‘चिड़ी’ का इंतजार कर रही 190 करोड़ की फाइल

कोटा बैराज का 64वां जन्मदिन आज

‘चिड़ी’ का इंतजार कर रही 190 करोड़ की फाइल

वित्त विभाग से संशोधित प्रस्ताव को नहीं मिली मंजूरी।

कोटा। चंबल नदी पर बने बांध उम्रदराज होते जा रहे हैं। ऐसे में इन बांधों को मरम्मत की दरकार है। नदी पर 60 के दशक में कोटा बैराज, जवाहर सागर और राणाप्रताप सागर बांध का निर्माण किया गया था। अब इनकी उम्र लगातार बढ़ती जा रही है। कोटा बैराज तो बुधवार को अपना 64वां जन्मदिन मनाएगा। इतनी उम्र होने के बाद भी बांध की सेहत पूरी तरह से सुधर नहीं पाई है। बांधों की मरम्मत के लिए 190 करोड़ का बजट जारी हो चुका है और इसके अनुमोदन की फाइल वर्तमान में जयपुर में वित्त विभाग के पास भेज रखी है। वहां से अभी तक फाइल को हरी झंडी नहीं मिलने से बांधों की मरम्मत का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। 

लागत बढ़ने पर भेजा था संशोधित प्रस्ताव
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार चंबल के तीनों बांध कोटा बैराज, जवाहर सागर और राणाप्रताप सागर बांध के लिए जीर्णोद्धार के लिए 183 करोड़ का प्रोजेक्ट विश्व बैंक ने मंजूर किया था। इसके बाद 12 सितम्बर 2023 को तकनीकी स्वीकृति जारी कर तीनों बांधों के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई थी, लेकिन किसी भी कंपनी और ठेकेदार ने निविदा नहीं भरी। दूसरी बार 10 अक्टूबर 2023 और तीसरी बार 20 जनवरी 2024 को निविदा आमंत्रित की गई, लेकिल लागत बढ़ने से कोई कम्पनी नहीं आई। इसके बाद विभाग की ओर 190 करोड़ का संशोधित प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे वर्ल्ड मंजूर कर दिया और इसे राज्य सरकार के पास अनुमोदन के लिए भेजा है, लेकिन वहां से अभी तक अनुमोदन नहीं हुआ है। 

ऐसे तो कम हो जाएगी बांधों की लाइफ
चम्बल नदी पर तीनों ही बांध 1960 के दशक बने हुए हैं। बांध की मशीनों और हाइड्रों उपकरणों की उम्र 40 साल होती है। जबकि बांध के सिविल वर्क की उम्र 100 साल मानाी जाती है। अब लगभग 64 वर्ष गुजरने वाले हैं। ऐसे में यदि इनका समय पर जीर्णोद्धार नहीं हुआ तो बांध की लाइफ और कम हो जाएगी। स्थिति यह है कि राणाप्रताप सागर बांध के स्लूज गेट 37 सालों से नहीं खुले हैं। गेटों से रिसाव हो रहा है। जवाहर सागर बांध का एक गेट अटका हुआ है। कोटा बैराज के गेटों की स्थिति भी ठीक नहीं है। इसके बाद जीर्णोद्धार का कार्य बार-बार टल रहा है।

रोबोटिक जांच में बताई थी मररम्मत की जरूरत 
केन्द्रीय जल आयोग व जल संसाधन विभाग ने तीनों बांधों के सिविल स्ट्रक्चर की रोबोटिक जांच करवाई थी। रोबोट के जरिए पानी के अंदर सिविल स्ट्रक्टर की पूरी वीडियोग्राफी व अंडर वाटर सर्वे कप्यूराइड जांच करवाई गई थी। इसकी पूरी रिपोर्ट सॉप्टवेयर के जरिए तैयार की गई थी, जिसमें स्ट्रक्चर के क्रेक व नुकसान के बारे में भी बताया गया था। जल आयोग के एक्सपर्ट की टीम ने बांधों की सुरक्षा को लेकर अध्ययन किया था, जिसमें बांधों की मरम्मत अत्यंत जरूरी बताई थी। इसके बाद विभाग की ओर से बांधों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव तैयार किए गए थे। 

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स्काडा सिस्टम से जुड़ेंगे बैराज के गेट
कोटा बैराज के 1980 से बंद पड़े स्लूज गेट बदले जाएंगे। इसके अलावा बैराज के सभी 19 गेटों की हालत ठीक है, लेकिन लीकेज हो रहा है। इन गेटों की पूरी मेट्रोलॉजी बदली जाएगी। इन गेटों पर मेटल चढ़ाया जाएगा, रबर सील बदली जाएगी, जिससे यह मजबूत हो जाएंगे। डेम की गैंट्री क्रेन को बदला जाएगा। कच्चे एरिया में मिट्टी की पिचिंग, पुलिया व रैलिंग की मरमत होगी। डाउन स्ट्रीम रोक स्टेबलाइजेशन, स्लीप वे ब्रिज, कन्ट्रोल रूम व चबल रेस्ट हाउस की मरमत व सुदृढ़ीकरण का कार्य होगा। वहीं चंबल के अन्य बांध राणा प्रताप सागर और जवाहर सागर बांध के भी नए गेट लगाए जाएंगे।

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चंबल के बांधों की मरम्मत के लिए 190 करोड़ का बजट जारी हो चुका है और इसके अनुमोदन की फाइल वर्तमान में जयपुर में वित्त विभाग के पास भेज रखी है। वहां से अनुमोदन होने के बाद टैंडर प्रक्रिया होगी। इसके बाद मरम्मत कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
- संजय कुमार सिंह, अधिशासी अभियंता, जलसंसाधन विभाग

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