कर्तव्य भवन में काम करने में बाबुओं को दिक्कत, बंद केबिन चाहते हैं नौकरशाह, खुले में बैठने पर गोपनीयता और दक्षता होती है प्रभावित 

कर्तव्य भवन में एक साथ कई मंत्रालयों के ऑफिस

कर्तव्य भवन में काम करने में बाबुओं को दिक्कत, बंद केबिन चाहते हैं नौकरशाह, खुले में बैठने पर गोपनीयता और दक्षता होती है प्रभावित 

अधिकारियों के फोरम के पत्र से पता चलता है कि केवल सेक्शन ऑफिसरों को ही नहीं, बल्कि अंडर सेक्रेटरी को भी केबिन नहीं दिया गया है और उन्हें खुले जगहों में बैठने के लिए कहा जा रहा है।

नई दिल्ली। बदलती दुनिया में जहां अलग-थलग होकर ऑफिस केबिन में काम करने की संस्कृति खत्म की जा रही है वहीं, शीर्ष सरकारी अधिकारी कर्तव्य भवन में गोपनीयता के खत्म किए जाने और केबिन छिनने का दुख मना रहे हैं। कर्तव्य भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को किया था। अधिकारियों की बात करें तो उनके लिए एक केबिन सिर्फ सत्ता में होने का एहसास ही नहीं देता बल्कि ऐसी चीजों को भी छिपाता है जिसे अधिकारी किसी और को दिखाना या सुनाना नहीं चाहते हैं। नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर स्थित कर्तव्य भवन, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों को एक छत के नीचे लाकर काम को आसान बनाने का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है।

हालांकि, सरकार ने इस भवन में ऑफिस की प्लानिंग करते समय परंपरा, प्रतिष्ठा, अनुशासन के सिद्धांतों को नजरअंदाज कर दिया है। आखिर बाबू खुले में खुले तौर पर कैसे काम कर सकते हैं? बाबूशाही फुसफुसाती आवाज, सीक्रेट कॉल और छिपे हुए समझौतों में फलती-फूलती है। इस काम में निडर होकर काम करने के लिए एक केबिन जरूरी है।

सीएसएस ने पीएमओ को लिखा पत्र: गोपनीयता बाबुओं की योग्यताओं की मुख्य जरूरतों में से एक है और बाबुओं ने खुद शिकायत की है कि होमो डेरलिक्टस, यानी एक ऐसी प्रजाति जिसके ऑफिस में दिखने के नजारे दुर्लभ होते हैं, के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। एडमिनिस्ट्रेटिव सिविल सर्विस सेंट्रल सेक्रेटेरिएट सर्विस फोरम, जो 13,000 से अधिक अधिकारियों के सामूहिक हितों का प्रतिनिधित्व करता है, ने प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखे अपने पत्र में इस दुख को जाहिर किया है। सीएसएस फोरम के महासचिव यतेंद्र चंदेल की तरफ से लिखे पत्र में, कर्तव्य भवन-3 में बैठने की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा गया है, सीएसएस अधिकारियों को निर्धारित जगह से कम जगह दी जा रही है, जिससे उनकी गोपनीयता और दक्षता प्रभावित हो रही है।

पत्र में कहा गया है कि अंडर सेक्रेटरी अत्यधिक संवेदनशील और गोपनीय मामलों को संभालते हैं, उन्हें काम करने के लिए प्राइवेट केबिन की जरूरत होती है। पीएमओ के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में तर्क दिया है, हालांकि, उन्हें खुले ऑफिस की जगह दी गई है। इस वजह से वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के साथ उनकी टेलीफोन और आमने-सामने की बातचीत कोई भी आसानी से सुन सकता है। इससे गोपनीयता के लिए एक गंभीर जोखिम पैदा होता है।

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कर्तव्य भवन में एक साथ कई मंत्रालयों के ऑफिस
कर्तव्य भवन एक अत्याधुनिक इमारत है जिसमें शानदार कॉन्फ्रेंस रूम, आधुनिक सुविधाएं और सीसीटीवी लगे हैं। इस भवन में गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास, एमएसएमई, डीओपीटी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे मंत्रालयों के ऑफिस होंगे। हालांकि, इस कॉम्प्लेक्स को बनाने का मकसद कई मंत्रालयों के बीच अंतर-विभागीय तालमेल बनाना है, लेकिन खुली जगह में काम करने की संस्कृति भारतीय बाबूशाही के लिए विदेशी है, जिसकी जड़ें ब्रिटिश-युग की औपनिवेशिक प्रणाली में हैं। रिपोर्टों के अनुसार, पुरानी व्यवस्था में यहां तक कि सेक्शन ऑफिसरों के पास भी अपने केबिन या कमरे होते थे, हालांकि वो साझा केबिन होते थे। उस दौरान डिप्टी सेक्रेटरी और अंडर-सेक्रेटरी के पास अलग-अलग कमरे होते थे। 

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एक निराशाजनक माहौल 
अधिकारियों के फोरम के पत्र से पता चलता है कि केवल सेक्शन ऑफिसरों को ही नहीं, बल्कि अंडर सेक्रेटरी को भी केबिन नहीं दिया गया है और उन्हें खुले जगहों में बैठने के लिए कहा जा रहा है। बाबुओं की तरफ से लिखी गई पत्र में शिकायत की गई है, इस तरह की व्यवस्था, उन अधिकारियों के लिए भी एक निराशाजनक माहौल बनाती है, जो सही मायने में केंद्रीय सचिवालय की मुख्य स्टाफिंग संरचना से जुड़े हुए हैं। वे कहते हैं कि केबिन की कमी अधिकारियों के लिए निराशाजनक है। उनकी बात समझी जा सकती है। महत्वपूर्ण मामलों पर कॉल करने वाले अधिकारियों को जूनियर कर्मचारियों के बीच बैठे हुए कैसे देखा जा सकता है, ऑफिस में क्लास स्ट्रक्चर को मजबूत करने की जरूरत होती है। यहां हक की भावना को बढ़ावा दें। 

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