सम्मान और समर्पण पर भारी स्वार्थ

परिचर्चा: गौ उत्पाद के उद्योगों की स्थापना हो तो गायों को मिले सम्मानजनक जीवन

सम्मान और समर्पण पर भारी स्वार्थ

गाय को राष्ट्रीय माता का दर्जा मिलेगा तभी इसका ठीक से संरक्षण हो सकेगा।

कोटा। हमारे देश में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। धर्म ग्रन्थों में हमें कामधेनु गाय की महिमा से परिचित कराया जाता है। गाय में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास बताया जाता है। धन-धान्य,दीर्ध जीवन, सम्पन्नता, स्वास्थ्य बल, बुद्धि,विद्या सबकुछ देने वाली गाय की हमारे देश में आज क्या स्थिति हो गई है। आज शहर की छोटी मोटी सड़क, गली,नुक्कड़ सब तरफ गायें नजर आती है।  इनको आवारा छोड़ देने के कारण प्रति वर्ष सैकड़ों लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं। स्वयं गाय भी हाइवे पर बैठे रहने से एक्सीडेन्ट का शिकार होती है। दूध देने तक गाय को रखा जाता है इसके बाद उसे रोड़ पर आवारा छोड़ दिया जाता है।  इनका कोई धणी-धोरी नजर ही नहीं आता। जहां जहां कचरा और गंदगी होती है भूखी गाय वहां मुंह मारती नजर आती है। यह सब तब हो रहा है जब गाय ना केवल लोगों के पौषण की कमी को दूर कर सकती है बल्कि वह लाखों का व्यापार खड़ा कर हजारों लोगों को रोजगार दे सकती है।

एक गाय से हमें दूध ही नहीं गौ मूत्र, गौबर के रूप में इतनी अद्भुत चीजें मिलती हैं कि हम उससे लाखों रुपए कि कमाई कर सकते हैं। गायों के माध्यम से उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं। यदि उद्योग स्थापित होंगे तो गाय को वही पुराना दर्जा मिल सकेगा। इसी विषय को लेकर  परिचर्चा की श्रंखला के तहत हाऊ टू गिव काउ्स अरेस्पेक्टिव लाइफ अर्थात गाय को एक सम्मानजनक जीवन कैसे दें  विषय पर मंगलवार को दैनिक नवज्योति कार्यालय में  परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में विषय वस्तु से जुडेÞ विभिन्न क्षेत्रों के विषय विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। परिचर्चा में पशुपालन विभाग, नगर निगम,देसी डेयरी, गौशाला संचालक,ह्यूमन हेल्प लाइन, ट्रैफिक पुलिस,एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, एडवोकेट, गृहिणी, गौ सेवक, पशु पालक आदि ने हिस्सा लिया। प्रस्तुत है परिचर्चा के मुख्य अंश... 

कृष्ण को मानते हैं, लेकिन कृष्ण की नहीं
गाय को गौमाता का दर्जा प्राप्त है। भगवान कृष्ण ने गाय को पाला था और गोवर्धन की पूजा की थी। उनके ऐसा करने का मतलब गायों को संरक्षण देना था। हिन्दू संस्कृति में लोग भगवान कृष्ण को तो मानते है लेकिन कृष्ण की नहीं मानते। यही कारण है कि लोग गायों का संरक्षण करने की जगह उनकी  दुर्दशा होते देख रहे है। जबकि गाय इतनी उपयोगी है कि उसके दूध के अलावा गोबर तक काम में आता है। कम दृूध देने वाली गायों को सड़क पर छोड़ देते है। गायों के महत्व को समझते हुए उन्हें सुरक्षित जीवन देने के लिए सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे।  
- मधुसूदन शर्मा, अध्यक्ष गायत्री परिवार गौशाला

हादसों का कारण बनते हैं सड़कों पर पशु
ट्रैफिक पुलिस का  काम शहर की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाना है। वाहन चालकों को दुर्घटना से बचाना है। लेकिन कई लोग पशुओं विशेष रूप से गाय को दूध निकालने के बाद सड़कों पर खुला छोड़ देते है। जिससे तेज गति से आने वाले वाहन चालक इन पशुओं से बचने के प्रयास में कई बार हादसों का कारण बनते है। सड़कों पर घूमने वाली गायों व सांड को पकड़ने के लिए निगम अधिकारियों को पत्र लिखकर आग्रह ही कर सकते है। कई बार बिना हैलमेट दो पहिया वाहन चालक हादसों का शिकार होते है तो उनमें से 80 फीसदी मौत बिना हैलमेट के कारण सिर में चोट लगने से होती है।           
- पृूरण सिंह, यातायात निरीक्षक कोटा शहर पुलिस

