।
इनका कहना : गंदे नालों को नदी में जाने से रोका
इधर नगर निगम व केडीए के अधिकारियों का दावा है कि चम्बल नदी में पहले करीब 22 से अधिक बड़े गंदे नालों का पानी सीधे नदी में जा रहा था। उन्हें ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर रोका गया है। साथ ही कई नालों को डायवर्ट भी किया गया है। लेकिन उसके बाद भी आमजन को भी नदी को दूषति करने से रोकने में सहयोग करना होगा। अधिकारियों का कहना है कि कई लोग जान बूझकर तो कई धार्मिक आस्था वश पानी में सामग्री बहाने के लिए प्लास्टिक का कचरा तक नदी में डाल रहे है। वह आसानी से गलता भी नहीं है। जिससे वह नदी को अधिक प्रदूषित कर रहा है।
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