जातिगत समीकरण खराब होने पर उपचुनाव में हो सकता है कांग्रेस को नुकसान
अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं को मौका मिला है
जातिगत समीकरण आधार पर उपचुनाव से पहले इन नियुक्तियों को भाजपा अपने राजनीतिक हित के हिसाब से उपयोग ले सकती है।
जयपुर। कांग्रेस के कई राज्यों में सचिव और संयुक्त सचिव नियुक्त करने में राजस्थान के 3 नेताओं को भी अलग-अलग राज्यों की जिम्मेदारी दी गई है। राजस्थान में भी सचिव और संयुक्त सचिव के रूप में तीन अलग अलग राज्यों के नेताओं को नियुक्त किया गया है। प्रदेश के तीन नेताओं को भले ही कांग्रेस संगठन में मौका मिला है, लेकिन जातिगत समीकरण आधार पर उपचुनाव से पहले इन नियुक्तियों को भाजपा अपने राजनीतिक हित के हिसाब से उपयोग ले सकती है। नियुक्तियों में ओबीसी, एमबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के नेताओं को मौका मिला है।
प्रदेश में 6 सीटों पर उपचुनाव देखते हुए आदिवासी वर्ग, ब्राह्मण, वैश्य और दलित वर्ग से कम नेताओं को मौका मिला है। जम्मू कश्मीर की मिली जिम्मेदारी वाली पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा ओबीसी वर्ग से आती हैं। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा पहले से ओबीसी वर्ग से संगठन में काबिज हैं। एबीसी वर्ग से धीरज गुर्जर को सचिव बनाकर फिर से यूपी की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जबकि एमबीसी वर्ग से सचिन पायलट पहले से राजस्थान में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उपचुनाव सीटों में चौरासी और सलूम्बर सीट पूरी तरह आदिवासी इलाका है। आदिवासी और मेवाड क्षेत्र से किसी को एआईसीसी टीम में जगह नहीं मिली है, जबकि पहले महेन्द्रजीत मालवीया, रघुवीर मीणा, डॉ.सीपी जोशी, गिरिजा व्यास जैसे आदि नेताओं को मौका मिलता रहा है। दौसा, झुंझुनूं, देवली-उनियारा और खींवसर सीट पर भी काफी संख्या में ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत वर्ग मतदाता हैं, ऐसे में भाजपा ने उपचुनाव में जातिगत समीकरण साधने का कार्ड खेला, तो कांग्रेस को उपचुनाव में राजनीतिक चुनौती झेलनी पड़ेगी।
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