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अब गाय पालना आसान नहीं रहा
हिन्दू संस्कृति में गाय को पूजनीय माना तो जाता है। उसके संरक्षण की बात भी सभी करते है। लेकिन गाय को पालना इतना आसान नहीं रहा।  पशु आहार से लेकर सभी चीज महंगी हो गई है। ऐसे में कम दृूध देने वाली गायों को लोग सड़कों पर छोड़ देते है। जिससे उनके द्वारा पॉलिथीन युक्त खाद्य पदार्थ खाने से उनमें कैल्शियम की कमी हो जाती है। इससे उनकीदूध की मात्रा कम हो जाती है। गाय भले ही दृूध कम दे लेकिन उसका संरक्षण होना ही चाहिए। उसे लावारिस नहीं छोड़ा जा सकता। वहीं पहले बैल का उपयोग खेती में किया जाता था। अब खेतों में बैल का उपयोग नहीं होने से वे सांड बनकर सड़कों पर घूम रहे है।                
- मीतू गुर्जर, पशु पालक 

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गाय माता है, इसे आवारा कहना गलत
गाय को एक तरफ तो माता का दर्जा दिया जाता है। दूसरी तरफ उसे आवारा या लावारिस कहकर उसका अपमान किया जाता है। जबकि गाय को आवारा कहना गलत है। हर व्यक्ति को संभव हो तो एक गाय को पालना व उसका संरक्षण करना चाहिए। गाय को गौशाला व मंदिरों में पालकर संरक्षित व सुरक्षित जीवन दिया जा सकता है। हर परिवार में गाय के लिए एक रोटी जरूर निकलती है। लेकिन वह रोटी या खाद्य पदार्थ पॉलिथीन में फेकने से गायों के उसे खाने पर वह उनकी मौत का बड़ा कारण बन रहा है। गायों को सड़कों पर खुला छोड़ने की जगह उन्हें पालने के लिए सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे।                 
- आशा चतुर्वेदी, गृहिणी

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गौ उत्पाद के लिए बने इंडस्ट्री
वर्तमान समय में गौ माता के प्रति लोग लापरवाह हो गए है। सनातन धर्म में गाय ईश्वर के समान पूज्यनीय बताया है। जिसके घर, आंगन, चुल्हा चौका गोबर से लीपा जाता था उसके घर में लक्ष्मी निवासी करती थी। लेकिन वर्तमान में लोग गाय दूध नहीं देती तो उसको सड़कों पर छोड़ देते हैं। घर में जगह होने पर एक गाय तो हर व्यक्ति को पालना ही चाहिए। गाय को राष्ट्रीय माता का दर्जा मिलेगा तभी इसका ठीक से संरक्षण हो सके गा। गाय के दूध के अलावा उसके गोबर, गौमूत्र और अन्य फायदों के बारें प्रशिक्षण दिया जाए तो इंडस्ट्री तैयार हो सकती है। 
- महामंडलेश्वर साध्वी हेमा सरस्वती 

केवल दूध के दम पर नहीं चल सकती गौशाला
गाय के दृूध देना बंद करने पर पशु पालक भी उन्हें सड़कों पर छोड़ देते है। कई पशु पालक तो दोबारा उन गायों को घर तक भी नहीं लाते। लेकिन जो लोग निजी गौशाला संचालित कर रहे है वे भी केवल गाय के दूध के दम पर गौशाला नहीं चला सकती। सरकार स्टाम्प पर गौ टैक्स वसूल कर रही है।  जिस तरह से सामाजिक क्षेत्र में वृद्धाश्रम संचालित हो रहे है। उसी तरह से जिन गायों की देखभाल करने वाला कोई नहीं हो उन्हें गौ अभ्यारण्य में रखा जा सकता है। जहां उन्हें प्राकृतिक रूप से चरने कीजगह व हरा चारा मिलेगा तो कम से कम उनकी जान तो बची रहेगी। साथ ही उनसे किसी को नुकसान भी नहीं होगा।  
 - वीरेन्द्र जैन, संयोजक, ह्यूमन हैल्प लाइन

गाय के उत्पादों का हो अधिक उपयोग
निजी गौशालाओं में सभी गाय दूध देने वाली नहीं होती।  बिना दूध देने वाली गायों के गोबर व गौमूत्र समेत गाय के अन्य उत्पादों का उपयोग  किया जा सकता है। गौमूत्र व गोबर की खाद से आय बढ़ाई जा सकती है। गाय के उत्पादों का जितना अधिक उपयोग होगा उससे आय के साथ ही गायों का संरक्षण भी किया जा सकेगा। गायों को चारा डालने वाले धर्म करने के लिए सड़कों पर ही चारा डाल देते है। जिससे ट्रैफिक में बाधा होती है। निगम के स्तर पर जमादारों से गायों का सर्वे कराया जाए। साथ ही पालतू पशुओं के टैग लगाए जाएं जिससे उनकी पहचान की जा सके।                
- सतीश गोपलानी, अध्यक्ष कृष्ण मुरारी गौशाला 

