कड़ी टक्कर वाली सीटों पर प्रचार में जातियों को साधने में जुटे कांग्रेसी दिग्गज
आदिवासी सीट चौरासी और सलूम्बर में स्थानीय पार्टियों से भाजपा के साथ कांग्रेस की भी टक्कर बनी हुई है।
जयपुर। राजस्थान की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में कड़ी टक्कर वाली सीटों पर अब कांग्रेस के दिग्गज नेता भी आक्रामकता के साथ मैदान में उतर गए हैं। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने प्रचार के आखिरी दिनों में मोर्चा संभालते हुए कई सीटों पर तूफानी दौरे शुरू कर दिए हैं। प्रचार के आखिरी दिन सोमवार को भी बड़े नेताओं के जातियों को साधने के समीकरण सामने आएंगे। कांग्रेस में डोटासरा ने सलूम्बर विधानसभा में दौरा कर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार किया और भाजपा पर जमकर जुबानी हमला बोला।
प्रचार के दौरान वरिष्ठ पार्टी नेता रघुवीर मीणा सहित स्थानीय नेताओं से जातिगत समीकरणों पर राय मशविरा कर जीत की रणनीति भी बनाई। इससे पहले वे खींवसर में भी काफिले के साथ पहुंचकर पार्टी को मजबूत करने में जुटे रहे। रामगढ़ विधानसभा में भी चुनावी सभा में पहुंचकर कार्यकर्ताओं में जोश भर चुके। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने मुख्य रूप से रामगढ़ विधानसभा में प्रचार के लिए मोर्चा संभाल रखा है। उनके गृह जिले में यह सीट उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई है। कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने दौसा, टोंक जिले की देवली-उनियारा और अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा में धुंआधांर दौरे का प्रचार किया और भाजपा सरकार पर जमकर जुबानी हमला बोला।
जातियों के संघर्ष में फंसी सीट
डोटासरा, जूली और पायलट जैसे दिग्गज नेता प्रचार के आखिरी दिनों में भाजपा से मिल रही चुनौती के बीच जातियों को साधने में जुटे हुए हैं। दौसा, देवली-उनियारा, रामगढ़, झुंझुनूं, खींवसर में बने समीकरणों में जातियों को साधना बड़ी चुनौती बना हुआ है। गुर्जर-मीणा बाहुल्य दौसा और देवली-उनियारा में भाजपा के प्रत्याशियों और नेताओं से बाहुल्य जातियों को लेकर चुनौती बनी हुई है। देवली-उनियारा में नरेश मीणा की चुनौती के बीच नरेश को आरएलपी के हनुमान बेनीवाल और बीएपी के राजकुमार रोत के समर्थन ने भी कांग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव के लिए मजबूर कर दिया है। झुंझुनूं और खींवसर में भी जातियों के संघर्ष में सीट फंसी हुई नजर आ रही हैं।
जातिगत समीकरण वाले विधायकों को मंच पर मौका
आदिवासी सीट चौरासी और सलूम्बर में स्थानीय पार्टियों से भाजपा के साथ कांग्रेस की भी टक्कर बनी हुई है। लिहाजा जातिगत समीकरण साधने के लिए स्थानीय वरिष्ठ नेताओं की सूची बनाकर मंच पर बुलाया जा रहा है। रामगढ़, दौसा, देवली-उनियारा में काफी संख्या में विधायकों को मंच पर बिठाया गया। कांग्रेस के सेन्ट्रल वॉर रूम में मिल रहे फीडबैक के आधार पर जिन जाति के वोटों के खिसकने का डर सामने आ रहा हैं, वहां प्रचार की सभाएं और दौरे कराते हुए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
जातिगत समीकरण वाले विधायकों को मंच पर मौका
आदिवासी सीट चौरासी और सलूम्बर में स्थानीय पार्टियों से भाजपा के साथ कांग्रेस की भी टक्कर बनी हुई है। लिहाजा जातिगत समीकरण साधने के लिए स्थानीय वरिष्ठ नेताओं की सूची बनाकर मंच पर बुलाया जा रहा है। रामगढ़, दौसा, देवली-उनियारा में काफी संख्या में विधायकों को मंच पर बिठाया गया। कांग्रेस के सेन्ट्रल वॉर रूम में मिल रहे फीडबैक के आधार पर जिन जाति के वोटों के खिसकने का डर सामने आ रहा हैं, वहां प्रचार की सभाएं और दौरे कराते हुए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
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