सत्य की विजय : राम को प्रणाम कर रावण ने त्यागे प्राण

पांच दिवसीय रामलीला उत्सव संपन्न

सत्य की विजय : राम को प्रणाम कर रावण ने त्यागे प्राण

विजयादशमी के दिन रावण के वध के साथ अधर्म पर धर्म की जीत का संदेश दिया गया।

जयपुर। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित पांच दिवसीय रामलीला महोत्सव शनिवार को संपन्न हुआ। अंतिम दिन का मंचन कई मायनों में खास रहा। रोष-होश-जोश राम भावना का कोष राम, प्रेम परितोष रामए राम गुणधाम हैं। 

प्रभु राम के गुणों के बखान के साथ प्रस्तुति की शुरुआत हुई। कुंभकरण को जगाने के दौरान जहां कलाकारों ने दर्शकों को गुदगुदाया वहीं कुंभकरण व रावण की वार्ता ने नीतिगत सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। विभीषण के संवादों के जरिए धर्म की उचित व्याख्या का प्रयास किया गया, वहीं कुंभकरण ने भाइयों के बीच संबंधों का वर्णन किया। भीषण युद्ध के बाद कुंभकरण की मौत लंका में कोहराम मचा देती है।

लक्ष्मण और इंद्रजीत के बीच युद्ध के दौरान इंद्रजीत के दिव्य रथ को बड़ी बखूबी दिखाया गया। अंतत: तलवारों के टकराव से निकली चिंगारियों ने इंद्रजीत को लील लिया। राम और रावण का युद्ध देखकर दर्शक रोमांचित हो उठे। विजयादशमी के दिन रावण के वध के साथ अधर्म पर धर्म की जीत का संदेश दिया गया।

रावण ने राम नाम लेकर अपने प्राण त्यागे। राम सिया के मिलन पर सभी के आंसु छलक गए। राम के राज्याभिषेक के साथ लोक नृत्य व शास्त्रीय नृत्य का अनूठा संगम भी देखने को मिला। पारंपरिक घूमर नृत्य, फिर भरतनाट्यम और कथक से महफिल सजी।

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