हर घर से निकले गौ ग्रास तो नहीं रहेगी भूखी गाय
हर घर से गौग्रास निकाला जाए तो गायों को रोड पर प्लास्टिक थैलियां नहीं खानी पड़ेगी। गायों के पर्याप्त भोजन, पानी और आवास की व्यवस्था करने की हम सबको सामूहिक जिम्मेदारी उठानी होगी। हर समय सरकार की तरफ देखने बताए सभी को गाय को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास करने होगे। उनको रोड पर घूमने से रोकने के लिए चरागाह भूमि तैयार करनी होगी। शहरों में गौशालाओं का संख्याा बढ़ानी होगी। सभी गायों को बचाया जा सकता है। 
- बृजेश कुमार  बैरागी, सांवरिया गौशाला सदस्य जाखमुंड

गाय को उचित दर्जा मिले तभी होगा संरक्षणन
इ पीढ़ी गाय को अब घरों में नहीं बांध सकती है। उनके अंदर गौवंश के संरक्षण के संस्कार देने होंगे। गौमाता को उचित दर्जा देना होगा। गोबर से बने उत्पादन का व्यापक प्रचार प्रसार करना होगा। गौकाष्ठ, गौमूत्र, गौ अर्क जैसे उत्पाद के लिए बाजार तैयार करना होगा।कोटा मेें जितने मंदिर है उनको तीन से चार गाय पालने के लिए दी जाए।  लोगों को गाय की उपयोगिता के बारे में जागरूक किया जाए।  गौ पालने वाले को सरकार छूट दे जिससे गौ संरक्षण में वृद्धि होगी। गाये सड़को पर नहीं घूमेंगी।
- विवेक गौतम, गौ क्रांति गौ सेवा समिति कोटा

स्टाल फीडिंग विधि अपनाने की आवश्यकता
पशुपालकों को स्टाल फीडिंग विधि को अपना होगा तभी बेहतर दूध का उत्पादन होगा और गाये रोड पर आने से रूकेंगी। गायों को घर पर ही खाने को हर समय उपलब्धता करानी होगी।  तभी स्टाल फीडिंग हो पाएगी । स्टाल फीडिंग नहीं होने से  उनसे ज्यादा दूध नहीं ले पाते है। खुला छोड़ने पर गाय दिन में क्या खा रही उसका आंकलन नहीं किया जा सकता है। घर समय पर पौष्टक आहार देने से दूध उत्पादन बढेगा। इसके अलावा नस्ल सुधार की आवश्यकता है। 
- डॉ. महेंद्र सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक एव अध्यक्ष केवीके कोटा

पशु बीमा फिर से शुरू हो 
गायों को बचाने के लिए पशुपालन विभाग की ओर से हर संभव प्रयास किया जााता है। पहले पशुओं का 10 हजार रुपए का बीमा हुआ करता था उसको फिर से चालू किया  जाए। जिससे उसके लालच में लोग पशुओं ठीक से पालन पौषण करेंगे। पशुपालन चिकित्सालय में गायों को बेहतर इलाज हो इसके लिए सभी चिकित्सक पूरा प्रयास करते है। समिति संसाधनों के बावजूद गायों को बचाने का हर संभव प्रयास किया जाता है।  गायों की स्टाल फीडिंग विधि अपनाने की आवश्यकता है। तभी दूध का उत्पादन बढ़ेगा।
- डॉ. गिरीश सालफळे उपनिदेशक पशुपालन विभाग कोटा

इंडस्ट्री चल रही है, गौ पालन में रोजगार के अपार अवसर
गौपालन में रोजगार की अपार संभावनाएं है।  हमने  गोपालन कर इसको एक इंडस्ट्री के रूप में तैयार किया है। दूध  के प्रोडक्ट के बिना  गोबर की खाद, जैविक खाद, केचुआ खाद, गौबर गैस से बिजली उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। गायों के नस्ल सुधारने की आवश्यकता है। गाय के वेष्ट से बेस्ट प्रोडेक्ट कैसे तैयार करें इसके लिए लोगों को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। लोगों को बायो प्रोडेक्ट का प्रशिक्षण देकर इंडस्ट्री स्थापित की जा सकती है। नस्ल सुधारने और अच्छा दूध उत्पादन देने के लिए गायों को पौष्टिक आहार खिलाना होगा।                                    
-अमनप्रीत सिंह गौ डेयरी संचालक

