11वीं शताब्दी के अष्टभुजा और नृत्य मुद्रा में विराजित हैं गणेशजी
19वीं शताब्दी में बनी मार्बल की मूर्ति भी करती है आकर्षित
पुरातत्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अलवर स्थित संग्रहालय में गणेशजी की काले पत्थर से बनी करीब 11वीं शताब्दी की मूर्ति है।
जयपुर। पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के संग्रहालयों में सालों पुरानी पुरा वस्तुएं इतिहास और संस्कृति की जानकारी देती हैं। कहा जाए तो ये राजा-महाराजाओं को पुरानी विरासत को संजोय हुए हैं। अल्बर्ट हॉल और राजकीय संग्रहालय अलवर में इन पुरा वस्तुओं के साथ ही गणेशजी की सालों पुरानी मार्बल और पाषाण प्रतिमाएं भी देखने को मिलती हैं।
पुरातत्व विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अलवर स्थित संग्रहालय में गणेशजी की काले पत्थर से बनी करीब 11वीं शताब्दी की मूर्ति है। जो अलवर के राजौरगढ़ से लाई गई थी। मूर्ति में गणेशजी को अष्ट भुजा और नृत्य मुद्रा में दिखाने के साथ ही दो गण मृदंग बजाते हुए एवं वाहन मूषक को नृत्य करते हुए दिखाया है। वहीं पीठिका पर विक्रमी संवत 1101 (1044 ई.) का कुटिल लिपि में लेख अंकित है।
यहां गणेशजी के साथ शिवजी भी विराजित
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय के ग्राउंड फ्लोर पर बनी गैलेरी में चतुर्भुज गणेशजी की मार्बल से बनी मूर्ति है। जो शंख पर ललितासन में बैठे दिखाए गए हैं। उनके हाथों में परशु, पुष्प और मोदक है, जबकि दायां हाथ वरद मुद्रा में है, जिसे लखनऊ से लाया गया था। ये मूर्ति 19वीं शताब्दी की बताई जा रही है। गणेशजी के साथ शिवजी की भी मार्बल से बनी मूर्ति, शिवलिंग और नन्दी को डिस्प्ले किया गया है।
पुरावस्तुओं के साथ ही गणेशजी की मार्बल से बनी मूर्ति संग्रहालय में पर्यटकों के अवलोकनार्थ प्रदर्शित है।
-मो. आरिफ, अधीक्षक, राजकीय संग्रहालय अल्बर्ट हॉल
संग्रहालय में राजा-महाराजाओं के समय के विभिन्न हथियारों के साथ काले पत्थर से बनी गणेशजी की करीब 11वीं शताब्दी की मूर्ति प्रदर्शित है। जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है।
-प्रतिभा यादव, संग्रहाध्यक्ष, राजकीय संग्रहालय अलवर
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