कृषि विकास दर 5 प्रतिशत बनाए रखना लक्ष्य, कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ : शिवराज

कुल रकबे के 93 प्रतिशत हिस्से में अनाज की बुआई होती

कृषि विकास दर 5 प्रतिशत बनाए रखना लक्ष्य, कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ : शिवराज

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि में शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार को अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ करार देते हुए कहा है कि सरकार का लक्ष्य कृषि विकास दर 5 प्रतिशत बनाए रखना है

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि में शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार को अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ करार देते हुए कहा है कि सरकार का लक्ष्य कृषि विकास दर 5 प्रतिशत बनाए रखना है।

चौहान ने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और आजीविका का भी सबसे बड़ा साधन है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 50 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है और सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में 18 प्रतिशत कृषि क्षेत्र का योगदान है। आने वाले समय में भी खेती अर्थव्यवस्था के केंद्र में रहेगी। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का निर्माण और विकसित भारत के लिए विकसित खेती और समृद्ध किसान सरकार का मूलमंत्र है।

केंद्रीय मंत्री ने कृषि में शिक्षा, अनुसंधान और विस्तार को अत्यंत महत्वपूर्ण स्तंभ बताया और कहा कि कृषि उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने में अनुसंधान की बहुत अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सभी संस्थानों को एक दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि विकास दर पांच प्रतिशत बनाए रखने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम’ के रूप में काम करने विचार किया जा रहा है। अगर कृषि के क्षेत्र में वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करना है तो 5 प्रतिशत की कृषि विकास दर को लगातार बनाए रखना होगा।

उन्होने कहा कि कुल रकबे के 93 प्रतिशत हिस्से में अनाज की बुआई होती है, लेकिन दलहन और तिलहन के मामले में विकास दर 1.5 प्रतिशत के आसपास है। उत्पादकता के लिहाज से भी अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न है। पंजाब में, हरियाणा में, छत्तीसगढ़ में विभिन्नताएं हैं। मक्का की विकास दर तमिलनाडु में ज्यादा है तो उत्तर प्रदेश में कम है। इसमें समानता लाने का प्रयास किया जा रहा है। बहुत खराब और बहुत अच्छे उत्पादकता के अंतर को कम करके कम से कम औसत स्तर तक लाना लक्ष्य है। इसके लिए विभिन्न कृषि संस्थानों और विभागों की भूमिका तय करने पर विचार किया जा रहा है।

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 चौहान ने कहा कि अगर भारत को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है तो एक हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था कृषि क्षेत्र को बनाना होगा। उसके हिसाब से लक्ष्य तय किए जा रहे हैं। अभी 6 प्रतिशत निर्यात होता है उसको बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करने का प्रयास है। मधुमक्खी पालन, पशुपालन, मत्स्यपालन, बागवानी इत्यादि को भी बढ़ावा देने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार के बजट में एक और जीन बैंक बनाने का प्रावधान किया है। जिनोम एडिटिंग की पद्धति से हाल ही में धान की दो नई किस्में विकसित की गई हैं, इसी पद्धति से सोयाबीन, दलहन, उड़द, चना, तूअर इत्यादि का उत्पादन बढ़ाने को लेकर भी तेजी से काम चल रहा है। इसके अलावा प्रति हेक्टेयर कम पानी में ज्यादा उत्पादन करने जैसे मुद्दों पर भी गहराई से चिंतन और विचार-विमर्श किया जा रहा है। समय-सीमा तय करते हुए एक साल के भीतर किए जाने वाले कार्य और लंबी अवधि वाले लक्ष्यों के परिणाम अर्जित करने की दिशा में तत्परता से काम चल रहा है।

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