कानून की सख्ती से हो पालना
गौ संरक्षण के लिए सरकार की ओर से कई कानून बना रखे हैं लेकिन उनकी ठीक से पालना नहीं होती।  चारागाह भूमि पर अतिक्रमण हो रहे है। गौचर भूमि बचेगी और वह सड़कों पर नहीं घूमेगी। उनकी असमय मृत्यु नहीं होगी।  गाय को राष्ट्रीय पशु की श्रेणी रखना होगा।  निगम की ओर से प्लास्टिक और कचरे का समय पर निस्तारण करें तो गाय प्लास्टिक और अन्य चीजें खाएगी नहींं तो उनकी मृत्यु रुक सकेगी। इसके लिए घर से शुरुआत करनी होगी। गाय की रोटी का नियम बनाएंगे तो गाये प्लास्टिक और अन्य चीजे नहीं खाएगी। 
- शालिनी शर्मा, अधिवक्ता कोटा

नस्ल सुधार पर ध्यान देना जरूरी
समाज में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए चार बैसिक चीजों की आवश्यकता होती  है। गाय को जीवन पर्यंत सेवा की आवश्यकता है चाहे वो उत्पादन दे या नहीं दे। भोजन, पानी, छाया, घूमने की स्थान की आवश्यकता है। इन चारों चीजों में एक भी चेन को तोड़ा जाता है तो उसका जीवन खतरे में आ जाता है। नई पीढ़ी को गाय का महत्व ही नहीं पता है। बढ़ती जनसंख्या  के कारण गायों की चारागाह भूमि खत्म हो रही है।  गायों की नस्ल में सुधार नहीं होने से पशुपालकों लाभ नहीं मिलता है तो वो इनको सड़को पर छोड़ देते हैं। सबसे ज्यादा देसी नस्ल की गायें ही सड़को पर घूमते हुए मिलेगी।     
- डॉ. अखिलेश पाण्डेय उपनिदेशक पशुपालन विभाग कोटा

गायों के लिए बने गौ अभयारण्य
गाय केवल दूध देने के काम आने वाला पशु नहीं है। यह पूजनीय भी है। इसका संरक्षण व गायों को सुरक्षित जीवन देने के लिए उन्हें खुली जगह पर घूमने व चरने की पर्याप्त जगह की आवश्यकता होती है। निगम की गौशाला में अधिकतर सड़कों पर घूमने वाली व पॉलिथीन गाय आती है। जिससे उनके बैठक लेने के बाद उन्हें उठा पाना मुश्किल होता है।गौशाला में क्षमता से अधिक गौवंश होने पर पुरानी गाय नएआने वाली व कमजोर पर हमला कर देतीहै। जिससे उनकी मौत हो जातीहै। यह गौ अभ्यारण्य बनाकर ही संभव है। गौशाला में गायों को रखने के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए।   हालांकि पहले की तुलना में गायों की मृत्यु दर कम हुई है। गायों का संरक्षण सिर्फ बात करने से नहीं होगा।इसके लिए सभी को मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे।    
- जितेन्द्र सिंह, अध्यक्ष गौशाला समिति कोटा दक्षिण निगम

टॉप  पॉइंट
- गौवंश संरक्षण के लिए तैयार हो अभयारण्य।
- चरागाह भूमि से अतिक्रमण हटाकर गायों के लिए चरने की व्यवस्था हो। 
- गांवों से शहर आने वाले पशुओं को रोकने चेक पोस्ट बने
- ग्रामीण क्षेत्र में पशुपालकों को गाय के गोबर, गोमूत्र, गोकाष्ठ उत्पादन के लिए प्रशिक्षित करें। 
- गायों की नस्ल सुधार पर ध्यान दें, दुधारू गायें होगी तो रोड पर नहीं छोड़ी जाएंगी। 
- शहर  के हर मंदिर में 4 से 5 गाय को पालने के लिए दिया जाए।
- महाराष्टÑ की तर्ज पर  गाय को राष्ट्रीय पशु व गौमाता का दर्जा दिया जाए।
- गोबर से बने उत्पादन कर उनकी उपयोगिता लोगों बताएं जिससे इंडस्ट्री स्थापित हो। 
- नगर निगम की ओर से टिपर का पहला फेरा, गाय के चारा, रोटी के लिए लगाए। 
- अस्पतालों में गौवंश के इलाज के लिए संसाधन उपलब्ध कराएं।
- गौ उत्पादक के लिए इंड्रस्टीज तैयार हो। 
- शहर में प्लास्टिक उत्पादन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाए जिससे गाये प्लास्टिक नहीं खा सकें।
- पशुपालकों को बायो प्रोडेक्ट का प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगारमुखी बनाए।
- गाय को माता का दर्जा तभी मिलेगा परिवार में इसके संस्कार डाले जाएं। 
- स्कूलों में गाय के उपयोग उसके उत्पाद के बारे में पढ़ाया जाए। 

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