ईडी का विनजो गेम्स के निर्देशकों पर शिंकजा : सौम्या और पवन नंदा गिरफ्तार, 505 करोड़ की संपत्ति भी जब्त
अदालत ने दोनों निदेशकों को ईडी की हिरासत में भेज दिया
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विनजो गेम्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सौम्या सिंह राठौर और पवन नंदा को गिरफ्तार कर बेंगलुरु की अदालत में पेश किया। ईडी ने कंपनी की लगभग 505 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की। जांच में पता चला कि विनजो ने प्रतिबंधित रियल मनी गेम्स के जरिए ग्राहकों के 43 करोड़ रुपये रोक रखे थे और धोखाधड़ी, नकली पहचान व केवाईसी छेड़छाड़ के गंभीर आरोप हैं।
नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार रात विनजो गेम्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक सौम्या सिंह राठौर और पवन नंदा को गिरफ्तार किया और उन्हें बेंगलुरु के एक न्यायाधीश के घर पर पेश किया। ईडी ने विनजो गेम्स प्राइवेट लिमिटेड की 505 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त कर ली।
अदालत ने दोनों निदेशकों को ईडी की हिरासत में भेज दिया है और आदेश दिया है कि आरोपियों को एजेंसी द्वारा फाइल की गयी रिमांड एप्लीकेशन पर दलीलों की सुनवाई के लिए पूर्वाह्न 11:30 बजे फिर से पेश किया जाये। ये गिरफ्तारियां ईडी द्वारा हाल ही में किये गये कई अभियानों के बाद हुई हैं।
ईडी की बेंगलुरु जोनल टीम ने विनजो गेम्स ऐप से जुड़े धन-शोधन मामले के सिलसिले में 18 से 22 नवंबर, 2025 के बीच दिल्ली और गुरुग्राम में चार जगहों पर छापे मारे। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत की गयी। ईडी ने जांच के दौरान विनजो गेम्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े बैंक खाते, बॉन्ड, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड में रखे लगभग 505 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है।
ईडी की यह कार्रवाई तब शुरू की गयी, जब विनजो और दूसरों पर धोखाधड़ी, उपभोक्ताओं के बैंक खाते ब्लॉक करने, नकली पहचान बनाने, पैन कार्ड का गलत इस्तेमाल करने और केवाईसी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ करने जैसे गंभीर अपराधों के आरोप कई प्राथमिकी में लगाये गये। शिकायत करने वालों ने बताया कि उनके केवाईसी विवरण का गलत इस्तेमाल उनके नाम पर वित्तीय लेन-देन करने के लिए किया गया, जिससे उन्हें काफी वित्तीय नुकसान हुआ।
जांच से पता चला कि विनजो भारत के अंदर से अपने ऐप का इस्तेमाल करके ब्राजील, अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों में अपने रियल मनी गेम्स (आरएमजीएस) चला रहा था। यह भी पता चला कि केंद्र सरकार द्वारा 22 अगस्त, 2025 से आरएमजीएस पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद कंपनी ने अपने उपभोक्ताओं को लगभग 43 करोड़ रुपये वापस नहीं किये और यह पैसा कंपनी के पास ही रहा।

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