जानिए राजकाज में क्या है खास
सूबे में कई भाई लोगों को अपने ही राज के रत्नों की रिपोर्ट कार्ड का बेसब्री से इंतजार है।
इंतजार रिपोर्ट कार्ड का
सूबे में कई भाई लोगों को अपने ही राज के रत्नों की रिपोर्ट कार्ड का बेसब्री से इंतजार है। हो भी क्यों नहीं, रिपोर्ट कार्ड के बाद उथल-पुथल जो होने वाली है। रिपोर्ट कार्ड की उम्मीद में बैठे कई भाई लोगों ने तो नवरात्रों में देवरों पर रात्रि जागरण तक के प्रोग्राम फाइनल कर लिए। चर्चा है कि इस बार नवरात्रों में कई भोपे एक टांग पर कूदने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, चूंकि राती जगा कराने वाली माताएं भी अपना असर दिखाए बिना नहीं रहेगी। इस बार दीपावली से पहले ही घी के दिए जलाने के सपने देखने वालों की लिस्ट भी 25 से ऊपर है।
चर्चा में पुत्र मोह
सूबे में एक बार फिर पुत्र मोह चर्चा में है। हो भी क्यों नहीं, राज के रत्नों के पुत्रों में खूबियां जो हैं। इन दिनों पुत्र मोह का मामला भगवा वाली पार्टी के आलाकमान तक पहुंचा, तो चर्चा कुछ ज्यादा ही हो गई और जुबान फिसलने से बेचारे राज के रत्न खुद भी लपेटे में आ गए। और तो और कई भाई लोग भी मामले को तूल देने में कसर नहीं छोड़ रहे। वैसे सूबे में पुत्र मोह के पीछे धृतराष्ट्र बनने की परम्परा नई नहीं है। पहले भी कई लीडर्स पुत्र मोह के फेर में फंस कर अपना पॉलिटिक्ल कॅरिअर दांव पर लगा चुके हैं। राज का काज करने वाले लंच केबिनों में बतियाते हैं कि अब इसमें बेचारे पुत्रों की क्या गलती है, जब खुद ही दिन-रात 63 से 36 के बनने की फिराक में दुबले रहते हैं।
चर्चा डीप इनसाइड की
सूबे में इन दिनों डीप इनसाइडर की चर्चा जोरों पर है। इससे सरदार पटेल मार्ग पर बंगला नंबर 51 में बने भगवा के ठिकाने के साथ ही इंदिरा गांधी भवन में पीसीसी चीफ का दफ्तर भी अछूता नहीं है। राज का काज करने वाले भी लंच टाइम में डीप इनसाइडर को लेकर खुसरफुसर करते हैं। डीप इनसाइड अटारी वाले भाई साहब से ताल्लुक रखता है। भाई साहब ने सरकार के एक प्रोग्राम के जरिए जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की तो सामने वालों ने मीन मेख निकालने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी। और तो और राज का काज करने वालों ने भी कई बहानों की आड़ ली। लेकिन शेखावाटी के बाद मेवाड़, मारवाड़ और हाड़ौती में जो ग्राउण्ड रियलिटी पता चली तो राज करने वाले भी चकरा गए। एसी कमरों में कागजी आंकड़े बना कर राज के सामने पेश करने वालों के चेहरे भी शर्म से झुक गए। अब ब्यूरोक्रेट्स को कौन समझाए कि भजनजी ने ग्राउण्ड रियलिटी जानने की ठान ही ली, तो कागजी घोड़े दौड़ाने से कोई फायदा नहीं है।
असर बुध का
कभी-कभी शनि के साथ बुध भी अपना खास असर दिखाता है। उसके असर की लपेट में आने वालों को गुरु और मंगल भी नहीं बचा सकते। कुछ ऐसा ही बुध का असर इन दिनों सूबे के खाकी वालों पर कुछ ज्यादा ही नजर आ रहा है। असर को कम करने के लिए खाकी वालों ने हवन में आहूतियां देने के साथ ही गायत्री मंत्र का जाप भी कर लिया, लेकिन कोई पार नहीं पड़ी। और तो और भविष्य में बुध से कुर्सी नहीं संभालने की भी कसमें खा ली। अब देखो ना जुलाई से शुरू हुआ बुध का असर 54 दिन बाद भी कम नहीं हुआ। अब सलाहकारों ने मुंह खोला है कि बुध का असर कम करने के लिए गयाजी में पिण्ड दान के साथ बुध की पूजा के सिवाय कोई चारा ही नहीं है।
एक जुमला यह भी
सूबे में इन दिनों एक जुमला जोरों पर है। जुमला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि बड़े ठिकाने पर एंट्री पर बैन को लेकर है। चर्चा भी पिंकसिटी से लेकर लालकिले वाली नगरी तक है। सरदार पटेल मार्ग पर स्थित बंगला नंबर 51 में भी आने वाले एक वाले एक गुट के लोग चटकारे लेकर एक-दूसरे को सुना रहे हैं। जुमला है कि बड़े ठिकाने पर अपनी तूती के लिए फैमस लोगों की इन दिनों अचानक एंट्री बैन हो गई। फिलहाल तो हर काम को चुटकियों में कराने का दावा करने वाले आठ लोगों की सूची मिली है, इनकी संख्या और भी बढ़ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं है।
-एल एल शर्मा
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