बीजेपी-कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग से रोमांचक हुआ हरियाणा चुनाव, 36 सीटों पर एक ही जाति के उम्मीदवार
जाट प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है
इनमें से 14 विधानसभा क्षेत्रों में जाट बनाम जाट तो 15 सीटों पर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) बनाम ओबीसी मुकाबला होगा।
चंडीगढ़। हरियाणा में हैट-ट्रिक बनाने की कोशिश में जुटी भाजपा और 10 साल बाद सत्ता में वापसी के लिए संघर्षरत कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग से विधानसभा चुनाव रोमांचक हो गया है। 90 में से 36 विधानसभा क्षेत्रों पर भाजपा और कांग्रेस ने एक ही जाति के उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें से 14 विधानसभा क्षेत्रों में जाट बनाम जाट तो 15 सीटों पर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) बनाम ओबीसी मुकाबला होगा।
चुनाव जीतने में इनकी भूमिका सबसे अहम
जातिगत समीकरणों के अनुसार प्रदेश में कोई भी चुनावी किला जीतने में ओबीसी (33 प्रतिशत आबादी), जाट (25 प्रतिशत) और दलित (21 प्रतिशत ) की भूमिका सबसे अधिक होती है। इसके मद्देनजर कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 28 जाट उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि भाजपा ने 16 सीटों पर जाट प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है।
भाजपा ने 22 तो कांग्रेस ने 20 ओबीसी को दिया है टिकट
भाजपा ने सबसे ज्यादा 22 उम्मीदवार ओबीसी से बनाए हैं, जबकि कांग्रेस ने इस वर्ग से 20 प्रत्याशी चुनावी रण में उतारे हैं। 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। इनको छोड़कर किसी दल ने सामान्य सीट पर दलित समुदाय को टिकट नहीं दिया है। बल्लभगढ़ से भाजपा के मूलचंद शर्मा और कांग्रेस की पराग शर्मा तो गन्नौर में भाजपा के देवेंद्र कौशिक और कांग्रेस के कुलदीप शर्मा में टक्कर है।
इन चार सीटों पर पंजाबियों में टक्कर
चार सीटों पर पंजाबी आमने-सामने हैं, जिनमें थानेसर से भाजपा के सुभाष सुधा और कांग्रेस के अशोक अरोड़ा, हांसी में भाजपा के विनोद भयाना व कांग्रेस के राहुल मक्कड़, पानीपत शहरी में भाजपा के प्रमोद विज और कांग्रेस के वरिंदर शाह और रोहतक में पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर तथा कांग्रेस के भारत भूषण बत्रा भिड़ रहे हैं।
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