जानिए राजकाज में क्या है खास

जानिए राजकाज में क्या है खास

सूबे की सबसे बड़ी पंचायत की आलीशान बिल्डिंग में एक कमरा है, जो सबसे न्यारा है। दूसरे माले पर बने पश्चिम मुखी इस कमरे का नंबर 209 है। सत्र के दौरान यह कमरा चर्चाओं में आए बिना नहीं रहता।

एक कमरा न्यारा
सूबे की सबसे बड़ी पंचायत की आलीशान बिल्डिंग में एक कमरा है, जो सबसे न्यारा है। दूसरे माले पर बने पश्चिम मुखी इस कमरे का नंबर 209 है। सत्र के दौरान यह कमरा चर्चाओं में आए बिना नहीं रहता। कमरे में बैठने वाले साहब के भी हावभाव बदल जाते हैं, चूंकि उनका सीधा ताल्लुक नंबर वन से रहता है। इसकी शोभा बढ़ाने वाले साहब भी ब्रह्मा, विष्णु के साथ जुड़े तीसरे नाम वाले हैं। हमने भी इस न्यारे कमरे को लेकर सूंघासांघी की, तो पता चला है कि हर एमएलए को यहां हाजरी दिए बिना पार नहीं पड़ती, चूंकि कमरे में बैठने वाले साहब लोगों का सीधा दखल आवासों से लेकर बिल्डिंग में एंट्री के लिए एनओसी देने तक में रहता है।

शनि की कृपा
आजकल भगवा के साथ ही हाथ वालों की तरफ शनि की कृपा है, जिसने फिजा ही बदल दी। जब से शनि का उदय हुआ है, तब से दोनों खेमों में भूचाल थमसा नजर आ रहा है। अगले दो महीने में इसका असर साफ दिखने लगेगा। राज का काज करने वालों में लंच केबिनों में चर्चा है कि अब तक जो कुछ कर लिया वो तो ठीक है, मगर अब फूंक-फूंक कर कदम रखने में ही भलाई है। दो तारीख से शनि का जो उदय हुआ है, जो राज के लिए कारक होता है। ब्यूरोक्रेसी में जो अस्थिरता का माहौल है, वह उसी का असर है

सूना-सूना सा ठिकाना
इन दिनों एक ठिकाना सूना-सूना सा रहने लगा है। ठिकाना विपक्ष वालों का हो तो समझ में भी आए, लेकिन जब राज वालों का हो तो माथा तो ठनकता ही है। अब देखो ना सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा वालों के ठिकाने पर अब इतनी रौनक नहीं है, जो पहले हुआ करती थी। ठिकाने की इस दशा को लेकर यहां सालों से आ रहे बुजुर्ग भाई साहब ने भी पीड़ा जाहिर की। भाई साहब की पीड़ा है कि ठिकाने पर ठाले बैठे मेवाड़ से ताल्लुक रखने वाले छुटभैए नेता भी बाहर से आने वाले वर्कर्स को भी सीधे मुंह जवाब देने के बजाय टरकाने में अपनी शान समझते थे। सो वर्कर्स ने भी ठिकाने पर आने के बजाय पावर वाले नेताओं के घरों पर जाने में ही अपनी ज्यादा भलाई समझने लगे हैं।

लालकिले के बाद अब लालचौक
पिछले चार दिनों से दिल्ली के लालकिले के बजाय कश्मीर का लालचौक काफी चर्चा में है। सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 51 में बने भगवा के ठिकाने के साथ ही इंदिरा गांधी भवन में बने पीसीसी के दफ्तर में भी इसकी चर्चा हुए बिना नहीं रहती। भारती भवन वाले भाई साहबों की नजरें भी लालचौक पर टिकी हैं। राज का काज करने वालों में भी चर्चा है कि अब दोनों राष्ट्रीय पर्वों पर लालकिले के बजाय लालचौक में झण्डारोहण करने के लिए जे एण्ड के में दो फाड़ करने के लिए दिल्ली दरबार वालों ने सोझ समझ कर पांच साल पहले जो गुगली फेंकी थी, उसका असर दिखने लगा है।

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कमाल सांगा बाबा का
अटारी वाले भाई साहब अब कब क्या पेंतरा फेंक दें, पता नहीं चलता। हाथ वाले तो दूर की बात भगवा वाले भी नहीं समझ पा रहे कि आखिर माजरा क्या है। दोनों ओर के नेता इधर-उधर टोह लेने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इन दिनों साहब की बदली चाल-ढ़ाल को लेकर हाथ वालों के दफ्तर में भी चर्चा और बैठकों का दौर जारी है। पीसीसी आने वाले भाई साहबों के चेहरों पर भी चिंता की लकीरें साफ दिखाई देने लगी है। सुबह-शाम हाजरी भरने वाले साहबों की लाइन भी लंबी होने लगी है। भजनलाल जी भाई साहब की दिल्ली दरबार में बढ़ती साख से कइयों के आफरा आने लगा है। अब उनको कौन बताए कि यह सारा कमाल पूंछरी के बालाजी के साथ सांगानेर वाले सांगा का है।

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-एल एल शर्मा
(यह लेखक के अपने विचार हैं) 

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