अरावली पहाड़ियों पर सरकार ने दी नई परिभाषा : 90 प्रतिशत हिस्सा नहीं माना जाएगा अरावली, जयराम रमेश ने कहा- फैसले की बेहतर भविष्य के लिए समीक्षा करने की जरूरत
संवेदनशील और विशाल पारिस्थितिकी तंत्र को एक और गंभीर झटका लगने वाला
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की नई परिभाषा से अरावली पहाड़ियों का 90% हिस्सा अरावली नहीं माना जाएगा, जिससे खनन और निर्माण को बढ़ावा मिल सकता है। जयराम रमेश ने इसे पर्यावरण और जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस परिभाषा को स्वीकार किया जाना चिंताजनक है। कांग्रेस ने इसकी तत्काल समीक्षा की मांग की।
नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अरावली पहाड़ियों को लेकर एक नई परिभाषा दी है, जिससे इन पहाड़ियों का 90 प्रतिशत हिस्सा अब अरावली नहीं माना जाएगा। हैरान करने वाले इस फैसले की बेहतर भविष्य के लिए समीक्षा करने की सख्त जरूरत है। कांग्रेस संचार विभाग की प्रभारी जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि अरावली की पहाड़ियां दिल्ली से हरियाणा और राजस्थान होते हुए गुजरात तक फैली हुई हैं। पिछले कुछ वर्षों में नियमों और कानूनों के उल्लंघन से खनन, निर्माण और अन्य गतिविधियों के कारण ये पहाड़यिाँ तबाह हो गई हैं।
रमेश ने लिखा कि अब ऐसा लग रहा है कि इस संवेदनशील और विशाल पारिस्थितिकी तंत्र को एक और गंभीर झटका लगने वाला है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उच्चतम न्यायालय को अरावली पहाड़ियों की एक नयी परिभाषा सुझाई है। इस परिभाषा का उद्देश्य खनन को प्रतिबंधित करना है, लेकिन वास्तव में इसका मतलब यह होगा कि अरावली पहाड़ियों का हिस्सा अब अरावली नहीं माना जाएगा। न्यायालय ने इस संशोधित परिभाषा को स्वीकार कर लिया है। कांग्रेस नेता ने इसे अजीब स्थिति बताया और कहा कि इसके पर्यावरण और जन स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर परिणाम होंगे। इसकी तत्काल समीक्षा की आवश्यकता है।नरक का रास्ता वास्तव में नेक इरादों से बना है।

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