राज्यसभा में अगले साल रिटायर होंगे 75 सांसद कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की वापसी मुश्किल, इन सीटों को वापस भरने के लिए अलग-अलग राज्यों में चुनाव होंगे
24 जुलाई को रिटायर होंगे दो सदस्य
देश में एक बार फिर सियासी पारा हाई होने वाला है। जहां एक ओर बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर राज्यसभा में बड़ा फेरबदल होगा
नई दिल्ली। देश में एक बार फिर सियासी पारा हाई होने वाला है। जहां एक ओर बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही हैं, वहीं दूसरी ओर राज्यसभा में बड़ा फेरबदल होगा। नवंबर से अप्रैल 2026 के बीच कई बड़े नेता राज्यसभा से रिटायर होंगे। इससे 70 से अधिक सीटें खाली हो जाएंगी। राज्यसभा से रिटायर होने वाले नेताओं की लिस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व पीएम एचडी देवेगौड़ा, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, भाजपा नेता हरदीप पुरी, जेडीयू सांसद हरीवंश, सपा सांसद राम गोपाल यादव, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले, प्रियंका चतुर्वेदी और आरएलडी नेता उपेंद्र कुशवाहा जैसे कई बड़े नाम शामिल हैं। इन सीटों को भरने के लिए राज्यों में चुनाव होंगे। राज्यसभा में कुल 75 सीटें खाली होने वाली हैं, जिन्हें भरने के लिए अलग-अलग राज्यों में चुनाव कराए जाएंगे।
24 जुलाई को रिटायर होंगे दो सदस्य
2026 में इन नेताओं के रिटायर होने से पहले इन साल मॉनसून सत्र के शुरू होने के तीन दिन बाद ही 24 जुलाई को डीएमके के विल्सन और पीएमके के डॉ. अंबुमणि रामदास समेत छह नेता रिटायर होंगे। इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चार सदस्यों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। इससे राज्यसभा की संख्या 236 से बढ़कर 240 हो गई है, लेकिन 24 जुलाई को छह सदस्यों के रिटायर होने के बाद यह संख्या फिर से 235 हो जाएगी।
25 जून 2026 को रिटायर होंगे मल्लिकार्जुन खरगे
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 25 जून 2026 को रिटायर होंगे। एचडी देवेगौड़ा और हरिवंश 9 अप्रैल 2026 को रिटायर होंगे। एनसीपी नेता शरद पवार भी अप्रैल में ही रिटायर होंगे। महाराष्ट्र से सात सदस्य रिटायर होंगे, जिनमें प्रियंका चतुवेर्दी और रामदास अठावले शामिल हैं। जेएमएम के शिबू सोरेन और कांग्रेस के शक्तिसिंह गोहिल भी 2026 में रिटायर होंगे। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और दिग्विजय सिंह जैसे सांसद भी रिटायर हो रहे हैं। कांग्रेस को इन नेताओं को दोबारा चुनकर लाने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि देश की सबसे पुरानी पार्टी के पास कर्नाटक और हिमाचल के साथ-साथ तेलंगाना में ही सरकार है। ऐसे में कुछ सीटों पर दावेदार ज्यादा होंगे। देखना रोचक होगा कि कांग्रेस क्या कदम उठाएगी।

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