बिना स्क्रैप किए डाल दी सड़कें, लागत के साथ वाहन चालकों के लिए बन रही है पेरशानी
सड़क भी ऊंची नीची नहीं रहती है
हाल ही जेडीए ने फिर से डिवाइडर तैयार किए हैं। सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में पुरानी डामर को स्क्रैप कर डामरी करना करना होता है।
जयपुर। शहर में बारिश के दौरान क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के लिए परत दर परत डाली जा रही डामर के चलते कई सड़कों पर यातायात निर्बाध रूप से नहीं चल पा रहा है। इससे सड़कों की मरम्मत करने में लागत बढ़ने के साथ ही वाहन चालकों के लिए भी परेशानी का सबब बन जाती है।
सड़कों पर परत दर परत डामरीकरण से सड़क भी कमजोर होती है और उसका सरफेस कमजोर होने के साथ ही दरार भी आने की संभावना अधिक होती है। डामर के ऊपर बिना स्क्रैप किए डामरीकरण करने से सड़कें कम भी चलती है और समय से पहले सड़कें फिर से क्षतिग्रस्त होने से सरकारी धन का भी दुरूपयोग होता है। इससे सड़कों पर डिवाइडरों की ऊंचाई भी कम होने लगती है। टोंक रोड पर भी हाल ही जेडीए ने फिर से डिवाइडर तैयार किए हैं। सड़कों के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में पुरानी डामर को स्क्रैप कर डामरी करना करना होता है, जिससे सड़क भी ऊंची नीची नहीं रहती है, लेकिन बिना स्क्रैप होने से वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
वहीं जेडीए के डायरेक्टर इंजिनियरिंग अजय गर्ग ने कहा कि शहर में अधिकांश सड़कों की मरम्मत करने के लिए पहले उसे स्क्रैप तो किया जा रहा है, लेकिन जहां क्षतिगस्त सड़क की लंबाई कम होती है और क्षतिग्रस्त सड़क की नेचर के आधार पर भी निर्णय किया जाता है।
क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत करते समय पहले से डाली गई सामग्री को स्क्रेप करके उस मैटेरियल को रियूज्ड करना चाहिए। इससे सड़क की मरम्मत की लागत में भी कमी आने के साथ ही रोड़ की ऊंचाई भी नहीं बढ़ेगी। इसके अलावा सड़क के ड्रेनेज सिस्टम भी ध्यान देना बेहद जरूरी है।
- केसी मीना, उपाध्यक्ष इंडियन रोड़ कांग्रेस एवं सेवानिवृत चीफ इंजिनियर, राज. आवासन मंडल
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