दिल्ली विधानसभा चुनाव : 17 सीटों से दिल्ली में बनेगी या बिगड़ेगी सरकार, क्यों निर्णायक मानी जा रहीं ये 17 सीटें?
2020 में दिखा करीबी मुकाबला, इस बार क्या होगा
दिल्ली के चुनावी रण में सभी राजनीतिक पार्टियां जमकर प्रचार अभियान में जुटी हैं। इस बार मुख्य मुकाबला सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच है
नई दिल्ली। दिल्ली के चुनावी रण में सभी राजनीतिक पार्टियां जमकर प्रचार अभियान में जुटी हैं। इस बार मुख्य मुकाबला सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस के बीच है। ऐसे में हम बताने जा रहे राष्ट्रीय राजधानी की उन 17 सीटों के बारे में जहां पिछले चुनाव के दौरान जीत का अंतर बेहद करीबी रहा था। ये सीटें इस चुनाव में सरकार बनाने में निर्णायक हो सकती हैं। 2020 के विधानसभा चुनावों में कांटे की टक्कर वाले 17 विधानसभा क्षेत्रों पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों की नजर है। ये 17 सीटें 2025 के चुनावों में अहम भूमिका निभा सकती हैं। आप ने इनमें से 13 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी को 4 सीटों पर जीत मिली थी। दोनों ही पार्टियों ने इनमें से कई सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं। इस बदलाव के पीछे दोनों पार्टियों की रणनीति और 2020 के नतीजों का गहराई से विश्लेषण माना जा रहा है। जानिए कौन सी हैं वो 17 सीटें।
क्यों निर्णायक मानी जा रहीं ये 17 सीटें
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 62 सीटें जीतकर शानदार प्रदर्शन किया था। हालांकि, 17 सीटों पर जीत का अंतर 10,000 वोटों से भी कम रहा था। इनमें से 13 सीटें आप और 4 सीटें बीजेपी के खाते में गईं थीं। बीजेपी को उम्मीद है कि आप के खिलाफ बढ़ती एंटी-इनकंबेंसी का फायदा उसे मिलेगा। इसीलिए बीजेपी इन सीटों पर खास ध्यान दे रही है। जहां 2020 में भी उसे जीत हासिल करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
2020 में दिखा करीबी मुकाबला, इस बार क्या होगा?
बीजेपी की रणनीति 2020 के चुनाव नतीजों के गहन विश्लेषण पर आधारित है। आप ने जिन आठ सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें से चार पर जीत का अंतर बहुत कम था। ये सीटें थीं करावल नगर (8,223 वोट), गांधी नगर (6,079 वोट), विश्वास नगर (3,207 वोट) और बदरपुर (3,719 वोट)। इस बार ने इन चार में से तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं।
2020 में करीबी मुकाबले
विधानसभा सीट 2020 में जीतने वाली पार्टी जीत का अंतर
करावल नगर बीजेपी 8223
शाहदरा आम आदमी पार्टी 5294
गांधी नगर बीजेपी 6079
कृष्णा नगर आम आदमी पार्टी 680
विश्वास नगर बीजेपी 3207
बदरपुर बीजेपी 3719
छतरपुर आम आदमी पार्टी 3720
आरके पुरम आम आदमी पार्टी 10369
लक्ष्मीनगर बीजेपी 880
कस्तूरबा नगर आम आदमी पार्टी 3165
बिजवासन आम आदमी पार्टी 753
नजफगढ़ आम आदमी पार्टी 6231
त्रिनगर आम आदमी पार्टी 10710
शकूरबस्ती आम आदमी पार्टी 7592
शालीमार बाग आम आदमी पार्टी 3440
किराड़ी आम आदमी पार्टी 5654
आदर्श नगर आम आदमी पार्टी 1589
कैंडिडेट बदलने से बनेगी बात!
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने बताया कि हमारे उम्मीदवार बहुत कम अंतर से हारे थे। हमें पता है कि इस बार एक मजबूत कैंडिडेट और एंटी-इनकंबेंसी का फायदा हमें इन सीटों पर जीत दिला सकता है। इसीलिए उम्मीदवार बदले गए हैं। करावल नगर से विधायक मोहन सिंह बिष्ट को मुस्तफाबाद भेज दिया गया है और उनकी जगह कपिल मिश्रा को बीेजपी ने टिकट दिया है। गांधी नगर में मौजूदा विधायक अनिल कुमार वाजपेयी की जगह पूर्व कांग्रेस मंत्री अरविंदर सिंह लवली को उतारा गया है।
आप-बीजेपी दोनों ने ही कई सीटों पर बदले कैंडिडेट
2020 में लवली कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे और वो उन तीन कांग्रेस उम्मीदवारों में से एक थे जिनकी जमानत जब्त नहीं हुई थी। बदरपुर के विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी पिछले साल लोकसभा चुनाव जीत गए थे, इसलिए उनकी जगह नारायण दत्त शर्मा को टिकट दिया गया है। आप ने भी अपनी रणनीति के तहत बदलाव किए हैं। पार्टी ने उन 13 विधायकों में से 9 को बदल दिया है, जिन्होंने पिछली बार कम अंतर से जीत हासिल की थी।
कुछ सीटों पर बीजेपी-आप ने कर ली उम्मीदवारों की अदला-बदली
आप सूत्रों का कहना है कि जब कोई एंटी-इनकंबेंसी नहीं थी और आम आदमी पार्टी की लहर चल रही थी, तब भी ये विधायक कम अंतर से जीते थे। इस बार इनके लिए चुनाव मुश्किल हो सकता है। किराड़ी से विधायक ऋतुराज गोविंद, जिन्होंने 5,654 वोटों से जीत हासिल की थी, उनकी जगह बीजेपी के 2020 के उम्मीदवार अनिल झा को टिकट दिया गया है। जो आप में शामिल हो गए थे।
सियासी गुणा गणित के बीच कौन मारेगा इस बार बाजी?
इसी तरह, छतरपुर सीट पर जहां आप ने 3,720 वोटों से जीत हासिल की थी, वहां बीजेपी और आप ने अपने उम्मीदवारों की अदला-बदली कर दी है। शाहदरा में भी जहां जीत का अंतर 5,294 वोट था दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की अदला-बदली की है। ये बदलाव दर्शाते हैं कि दोनों पार्टियां इन सीटों को कितनी अहमियत दे रही हैं और 2025 के चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।
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