स्वतंत्रता का हर दिन रखता है मायने, सुनवाई में देरी से मनीष सिसोदिया के अधिकार पर पड़ा है असर : सुप्रीम कोर्ट
त्वरित सुनवाई के उनके अधिकार से वंचित किया गया है
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि सिसोदिया को त्वरित सुनवाई के उनके अधिकार से वंचित किया गया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) नेता मनीष सिसोदिया को कथित आबकारी नीति स्कैम में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की और से अलग-अलग दर्ज मुकदमों में जमानत देते हुए कहा कि सुनवाई में देरी तथा लंबे समय तक जेल में रहने के कारण संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उनके (सिसोदिया) अधिकार पर असर पड़ा है।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि सिसोदिया को त्वरित सुनवाई के उनके अधिकार से वंचित किया गया है। अपराध की गंभीरता के आधार पर इस तरह के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता है। अनुच्छेद 21 अपराध की प्रकृति से इतर सभी मामलों में लागू होता है। फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि स्वतंत्रता के मामले में हर दिन मायने रखता है।
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